रविवार, 27 मार्च 2011

ऊँगलियाँ कटायेंगे मेरी, सूली भी चढ़ायेंगे अब वे.



ग़ज़ल

हाथों ने बजाई न ताली तो सबक सिखायेंगे अब वे.
ऊँगलियाँ कटायेंगे मेरी, सूली भी चढ़ायेंगे अब वे.

अपनी मनमानी करने को इल्ज़ाम लगायेंगे अब वे.
टेरिस्ट बताकर के हमको गोली मरवायेंगे अब वे.

अँधों को बताया गर रस्ता, आँखें फुड़वायेंगे अब वे,
सच जो भी कहेगा भूले से, जिह्वा कटवायेगें अब वे.

मुग्लेआज़म की हुकूमत में ज़िन्दगी अनार कली सी है,
दीवार में अब बेचारी को ज़िन्दा चुनवायेंगे अब वे.

सूरज का उजाला न पहुँचे दड़बों में गरीबों के अब तो.
रजधानी में ऊँचे ऊँचे टावर बनवायेंगे अब वे.

चहूँओर-अमन, चहूँओर-चमन चहुँओर खुशाली नाचे है,
रथ पर बैठे जब गुज़रेंगे भोंपू बजवायेंगे अब वे.

भाषा संस्कृति सब समझ,समझ हम उम्र गवां बैठे अपनी,
बगुले-कौओँ से हंसों को मछली खिलवायेंगे अब वे.

चिंगारी बदले शोलों में ले जायें हवायें महलों तक,
वो ज़ुल्म की चक्की में देखें कब तक पिसवायेंगे अब वे.

दामन जो देखें भूले से तो दाग़ समझ आयें उनको,
फैलेंगे उतने ही ज़्यादा जितना धुलवायेंगे अब वे.

मुंसिफ़ भी वही क़ातिल भी वही इंसाफ हमारा क्या होगा,
झोपड़ी के साथ हमें ज़ल्दी ज़िन्दा जलवायेंगे अब वे.

 (ऊपर फोटो देखने हेतु निशान पर क्लिक करें. )
ता.14-3-2011 की लिखी गुजरात राज्य उच्चशिक्षा विभाग की कारण दर्शक नोटिस मिली और ता.15-03-2011 का लिखा हमारी शहेरा सरकारी कोलेज से 90 किमी.दूर झालोद सायंस कोलेज से मुक्ति का आदेश ता.25-03-2011 को जोइन डायरेक्टर डॉ.फिटर की सही से मिले. उन्होंने नोटिस में जबाब तलब किया है कि मैं अपने ब्लाग में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करता हूँ. गुजरात की सरकारी कोलेजों के गुगग्ल मेल से ब्लाग को जोड़ता हूँ. इल्ज़ाम ये भी है राज्य के मुख्यमंत्रीमोदीजी को भी ब्लाग से जोड़ता हूँ.
 सात दिन में जबाब दो अन्यथा गुजरात जाहेर सेवा के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी.
हमने जोइन डायरेक्टर फिटर साहब के मोबाइल नंबर 99240 48499 पर बात करने की कोशिश की कैसे जबाब दूँ पर मोबाइल व्यस्त. वाह भाई वाह ये वही साहब हैं गाँधीनगर हमारे आने पर साथ में खाना खाते हैं कोलेज की प्रोग्रेस की बधाई देते है और दूसरी तरफ नोटिस
मामला सरकारी कोलेज की बेंच की खरीदी का था  जो हमने 2119 रुपये की एक खरीदी (स्लाइडशो में देखें उसे) जोइनडायरेक्टर फिटर और उनके बायें हाथ कमिश्नर कचेहरी के ओ.एस.डी. आर.के.शाह ने कोलेज दी गयी 6 लाख की ग्रांट में  प्रति बेंच 10000 (दसहजार) रुपये की खरीदने के आदेश देने को कहा था.
 सब प्रिंसीपलों से गुजरात कोलेज में आदेश लिए गये हमने अहमदाबाद आने से मना किया तो मिस्टर आर.के.शाह ने फेक्स से आदेश देने को कहा पर हमने इस तरह के आदेश बिना शिक्षा कमिश्नर के लिखित आदेश के मना किया था.
10000 की सरकारी बेंच जेल विभाग से खरीदने का आदेश एवं ट्रेज़री से बिना माल आये पैसा निकालने की सलाह सब प्रिंसीपल को दी गयी थी. चूंकि प्रिंसीपल के प्रमोशन के साथ ही हम सब की एडमिनिसट्रेटिव ट्रेनिग स्पीपा अहमदाबाद हो चुकी थी सो हमने बिना टेन्डर किये डॉयरेक्ट बिना उच्चशिक्षा कमिश्नर के लेखित आदेश के मना किया था. जब 2119 रुपये की बढ़िया से बढिया प्रति बेंच टेन्डरिंग से हमने खरीद ली फिर 10000 रुपये की खरीदें तो वही हाल होगा माल खाये मरियम मार खाये फातमा.
माल मरियम पार्टी को नहीं मिला सो नोटिस का डंडा फातमा यानि हमें दे मारा.


