रविवार, 13 जनवरी 2008

कुत्ते का रुदन और हंस का डिस्को.



कुत्ते का रुदन हंस का डिस्को.
मेरे मित्र ने कहा कुछ सुना बगले को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है,मैंने पूछा मछलियाँ निगलने का उसने कहा मछलियाँ निगलने का नहीं मछलियाँ पालने का.उसने यह भी बताया कि कौवे और चीलें वेटिंग लिस्ट में हैं उन्हें भी शीघ्र ही अलंकृत किया जायेगा.
आज कल जल के जहाँ भी स्त्रोत हैं बगुले एक पैर से तपस्या करते नज़र आ रहे हैं और मछलियों की तादाद दिन पे दिन कम होती जा रही है.
अजीब समा है बगुलों का अभिनंदन हो रहा है कौवा एनाउसमेंट कर रहा है.हमारे हंसों ने अपने नीर क्षीर विवेक का परिचय देते हुए बगुलराज का चयन किया है दूसरी मछलियों को बुरा न लगे इस दृष्टि से एक भोली मछली को भी स्थान दिया गया है. कुत्ता भौंक रहा हैं भौं भौं हमें सब पता है क्या खेल हुआ है- कुत्ते की बिरादरी वाले तस्ल्ली दे रहे हैं अब धीरज धरो यार तुम्हारा भी नंबर लगेगा. तुम्हारी प्रतिभा को समझ पाना हंसो के वश की बात नहीं. पर कुत्ता जोर जोर से रोना शुरू कर देता हैं कूँ ----कूँ ----- हाय हमारी कविताओं को किसी ने नहीं समझा.कुत्ते का भौकना तो ठीक पर रोना अपशकुन कहलाता है कुछ न कुछ ज़रूर हो के रहेगा.

हमें बड़ी चिन्ता सता रही है कहीं सभी कुत्ते मिलकर हंसों की पिछाड़ी न काट खायें.
हंसों को ब्लैक केट कमांडो अब रखना चाहिए.दर्द भरे डिस्को गाने से कुत्ते नहीं समझने वाले.
बगुलों का अभिनंदन कार्यक्रम आगे बढ़ रहा है, एक चीलरानी बलखाती बड़ी अदा से साड़ी का पल्लू गिराती फिर मासूम बन कर सँभालती मंच पर बगुलों को जयमाला पहिना रही हैं.सभाखंड में गधे तालियाँ पीट रहे हैं उन्हें इस खेल मे कोई दिलचस्पी नहीं.उनका सारा ध्यान कार्यक्रम के बाद होने वाले गदर्भ भोजन में हैं.
कुत्ता फिर भौंकता हैं भौं—भौं मैं क्या मर गया था. एकाध हमें भी पुरस्कार दे देते.
हंसो की हालत खराब है वे कह रहे हैं हे श्वानराज हमें क्षमा कर दो .आपको कष्ट पहुँचाना हमारा लक्ष नहीं था. पर श्वानराज का गुस्सा कम नहीं हो रहा वे तो हंसों की बोटी बोटी नोंचखाना चाहते हैं.
श्वानराज कह रहे हैं बगुलों ने हंसों को मछलियों का स्वाद चखा कर धर्मभ्रष्ट कर दिया है. हंस बगुलों के दरबार में ठुमक ठुमुक मुज़रा करते हैं. मछलियाँ चुंगकर बगुले साठा पाठा नज़र आते हैं. मछलियों में पौष्टिक तत्व जो विशेष पाये जाते हैं.
मछली के नाम पर मछली को पुरस्कार एक शार्क मछली को ताव आगया वह होती तो नहीं लेती. पर उसे देता कौन ये पुरस्कार तो आ जा फंसाजा के मंत्र को ध्यान मे रखकर दिये जाते हैं. आखिर भोलीवाली मछली ने जातिगत विशलेषण के आधार पर दिये जाने वाले पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया.कुत्ते ने कहा लेलो बहना. क्या खाक लेलें पहले तो रो रो के झमेला खड़ा कर दिया.
कुत्ता पहले गुर्राया फिर भौंका फिर कूं—कूं—कर के खूब रोया हाय हम दिग्गजों का ऐसा घोर अपमान हंसों को कविता गीत ग़ज़ल,व्यंग्य का ज्ञान नहीं वे सब उठावूगीर हैं. जागो भाइयो कुछ करो.
एक कौवे का चिंतन कुत्ता अपने मुँह से अपनी बड़ाई कर रहा हैं कुत्ते का चिंतन राष्ट्रीय चिंतन नहीं है.अगर होता तो इतना क्यों बौराता .साले कुत्ते ने बस्ती वालों की नींद हराम कर दी है इसकी पिछाड़ी लगाओ चार डंडे यही सबसे बड़ा पुरस्कार होगा. हम अभी वेटिंगलिस्ट में हैं अभी चीलरानी को पुरस्कार मिलना बाकी है और ये कूं—कू-- कर के सबसे सहानभूति जुटाने में लगा हुआ है.
पर लोग इतने बेवकूफ नहीं हैं उन्हें मज़ा आ रहा है.अच्छा ड्रामा हो रहा है.
कुत्ते के रुदन से जब बस्तीवाले जागे और लिया हाथ में डंडा.
तब कुत्ते को आत्मज्ञान हुआ. पुरस्कार में क्या रक्खा है.मान अपमान कैसा. कुत्ता अभी ध्यान कर रहा है.
पर हमारा कुत्ते के विलाप से ध्यानभंग हुआ उसका क्या ? ऐसे तो दौपदी भी चीर हरण होते समय नहीं रुदन की होगी.कुत्ते का कौन सा शीलहरण होगया था जो आसमान सर पर उठा लिया. पुरस्कारलीला कोई पहलीबार थोड़ी हुई है.
हमारी प्रतिभा का क्या सबसे बुरे लेखन का हमें भी पुरस्कार घोषित करो.हम रोयेंगे नहीं सीधे पिछाड़ी काट खायेंगे.अभी तो खाली नमूना हैं.
कविता साहित्य ,शिल्प आधे पाखंडियों को तो भाषा और विषय की डायबिटीज़ हैं. राही मासूम रज़ा,मंटो. धूमिल,तस्लीमा नसरीन, परवीन साकिर दुष्यन्त को पढे़ बिना अपने विचार सब पर लादेंगे.
तो दूसरी तरफ हंसों का सेडी डिस्को डान्स हाय हम निर्णायक क्यों हुए. तेरी गलियों मे न रक्खेंगे कदम आज के बाद.हमें हंसों पर बड़ा तरस आ रहा हैं ये बगुलों कौवों के चक्कर में कहाँ आगये.चुपचाप सरोवर पर पड़े तैरते.इतनी फ़जीहत तो न होती.

कुत्तों को आत्म ज्ञान भी तब हुआ.जब हंस मारे ग़म के सेडी डिस्को करने लगे.भोली भाली मछली ने दुखी हो कर पुरस्कार लौटा दिया और हमारा ध्यानभंग होगया.
ग़ालिब का शेर इन कुत्तों पर कितना मौंजू है-



की मेरे क़त्ल के बाद उसने जफ़ा से तौबा,
हाय उस जू़द पशेमां का पशेमा होना.

डॉ.सुभाष भदौरिया.ता.13-01-08 समय-10-15PM























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