सोमवार, 9 मार्च 2009

चोर का कुत्ते पता देते हैं.

ग़ज़ल
हादसे हम को रुला देते हैं.
और वे हैं कि सज़ा देते हैं.

भौंकने पर न करो तुम गुस्सा,
चोर का कु्त्ते पता देते हैं.

अपने ज़ख्मों पे नमक छिड़के हैं,
दुश्मनों को वे दवा देते हैं.

बात सुनते नहीं हैं वो अपनी,
हम भी बहरों को सदा देते हैं.

आग सुलगे है मेरे दिल में अभी,
आप क्यों और हवा देते हैं.

हम अंधेरों को भगाने के लिए,
झोपड़ी अपनी जला देते हैं.

अपनी हालत को देखने वाले,
ज़ल्द मरने की दुआ देते हैं.

हम लड़े जिनके हकों की ख़ातिर,
कुछ दिनों में वे भुला देते हैं.

जब भी मिलते हैं महरबां मेरे,
और भी दिल को दुखा देते हैं।
डॉ.सुभाष भदौरिया






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