शनिवार, 22 जनवरी 2011

अगले जनम मोहि प्रिंसीपल न कीजो डॉ.सुभाष भदौरिया.


ग़ज़ल
 दश्त में हैं या हम रेगज़ारों में हैं.
 हम से मत पूछिए, किन दियारों में हैं.

आज हैं जो यहाँ, कल का मालुम नहीं,
हम खड़े बस की लंबी कतारों में हैं.

ग़म को समझेंगे मेरे भला किस तरह,
 मुब्तिला आजकल जो बहारों में हैं.

हम वफ़ा करके अब तक परेशान हैं,
बेवफ़ा उनकी आँखों के तारों में हैं.

छोड़िए, छोड़िए, आप भी कम नहीं,
हम को मालुम किस के इशारों में हैं.

लोग करते किनारों पे अठखेलियाँ,
जूझते हम यहां तेज धारों में हैं.

गुजरात उच्चशिक्षा विभाग की कमिश्नर श्रीमती जयन्ती रवीजी ने अपने ता.०३-०१-२०११ के लिखित आदेश से हमें सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा प्रिंसीपल के साथ ही ९० किलोमीटर दूर राजस्थान बांसवाड़ा की सीमा से लगी दूसरी सरकारी सायंस कोलेज झालोद का अतिरिक्त चार्ज देकर हमारे ग़म और बढ़ा दिये.
गुजरात राज्य की शिक्षा कमिश्नर जयन्ती रवी अपनी गाँधीनगर कचेहरी में रिटायर्ड क्लास टू अधिकारी मनोज उपाध्यायजी को गुजरात उच्चशिक्षा विभाग का डायरेक्टर बना सकती हैं. सबसे जूनियर प्रिंसीपल डॉ.आर.यु.पुरोहित को जोइन डायरेक्टर बना सकती हैं. वे कुछ भी कर सकती हैं उन्हें कोई नियम लागु नहीं वे बहुत पावरफुल (I.A.S.) मानी जाती है. गुजरात के शिक्षा सचिव अडियाजी,शिक्षा मंत्री रमणवोराजी, तो क्या राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदीजी भी मैडम के विवादास्पद निर्णयों पर जबाब तलब नहीं करते. फिर हमारी मज़ाल क्या सो तुरंत ता.०५-०१-२०११ को चार्ज संभाल कर ई-मेल से ही हाज़र रिपोर्ट दे दी. क्या करें मैडम का आतंक ही कुछ ऐसा है सब डरते हैं हम भी.


पर इससे पूर्व हमने शहरा कोलेज के साथ हमें अतिरिक्त झालोद सायंस कोलेज झालोदका आर्डर देने वाले जोइन डायरेक्टर फिटर साहब से कहा रेग्युलर क्लास वन प्रिंसीपल को फेर बदल करने के अधिकार तो शिक्षा सचिव अडियाजी के हैं,फिर शिक्षा मंत्री रमण वोराजी और अंत में क्लास वन की अप्रूवल के लिए फाइल मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदीजी तक जाती है क्या ये सब हमारे केश में हुआ है.


वे बोले नहीं  ये सब मैडम ने किया है. हमने तो झालोद सायंस कोलजे के लिए सायंस के अध्यापक याज्ञिक का नाम रिकमन्ड किया था तुम तो आर्टस फेकल्टी और उसमें हिन्दी विषय के हो पर हमारी नहीं चली.


तुम्हारी लौटरी लगी कमिश्नर मैडम तुम पर बहुत खुश हैं कहती है आई केन ट्रस्ट ऑनली भदौरिया. ही केन डू इंमपोसिबल टू पोसीबल.मैडम को तुम पर भरोसा है वे अब दूसरी रिस्क नहीं लेना चाहती. वास्तव में तीन साल तक सायंस कोलेज के जो अध्यापक इंचार्ज के रूप में झालोद सायंस कोलेज रखे गये थे वे झालोद कम अहमदाबाद परिवार की सेवा में ज्यादा रहते थे और फिर स्टाफ की नियुक्ति न होने से वे विचारे कुछ न कर सके.


