मंगलवार, 25 अगस्त 2009

जिन्ना जिनको हैं प्यारे बहुत वे लोग यहाँ क्या करते हैं ?

ग़ज़लसरदार हमें प्यारे हैं बहुत, जो उनको हाथ लगायेंगे.
गुजरात के बेटे गुस्ताख़ी उनकी कैसे सह पायेंगे.

ज़िन्ना जिनको हैं प्यारे बहुत, वे लोग यहाँ क्या करते हैं ?
खायेंगे कहीं का और ढोंगी, फिर गीत कहीं के गायेंगे.

दामाद की मानिंद छोड कभी, आये थे पार दरिन्दों को,
मंज़र वो देखे हैं जिनने, वे कैसे उन्हें भुलायेंगे.

बादल ने ढका है सूरज को, वो अस्त समझते हैं हमको,
हम वक्त के आने पर उनसे, उनका थूका चटवायेंगे.

थाली से हुई सब्जी गायब, सब दाल को तरसे हैं अब तो,
दिल्ली में बैठ सभी जोकर, अम्मा के पांव दबायेंगे.

ख़ामोश अभी हैं तो हमको, बुज़दिल न समझलेना लोगो,
बिगड़े जो कभी हम अहले वतन फिर सबकी बाट लगायेंगे.

ये ग़ज़ल उपरोक्त तस्वीर और ताज़ा हालात से वाब्सिता है जलने वालों से कह दो ज़हर खालें. डॉ.सुभाष भदौरिया.ता.25-08-09

1 टिप्पणी:

  1. यह सत्‍य है कि यदि सरदार पटेल न होते तो 15 अगस्‍त 1947 के दिन ही हिन्‍दुस्‍थान समाप्‍त हो गया होता। जिन्‍ना ने जामनगर, हैदराबाद, बंगाल, कश्‍मीर से वार्ता कर ली थी लेकिन उनके पत्र सरदार पटेल के हाथ लग गए और वे 560 रियासतों का विलीनीकरण करा सके। कश्‍मीर के मामले में नेहरु ने अपनी टांग अडा दी क्‍योंकि वहाँ उनके भाई शेख अबदुल्‍ला बैठे थे। तभी से कश्‍मीर भारत का सरदर्द बना हुआ है। इसलिए जसवंत सिंह‍ को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा कि उन्‍होंने सरदार पटेल के व्‍यक्तित्‍व को अपने जैसा छोटा करने का दुस्‍साहस किया।

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