भई वाह एक तरफ हमारे राज्य के मुख्यमंत्री श्री मुख्यमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदीजी का नारा है न खाता हूँ न खाने देता हूँ.
 हम नये 20 प्रिंसीपलों को प्रमोशन माननीय मुख्यमंत्रीजी 15 साल की अध्यापकीय सेवा एवं पीएच.डी.की उच्च डिग्री के बाद ता.13-11-2009 को दिया था.
हम लोग उन्हीं के बताये पथ पर न खाते हैं न खाने देते हैं चलने की कोशिश कर रहे हैं पर उच्चशिक्षा विभाग कमिश्नर कचेहरी के अधिकारी गण अपनी मनामानी करने के लिए मौखिक डरा धमकाने के बाद लेखित का सहारा ले रहे हैं.


अपनी तस्वीर में उँगलियों पर नज़र पड़ते ही उपरोक्त ग़ज़ल हो गयी. हमारी सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा जो जून 2008 में खुली हमने जनवरी 2009 में चार्ज लिया तब मात्र 135 विद्यार्थी थे अब 600 की तादाद है.रिजल्ट में गुजरात युनिवर्सिटी परीक्षा में प्रथम द्वतीय वर्ष में कुल मिला कर 30 प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं इस बार ये आंकडा 50  को पार करेगा क्योंकि हमने लायब्रेरी में वाचे गुजरात अभियान के तहत 50000 की किताबों के साथ ए.सी. लायब्रेरी की सुविधा  दी.
इस समय गुजरात युनिवर्सिटी की द्वितीय वर्ष की परीक्षा में छात्र अपने जूते चप्पल बाहर उतार गंभीरता से लिख रहे हैं उन्हें पता है कि कि क्लास में सी.सी.केमरे लगे हुए हैं और कोलेज के प्रिंसीपल अपने कक्ष में 32 इंच की स्क्रीन पर सारी हरकत पर नज़र रखे हुए हैं. चौबिस घंटों की 15 दिन तक की रिकोर्डिंग सेव रहती है. कोई परिन्दा भी पर मारे तो स्क्रीन पर दिखाई देता है. कोलेज में तीन साल कब हो गये किसी को पता नहीं. बेहतरीन साउन्ड सिस्टम, तमाम संगीत के साधन, ओल लाईन बाइसेग लेक्चर की सुविधा इंटरनेट ब्लाग आन लाइन परीक्षा के फोर्म भरने से छात्र छात्रायें परिचित है.


वे समझते हैं कि हमें अहमदाबाद गाँधीनगर आना है अपना स्वार्थ है पर ऐसा नहीं है. हमारी एन.सी.सी. सेवा का सुपरनिमरी काल जून के प्रथम सप्ताह में खतम हो जायेगा उससे पूर्व किसी भी एन.सी.सी.युनिट वाली कोलेज में रखने की हमारी मांग हैं. कोई यूनिफोर्म वाला ही यूनिफोर्म छिन जाने का ग़म जानता है. केप्टन तक के प्रमोशन के लिए कितने कोर्ष नागपुर कामटी मे किये थे सब याद है नई कोलेज होने के कारण यहाँ एन.सी.सी.मांग के बाद नहीं मिली कोलेज के पास बिल्डिंग ही नही स्कूल में चल रही है.






डॉ.फिटर जैसे जोइन डायरेक्टर क्या जाने


लाश दरिया पे तैरती ही रही डूबने के लिए ज़िन्दगी चाहिए.
बेटा गुजरात नेशनल युनिवर्सिटी गाँधीनगर अंतिम वर्ष में है अगले साल किसी अन्य राज्य में चला जायेगा. बेटी सी.ए.की सी.पी.टी. परीक्षा पास कर आई.पी.सी.की अहमदाबाद में तैयार कर रही है और हम नोटिस का जबाब ब्लाग पर दे रहे हैं.
 क्योंकि उन्होनें ब्लाग को घसीटा है तो उस पर ही ठीक है. जब राज्य के सुप्रिम कमान्डर  मुख्यमंत्री श्री नरेनद्रमोदीजी ब्लाग ट्वीटर.तमाम तकनीक का प्रयोग करते हैं तो हम क्यों पीछे रहें.