अब बिना स्टाफ के हम कोलेज जादू से शुरू नहीं कर सकते.


जून २००८ से खुली इस सरकारी सायंस कोलेज झालोद में तत्कालीन इंचार्ज प्रिंसीपल के सिवा अन्य किसी स्टाफ की नियुक्ति न होने से आदिवासी विस्तार में खोली गयी मोडेल कोलेज में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया.जमीन की फाइल महसूल मंत्री श्रीमती आनंदी बहिन के पास पड़ी है गृह निर्माण विभाग की पाँच एकर जमीन की मांग हैं १३ करोड का वज़ट है इस वर्ष तीन करोड़ का प्राविधान है पर जमीन के न मिलने से ग्रांट लेप्स होगी. यू.जी.सी. केन्द्र सरकार द्वारा पिछड़े आदिवासी क्षेत्र झालोद में सायंस कोलेज जून २००८ में खोली तो गयी पर पेपर पर. तीन साल से उच्चशिक्षा कमिश्नर कचेहरी ने कोई स्टाफ नहीं रखा सो पेपर पर खुली झालोद सायंस कोलेज में कोई विद्यार्थी प्रवेश लेने को तैयार नहीं. गरीब आदिवासी सायंस के विद्यार्थी  दूर दूर के गाँवों से झालोद से ३५ किमी. दूर दाहोद पढ़ने जाते हैं.


अब हमें  उच्चशिक्षा विभाग द्वारा मात्र एक फाइल को चार्ज में देकर इस सरकारी मोडेल कोलेज के मकान, जमीन, फर्नीचर आदि की व्यवस्था करने के आदेश दिये गये हैं शैक्षिक बिन शैक्षिक स्टाफ के  बिना हम भी क्या कर सकेंगे.
हमारी नई खुली सरकारी कोलेज शहेरा की जमीन ज्यों हीं हमने हांसिल कर तमाम निर्धारित लक्ष पूरे किये की फिर से दूसरी नई सायंस कोलेज झालोद को शून्य से शुरु करने के आदेश दिये गये. शिक्षा कमिश्नर मैडम को हमें रगेड़ने में बहुत मज़ा आता क्या करें हमारा धनी कोई नहीं वैसे भी हम अनाथ हैं राजनैतिक भी कोई हमारा माई बाप नहीं जिनके हैं वे अहमदाबाबाद गाँधीनगर में मज़े कर रहे हैं. क्या जमाना है उच्चशिक्षा विभाग गुजरात की कोलेजों में चीलें और कौए जलेबी खा रहे हैं और हम हेचुं हेचुं करते दर बदर वज़न ढो रहे हैं. हमारे गुजरात के नाथ भी कुछ नहीं करते वे आँखे बंद किये हुए हैं और हमारी मिट्टी पलीद हो रही है. हमें मित्रों ने बताया कि तुम सुब्ह आँख बंद कर ओइम नमो नमा का जाप क्यों नहीं करते गुजरात के नाथ तक तुम्हारी पुकार पहूँच जायेगी मंत्रों की शक्ति में जबरदस्त ताकत होती है. हमने कहा कर तो रहे हैं पर वह नारीशक्ति के आगे फेल है कमिश्नर मैडम के आगे सब फेल है.
हमें राजस्थान की मात्र ५ किमी.की.सीमा से सटे झालोद के सरकारी विश्राम घर में सात दिन तक नींद नहीं आयी तन्हाई की साथ ठंड का ज़ुल्म भी कुछ कम नहीं था टेशन टेंशन में १६० वी.पी.की जो टेबलेट डॉक्टर ने अहमदाबाद में खाने की सलाह दी थी साथ ही पत्नी ने कहा था कि मैं दवा की याद दिलाती रहूँगी वे भी भूल गयीं और हमने तो अपनी फिक्र भला कब की है.
हमने ज्यों ही जोइन डायरेक्टर फिटर साहब को आदतन रोष प्रकट करते हुए बताया कि हमें इस तरह परेशान करने का मतलब क्या हैं हमारा परिवार अहमदाबाद, दूसरा घर १८० किमी. शहेरा और अब तीसरा घर २७० किमी.आपने कर दिया. वे बोले चुपचाप झालोद चले जाओ इसमें भलाई है मैडम का गुस्सा पता है न किलोमीटर और बढ़ जायेंगे कच्छ भुज फिकवा देंगी फिर रोते रहना.
मैं समझ गया पहले मैडम ने  पहले अहमदाबाद से दवा कर शहरा सरकारी आर्टस कोलेज का चार्ज देकर १ जनवरी २००९ को पटका था अब दूसरा डोज़ है.नई खुली शहरा कोलेज का काम पूरा हो गया अब दूसरी नई सायंस कोलज झालोद में रगेड़ो.


