सोमवार, 27 अप्रैल 2009

जूता मार दे,मार दे, मार दे रे जूता मार दे.




जूतादेव की जय हो.
जूता मार दे, मार दे, मार दे रे,जूता मार दे.
नकटे, लुच्चे ,नीच ,हरामी, करते बेईमानी.
रोती है भारत माँ अपनी, सब करते मनमानी.
इनकी धोती कुर्ता फाड़ दे फाड़ दे रे जूता मार दे.

आंतकी दामाद बनाकर करते सब मिज़बानी,
हमको सड़कों पर मरवायें, कुटिल,कमीने,कामी.
इनकी चड़्डी़ भी उतार दे, उतार दे, रे जूता मार दे.

धू-धू करके जली, मुंबई इन्हें शर्म ना आवे.
कातिल को लव लेटर भेजें थोथे गाल बजावे.
इन सब को तू अब जूतों का हार दे, हार दे, रे जूता मार दे.

गैया रोवे, बछिया रोवे, रोवे बैला भइया.
चौड़े में कटवायें ज़ालिम कोई नहीं बचैया.
अपने सीगों को अब प्यारे, धार दे, धार दे रे जूता मार दे.

रोज़ी रोटी जो हम मांगे, ये लाठी चलवायें.
बेंच वतन को किश्तों में ये, मंद मंद मुस्कावें.
जुतियाने का सबको अब अधिकार दे. रे जूता मार दे.

हमारे देश जूते का सफ़र ज़ारी है, कई नामी गिरामी वेटिंग में हैं. उपरोक्त मंत्र के नित प्रित जाप करने से हमारे पाठकों की मानसिक क्लीवता शीघ्र दूर होगी, और फिर वे पौरुष को प्राप्त करते हुए अपने निकट के शत्रु पर जूते का ब्रह्मास्त्र के रूप में प्रयोग करेंगे. जूते का इस ऋतुमें जितना आदर हो रहा है उतना पहले कभी नहीं हुआ. हर कोई माफ़ करके महान बनने में लगा हुआ है. हमारी भी इच्छा हो रही है किसी को दे मारे. पर दिक्कत ये है नया जूता कैसे खरीदेंगे. बच्चे पढ़ रहे हैं हमारी गुजरात सरकारने अध्यापकों को नया पे कमीशन अभी नहीं दिया. पुराने जूते बड़ी मुश्किल से साथ निभा रहे हैं. सो दिल की हसरत दिल में ही रह जायेगी. खैर जिनके पास दूसरे जूते कै पैसे हैं वे लगे रहे.आमीन.
ता.27-04-09 समय-7-25PM






















1 टिप्पणी:

  1. बहुत उम्दा. आपका दिया हुआ यह मंत्र निश्चित रूप से कारगर है. लेकिन केवल इसके जप से बात बनेगी नहीं शुभाष जी. जप जब पूरे विधि-विधान के साथ किया जाता है तभी उसका पूरा लाभ मिलता है. पूरा लाभ लेने के लिए इसका विधि-विधान जानें और विधि विधान यहां है : http://iyatta.blogspot.com/2009/04/32.html

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