 एक वर्ष पूर्व सी.एम.ओ. आफिस से हमें मुख्यमंत्रीजी का बधाई संदेश टेलीफोन से उनके मीडिया एडवाइज़र हीरेनजोशीजी से मिला था उन्होंने कहा था कि सी.एम. सर ने तुम्हारा ब्लाग देखा है तुम्हें बधाई दे रहे हैं तब बहुत खुशी हुई थी.
 वे कहते हैं कि गुजरातियो पढ़ो फिर वह मेरी निंदा ही क्यों न हो उन्होंने मुझे आज तक कभी नहीं रोका यदि उनके कार्यालय से एक भी मेसेज आया तो मैं निश्चित उच्चशिक्षा विभाग के बारे में लिखना बंद कर दूँगा.


बाकी तो फिटर साहब तुम नहीं जानते कि हमने भाषा पर ही पीएच.डी की है उर्दू,हिन्दी,गुजराती ग़ज़लों की तुलना पर 1990 में.

1983 में गुजरात युनिवर्सिटी गोल्डमेडल अपने हिन्दी विषय में प्राप्त किया था. प्रिंसीपल के साथ हमारे नाम के पूर्व केप्टन भी अभी लिखना ज़ारी है सो मौखिक या लेखित धमकियों से मैं डरने वाला नहीं हूँ.

आप अपना काम ढ़ंग से नहीं करते ईडर  की प्रिंसीपल का चार्ज भी आपके पास है कितने दिन कोलेज जाते हैं आप गाँधीनगर कमिश्नर कचेहरी में मीटिंग ईटिंग चीटिंग का का खेल करते हैं.
  कहीं मुख्यमंत्री मोदीजी को पता चल गया तो तुम कहीं झालोद सायंस कोलेज में न रख दिये जाओ क्योंकि पिछले तीन महीनें से तुमने झालोद सायंस का अतिरिक्त  चार्ज मुझे देकर परेशान किया किसी भी टीचिंग नोनटीचिंग की  वहां पर आज तक नियुक्ति नहीं की.
तुम्हारे साथ खाने का फोटो लगाया है अभी अच्छे लग रहे हो साथ में खाते वक्त और हमारी तारीफ करते वक्त पर पीठ में नोटिस का छुरा भोंकते वक्त बिलकुल अच्छे लग नहीं रहे.

कभी हमारा फोन उठाओ तो इतना ज़रूर बताना कि ये नोटिस का छुरा किस के कहने पर भोंका किसने उस पर धार चढ़ाई तीन दिन से परेशान हूँ मैं और तुम मोबाइल 99240 48499 को बिज़ी बता रहे हो.


वैसे मुझे इस पर कोई आश्चर्य नहीं उच्चशिक्षा कमिश्नर कचेहरी ने इससे पूर्व पुलिस भी एक साल पहले भेजी थी कि मैं कहीं तुम लोगों के त्रास से ख़ुदकशी न कर लूँ. शहेरा गांव में पुलिस सब इंस्पेक्टर ने स्टेटमेंन्ट लिया था कि मैं कहीं कोलेज में मर न जाऊँ मैने उन्हें लेखित में बताया था कि ऐसा कुछ नही हैं वे चाहते हैं मैं ऐसा करूँ पर बेटा बेटी उच्चशिक्षा प्राप्त कर रहे हैं सो ऐसा कुछ नहीं करूँगा.
 तुमने तो सिर्फ नोटिस भेजी पुलिस कब भेजोगे ? बताओ उसी का अब इंतज़ार रहेगा.


और हाँ इस पोस्ट को अपने साथी प्रिंसीपल सरकारी आर्टस कोलेज के गुग्गल ग्रुप से अटैच कर रहा हूँ ताकि वे तम्हें पहिचान सकें. साथ ही इस ब्लाग का लिंक माननीय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्रमोदीजी को भी दे रहा हूँ उनके मेल पते पर ताकि वे जान सकें कि क्या हो रहा है उनके उच्चशिक्षा विभाग गुजरात में.
 मेरी मांग है उनसे कि वे नीरक्षीर विवेक रखते हैं दूध का दूध पानी का पानी करें जो भी कुसूरवार हो उसे सज़ा अवश्य दें प्रिंसीपल डॉ.भदौरिया या जोइन डायरेक्टर फिटर को.आमीन..


प्रिंसीपल डॉ.एस.बी.भदौरिया सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा.ता.27-03-2011




















2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सुभाष जी वाह...तेज़ाब में डूबी ग़ज़ल कही है आपने...जिंदाबाद जिंदाबाद...
    नीरज

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  2. वाह वाह आप तो शेर निकले . सभी principal को बोलना चाहिए ....

    अभिमनंदन

    प्रोफे. महेन्द्रसिंह गोहिल
    देवग़ढबारी

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