जाने  कमिश्नर मैडम का ट्रांसफर कब होगा तीन साल तो हो गये.
मैंने जोइन डायरेक्टर फिटर से कहा एक प्रिंसीपल एक कोलेज से दूसरी ९० किमी दूर की कोलेज को कैसे चला सकता है ? वे बोले आधे आधे दिन दोनों जगह रहना.
हमारा एक घर अहमदाबाद जहाँ बेटी उच्चशिक्षा प्राप्त कर रही है कल २१-०१-२०११ ही सी.ए.एन्ट्रेंस परीक्षा के घोषित परिणाम में २०० में से १६२ प्राप्त कर  उसने अपनी सफलता दर्ज की उसे पांच साल अहमदाबाद ही रहना है. .  
सो हमारी इकलौती पत्नी और इकलौती बेटी  अहमदाबाद में रहती है है  बेटा गुजरात नेशनल लॉ युनिवर्सिटी गाँधीनगर अंतिम पाँचवे वर्ष में पढ़ रहा है. हम घर में मात्र चार लोग वो भी इधर उधर.  
हमारा पहला घर अहमदाबाद के साथ दूसरा घर दो वर्ष से १८० किमीं दूर शहरा था ही जहां हमारी रेग्युलर प्रिंसीपल की पोस्टिंग हैं अब तीसरा सायंस कोलज झालोद राजस्थान की सीमा पर होगा.


अभी तो जिला पंचायत के विश्राम घर में में सात दिन रहना हुआ एक रात भी सो नहीं सका.नई जगह नये लोग और फिर जानलेवा तन्हाई उस पर कातिल ठंडी मैंने चौकीदार से दूसरा कंबल देने को कहा उसने बातों ही बातों में बताया साहब यहाँ से राजस्थान सिर्फ पांच किमी. है मैं समझ गया कि वह क्या कहना चाहता साथ एक विशेष हवा के झोके ने बता दिया कि उसकी बात का सबब क्या है देशी की गंध कमरे में भर गयी. मैंने कहा तुम कंबल ला दो बस.


