गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

चूजों की हिफाज़त का जिम्मा सांपों को अगर दोगे लोगे.

ग़ज़ल
चूजों की हिफाज़त का ज़िम्मा सांपों को अगर दोगे लोगो.
सामान तबाही का अपने तुम खुद ही कर लोगे लोगो.

उड़ते हैं हवाओं में वे तो हालात ज़मी के क्या जाने ?
सरहद से उठेगी जब आँधी पत्तों से बिखर लोगे लोगो.

करते हो किनारों पे मस्ती मौज़ो का इल्म नहीं तुमको,
पानी जो तुम्हारे सर से गया तुम खुद ही सुधर लोगे लोगो.

तुम चाँद को रोते हो अकसर पानी ही नहीं, खड्डे भी वहां,
सब राज़ अयां हो जायेंगे जब उससे गुज़र लोगे लोगो,

फिरते हो बहुत सहमे सहमे नज़रों को झुकाये रहते हो,
जब ज़ुल्म से आँख मिलाओगे दावा है निखर लोगे लोगो.

बरसों का तज़ुर्बा है अपना तुम भी तो इसे अज़मा देखो,
जूझोगे अँधेरों से जब जब कुछ और संवर लोगे लोगो.


रावण चहुँ ओर यहाँ पर हैं सीता का रुदन भी ज़ारी है,
तुम ही हो राम तुम्हीं लक्ष्मन कब इनकी ख़बर लोगे लोगो.
डॉ.सुभाष भदौरिया. ता. 01-10-०९

ये ग़ज़ल उपरोक्त वीडियो देख कर लिखी थी। ये तमाशा किस लिए किया जा रहा है न तो चूजे का पता न सांप को। पार्श्व में आती चीत्कार की आवाज़े बहुत कुछ कहती हैं। इस वीडियो के साथ ये ग़ज़ल दुबारा पेश है। वीडयो पर क्लिक कर इस अमानुषी खेल को ज़रूर देखें.

5 टिप्‍पणियां:

  1. रावण चहुँ ओर यहाँ पर हैं सीता का रुदन भी ज़ारी है,
    तुम ही हो राम तुम्हीं लक्ष्मन कब इनकी ख़बर लोगे लोगो.

    बहुत बढिया अभिव्यक्ति

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  2. ललितजी आपने प्रतीकों को समझते हुए सराहना की है धन्यवाद.
    फ़िरदौसजी कभी कभी आप मुफ़लिसों के गरीबखाने पर आती है? तो जी उठते हैं बकौले ग़ालिब हमारा हाल भी होता है.
    कभी हम उनको देखते हैं कभी घर को.
    ज़र्रा नवाज़ी के लिए शुक्रगुज़ार हूँ मोहतरमा.

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  3. aapkee tippanee ka matlab samajh me nahi aaya ....kripya spasht keejie.....shreeman ji lotne ke sarvaadhikaar to kisee aur praanee ke paas surakshit hain....kripya use usee ke paas rahne deejie....

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  4. बहोत ही सुंदर और सामयिक गजल। बधाई स्वीकारें।
    Think Scientific Act Scientific

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