आया करीब दिल के जो उसने दग़ा दिया. ग़ज़ल |
जीना तुम्हारे बिन भी तो तुमने सिखा दिया.
तुमने कहा था हमको भुला दो, भुला दिया.
अब क्या कहें अख़ीरी में,किस किस का नाम लें
आया करीब दिल के जो उसने दग़ा दिया.
होटों से मुस्कराते रहे महफिलों में हम,
आये जो अश्क आँख में उनको छुपा दिया.
इक बूँद थी तो तुम को कोई, पूछता न था,
मुझमें गिरीं तो तुमको समन्दर बना दिया.
हम दर बदर भटक रहे हैं तुमको क्या पड़ी,
तुमने तो खैर अपना नया घर बसा दिया.
सब झूट कह के आपकी आँखों में बस गये,
सच हमने क्या कहा कि मेरा घर जला दिया.
डॉ.सुभाष भदौरिया.ता.20-08-2011.
इक बूँद थी जब तुम को कोई, पूछता न था,
जवाब देंहटाएंमुझमें गिरीं तो तुमको समन्दर बना दिया.
सभी शेर एक से बढ़कर एक..... वाह!
शरदजी बहुत दिनों से बीमारी की वजह से गज़लों का कहना रुक गया था.
जवाब देंहटाएंकभी ग़मे-दौरां तो कभी ग़मे-जाना दिल पर दोनों दबाव बनाते हैं.
इक बूँद थी तो तुम को कोई पूछता न था,
मुझमें गिरीं तो तुमको समन्दर बना दिया.
आपने उपरोक्त शेर टंकित किया तो वज़्न पर नज़र गयी देखा जब पर बहर के रुक्न टूट रहे थे तो लिख कर दुरस्त कर लिया तो को भी तु पढ़ना पढ़ेगा.
वास्तव में ये उर्दू की बहुत कठिन बहर है इसके अरकान हर पंक्ति में
221 2121 1221 212 हैं
उर्दू में इसे मफऊल-फाइलात-मफाईल-फाइलुन कहा जाता है.
शहरयार कि मश्हूर निम्न ग़ज़ल इसी बहर (छन्द) में है-
दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए.
या हिन्दी ग़ज़लकार मर्हूम दुश्यन्तकुमार
खंडहर बचे हुए हैं इमारत नहीं रही.
अच्छा हुआ कि सर पे कोई छत नहीं रही.
ब्लाग की दुनियां में लोग ग़ज़ल पर संज़ीदा नहीं हैं जिजी नचती हम भी नाचेंगी का खेल चल रहा है.
मैं भाषा में तो छूट लेभी लूं पर छन्द को नहीं छोड़ता.
आप साहित्य कला, इतिहास की गहरी समझ रखने वाली हमारी परिपक्व पाठक हैं सोचा आपके साथ ग़ज़ल के शिल्प की बात कर ली जाये बकौले फ़िराक गोरखपुरी हम इतना ही कहेंगे.
उम्र भर का है तजुर्बा अपना,
उम्र भर शायरी नहीं आती.
शब्बा ख़ैर.
गजल की किस पंक्ति पर ना लिखूं
जवाब देंहटाएंगजब
1- गुड्डो दादी आपकी 70 वर्ष की उम्र में भी तस्वीर ग़ज़ब की है.पोते की ख़ैर ख़बर लेती रहिओ.
जवाब देंहटाएंडॉ.सुभाष भदौरिया जी,
जवाब देंहटाएंहिन्दी ग़ज़ल में यह छूट ली जा सकती है.
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html