अपने १० साल के एन.सी.सी. कार्यकाल में फौजी अफ्सरों के साथ केंप में टेन्ट मे रहा हूँ ठंडी उड़ाने के दूसरे उपाय मालुम थे पर फिलहाल पोस्ट प्रिंसीपल की है क्या करें. सिगरेट भी तन्हाई और अकेले पन में चुपके से पीनी पड़ती है. रात में ब्रिस्टोल काम आयी. अहमदाबाद में पत्नी से पूछ कर पानी पीना पढ़ता था. सिगरेट की तो बात ही क्या कभी किसी दोस्त ने पिला दी तो पान खाकर राज़ को राज़ रखना. रात को ९ वजे के बाद आओ तो उनका डायलोग ये शरीफ़ों के आने का वक्त है सुनना पड़ता था.चलो इससे तो निंज़ात मिली दोस्त कहते हैं अभी भारत आज़ाद है. पर वैसा नहीं है प्रिंसीपली का बंधन जो है.
अभी तो सरकारी गेस्ट हाउस में बैग पटक झालोद के कुछ तीन दिन में बनाये मित्रों से तीसरा घर ढ़ूढ़ने को कहा.
उच्चशिक्षा कमिश्नर कचेहरी गाँधीनगर से फोन पर फ़र्मान छूटा ता.२१-०१-२०११ सुब्ह ११ बजे गाँधीनगर कमिश्नर मैडम सभी कोलजों की मीटिंग लेगी हाज़िर हो.
मीटिंग में सभी प्रिंसीपल ने स्टाफ का रोना रोया लायब्रेरियन नहीं स्पोर्ट टीचर नहीं वाचे गुजरात खेल गुजरात उसके बिना हो गया. हमने तीन साल से पेपर पर खुली झालोद सायंस कोलेज में तुरंत स्टाफ की नियुक्ति की मांग की पर शाइद ही कुछ हो. मीटिंग ईटिंग चीटिंग का खेल हमें मालुम है आठ महीने पहले भी ऐसी ही मीटिंग हुई थी क्या हुआ जैसे थे.


मोडेल राज्य गुजरात की मोडेल कोलेज के मोडेल प्रिंसीपल के रूप में हमें सब कुछ करना है. बच्चे पढ़ रहे है उनका सेट होना बाकी है ये हमारी मजबूरी भी है सो क्या करें.  इंचार्ज प्रिंसीपल अहमदाबाद गाँधीनगर सेटिंग से मज़े कर रहे हैं हमारे जैसे बोर्डर पर.
 हमारा जून में एन.सी.सी का कमीशन खत्म हो जायेगा शिक्षा सचिव अडियाजी से मिले तो आश्वासन दिया कि मार्च में याद दिलाना देखें क्या होता है.
कोई पूछे तो अब  हम क्या बतायें कि आजकल  कहाँ हैं ? ब्लाग टाइटल लोकेशन के आधार पर ही शहेरा और झालोद राजस्थान के पास रखा है हे प्रभु दीनानाथ तुम अगर कहीं हो तो हमारी सुनो इस जनम तो हमें प्रिंसीपल बनाया अगले जन्म मोहि प्रिंसीपल न कीजो नरक में दीजो डार क्योंकि तन्हाई और बेइंसाफी को जो हम  फिलहाल नर्क झेल रहे हैं वो इस नर्क से बेहतर होगा.


 इसी के साथ एक अच्छी खबर में झालोद सायंस कोलेज से हमें महिला आर्टस कोमर्स कोलेज दाहोद की प्रिंसीपल श्रीमती पारुलसिंह ने अपने कोलेज के वार्षिक उत्सव पर अतिथि विशेष के रूप में (सरकारी जिला सांस्कृतिक सप्तधारा संयोजक दाहोद पंचमहाल) आंमत्रित किया. छात्राओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम ने मन मोह लिया. ब्लाग पर स्लाइडशो उसी कार्यक्रम का है. इस कार्यक्रम में  दाहोद नगर के उद्योगपति श्री बदरी प्रसाद दुबेजी, दाहोद नगर सेवा सदन की प्रमुख साहिबा श्रीमती संतोष बहिन पटेल एवं कोलेज के संचालक धानका दंपति ख़ास उपस्थित रहे.


प्रिंसीपल पारुल सिंह ने बताया कि पंचमहाल की ग्रांटिड और स्वनिर्भर तमाम कोलेजों को उच्चशिक्षा कमिश्नरने स्वर्णिम गुजरात के तहत विविध सांस्कृतिक धाराओं हेतु ग्रांट दी है किन्तु दाहोद की स्वनिर्भर कोलेज १- महिला आर्टस कोमर्स कोलेज दाहोद. २-महिला बी.एड. कोलेज नगराडा.३- बी.एड. कोलेज सिंगवड.४ बी.एड. कोलेज झालोद ५.कोलेज आफ एज्युकेशन दाहोद अभी तक वंचित हैं. दाहोद जिले की ही एक स्वनिर्भर कोलेज सुखसर ने अपनी राजकीय पहुँच से ग्रांट ले ली है. मैंने कहा कि मैं उच्चशिक्षा कमिश्नरश्री को सरकारी जिला कोर्डिनेटर के नाते बताऊँगा कि आप सब को न्याय मिले. वैसे वहां सेंटिंग फार्मूला ज्यादा काम करता हैं अगर हमारी वहां चलती होती तो हम क्यों दर बदर भटक रहे होते. उल्लेखनीय है कि पंचमहाल और दाहोद के ग्रांट प्राप्त करने वाले किसी भी प्रिंसीपल ने अपने कोलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रम को रूबरू नहीं बताया वे ग्रांट कैसे लें और फिर कैसे उसे डकारें उसमें विश्वास रखते हैं.
महिला आर्टस कोमर्स कोलेज दाहोद के आदिवासी छात्राओं की सांस्कृतिक कार्यक्रम की अद्भुत प्रस्तुति पर समग्र कोलेज परिवार को अपनी शुभकामनायें देता हूँ और वही मेरे हाथ मैं है.अंत में राष्ट्र कवि दिनकर के शब्दोमें कहूँ-
यदि विजय कहें तो विजय प्राप्त हो जाती है परतापी को भी.
 सच है धन,दारा, जन, मिल जाते हैं पापी को भी.
डॉ.सुभाष भदौरिया प्रिंसीपल सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा&इंचार्ज प्रिंसीपल सरकारी सायंस कोलेज झालोद.(सरकारी जिला कोर्डिनेटर स्वर्णिम गुजरात जिला पंचमहाल एवं दाहोद. ता.२२-०१-२०११ मोबा.९७२४९ ४९५७०

8 टिप्‍पणियां:

  1. Dr Subhash,

    Well written article.

    There are several examples that Gujarat Govt Higher Education department has violated seniority and General Administration Dept (GAD)guideline in transfers. Few things I can add
    is Mr Manoj Upadhyay is more than 65 yrs of age and can not be appointed as an administrator as per UGC Guidelines and GR of Education department Gujarat State. even though he is holding the post senior to Class-1 , he presides over the functions, instruct Class-1 officer and assign duties which is not at all acceptable to me. moreover Manoj Upadhyaya is appointed on pay minus pension basis which is also illegal.As per GR Finance retired class-2 officer will be paid only rs 15000 fix per month. this is misuse of govt money.
    Not any person should be appointed as full time administrator after the age of 65.that to he class-2 and working as a boss of class-1, Hierarchy/seniority in govt should be respected as this is not the private shop of anybody.
    such appointment in gandhinagar keeps us away from our family so such appointment should be stopped immediately.
    another thing if authority asks us to achieve the target without giving enough staff is very unnatural. no reaping is possible without sowing seed( Bij boye bina dhanya nahi milta)
    third point is big govt colleges are without regular principal. and see the case that juniormost lady lecturer who is not even qualified or PHD, are only appointed as incharge principal in govt colleges of gandhinagar. It seems that the administrator wants "yes man" only.
    In my opinion, Principal Secretary education Gujarat state must convene a meeting to short out this prob after discussion with both the parties.else this prob would take serious shape in coming time.

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  2. Principal Dr.kamal chhaya You are only one principal in Government colleges of Gujarat who is active new technology internet, blog excreta. You are Ph.D. in physics. But by injustice by Gujarat higher education department you are shifted in Chikhaly Science College near Bulsad Dist. in south Gujarat new college.

    When you said in meting in principals date 21-01-2011 in Gandhinagar Science College that because your science college Chikhly new and not get recognition as per U.G.C. guide line your science project work was not accepted by U.G.C. It shocked me very much.
    While in Gandhinagar Government science college in charge principal lady is not qualified for the post of principal, She is not Ph.D.& 15 years teaching experience but she is enjoying principal ship in Gandhinagar Same case in my mater in Government Arts college Gandhinagar in charge principal lady is also not qualified for same. It is tragedy or comedy of our Gujarat higher Education Department. Who is behind of them ?

    These happening very tactfully by the higher education commissioner office special team of our retired class two officer Director higher education Manoj Upadhyay sir, and our junior most principal as Join Director Purohit sir and other . It is very surprise to us that Our higher education commissioner madam is not aware of this conspiracy of them.

    In this all issue our education secretary of Gujarat respected Adia sir (I.A.S.) must take meting of all regular principal class one immediately and must short out all injustice done by their education Department of Gujarat.

    Principal Dr Kamal Chhaya I also request you to pay attention of our respected C.M.Sir Narendra Modi by male and his website http://narendrmodi.in. He must know that what happening in Gujarat higher education department.

    I congratulate you again to boldly accept my voice for justice. Thanks Principal Dr.Chhaya . Can I say hindi-

    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
    देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए क़ातिल में है.
    Principal Dr.Subhash Bhadauria ( Gujarat Educatin class- 1)
    Government Arts college Shehara& Government science college Zalod.

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  3. Pls ignore my earlier comment, there were few typographical mistakes. the final comment is as below:-
    सुकरात को जहर, इसा मसीह को सलीब और गाँधी को गोली मारने की परम्परा अभी तक ख़तम नहीं हुई है...आप जैसे भले और संवेदन शील इंसान के साथ जो हो रहा है वो इस बात का सबूत है...पता नहीं कब सच्चे इंसान के साथ इन्साफ होगा. आपकी ग़ज़ल आपकी तल्खियों को बहुत ख़ूबसूरती से उजागर करती है...इश्वर से दुआ करते हैं के आप पर छाये अन्याय के बदल जल्द छटें और सुख शांति की बहार फिर से लौट आये...मेरी ग़ज़ल के कुछ शेर आपके हालत की नुमाइंदगी कर रहे हैं :

    सच्चा तो सूली पर लटके
    लुच्चे को है माफी प्यारे

    उल्टी सीधी सब मनवा ले
    रख हाथों में लाठी प्यारे

    सोचो क्या होगा गुलशन का
    माली रखते आरी प्यारे



    नीरज

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  4. Dear Dr. Bhadauriya,

    Regarding your expression of agale janam main..... I am reminded of the following:
    This may sound like Mirabai's famous line

    "Jo main aisa janati prit kiye du:kh hoy,
    Nagar dhindhora pitati prit na kije koi".

    All our suffering and pains have a poetic aspect.
    The difference between a suffering victim and a mystic is that of a kind and its degree may be variable.

    --
    With Regards

    Y V Rathod
    (Principal)
    R R Lalan College,
    Bhuj-Kutch.,
    370001

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  5. Respected principal Rathod.
    You send me above mail in my mai adress.subhash_bhadauriasb@yahoo.com.

    I published it to copy it here.Thanks

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  6. Principal PARUL SINGH (Mahila Arts and Commerce College, DAHOD)

    Respected Sir

    It was indeed our pleasure welcoming you during the annual day event held on 13 Jan. We our team are heartily thankful to you for giving your precious presence at that day.

    Sir we are always with you... and hope that your guidance will always there with us in future as of today...

    Thanking you once again

    Principal. PARUL SINGH
    MAHILA ARTS AND COMMERCE COLLEGE
    DAHOD

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  7. RESPECTED SIR,
    I LIKE YOUR ATTITIDE HOW TO BEHAVE IN TWO DIFFICULT CIRCUMSTANCES. AND GET FULL JOY FROM THE PROBLEM. I LEARNT MANY THING FROM YOUR ATTITUDE.

    NARENDRA S.Y B.A ECONOMICS

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