गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

सरकार हमारे नाड़े में.

ग़ज़ल
तुम रोते ही रहना हर दम खटिया को पकड़कर जाड़े में.
चहुँ तरफा राज़ हमारा है, सरकार हमारे नाड़े में.

मंत्री, अफ़्सर, हीरो, जोकर, सब टपकाते हैं लार इधर,
छिप छिप कर खेलें खेल सभी, ऐसा जादू अगवाड़े में.
(सरकार हमारे नाड़े में)

योगी, भोगी, ढोंगी, लोभी, हमसे वे जीत सके न कभी,
चारों खाने चित हो जायें, लड़ने जो आयें अखाड़े में
 (सरकार हमारे नाड़े में)

अधरों से पिलायें हम मदिरा, हाथों में सौपें स्वर्ण कलश,
रफ़्ता रफ़्ता जन्नत का सफ़र हम करवाते अँधियाड़े में.
(सरकार हमारे नाड़े में)

ज़िन्दा जलवायें लाख हमें, मिट्टी में मिलायें लाख हमें,
हम राख से उभरेंगें हर दम मारेंगे लात पिछाड़े में.
(सरकार हमारे नाड़े में)

 प्रिंसीपल डॉ. सुभाष भदौरिया.

कल रात में सर्दी के और टेंशन के मारे सो न सका.गुजरात के उच्च शिक्षा विभाग की साज़िशों ने हमें हमारी इकलौती पत्नी से १९० किमी.दूर प्रिंसीपल के प्रमोशन के नाम पर तीन साल से ऐसी जगह पटका जहाँ खाने के लाले पड़ गये.एन.सी.सी.के कारण अहमदाबाद की सरकारी कोलेज का चार्ज शिक्षा सचिव ने ६ महीने से शिक्षा कमिश्नर से दिलवाया पर,शिक्षा कमिश्नर कचेहरी की षडयंत्र मंडली ने साजिश से एन.सी.डिप्टी डॉयरेक्टर गुजरात पर दबाव डाल कर एन.सी.सी. का चार्ज देने से मना करवा दिया. साथ में एन.सी.सी,के केप्टन रेंक को ख़त्म करने की तुरंत कार्यवाही करने का फ़र्मान भी दिलवा दिया.

इस साज़िश के पीछे कौन है इस के बारे में सोचते सोचते आँख लगी ही थी कि रात के अंतिम पहर में अचानक राजस्थान की बहुचर्चित भँवरी देवी सपने में आ गयी उससे जो बातचीत हुई उसी के आधार पर ये ग़ज़ल लिखी है. बातचीत के अंश इस प्रकार रहे.

मैंने ज्यों ही सपने में भँवरी देवी को घर पर देखा को देखा तो तपाक से कहाँ भँवरी जी आप मुझ ख़ानाखराब के यहाँ कैसे ?

वो बोली उज़डे लोगों में ढूँढ़ वफ़ा के मोती ये खज़ाने तुझे बेहतर है खराबों में मिले. मैं ख़ाना खराब के यहाँ जानकर आयी हूँ पर तुमने मुझे पहिचाना कैसे?

कह कर ठहाका मारकर हँस पड़ी मैनें कहा ग़रीब ने आपके बारें में इंटरनेट पर बहुत कुछ पढ़ा देखा है.

मैंने कहा पानी ही है घर पर पियोगी .

वो हँस पड़ी मैं पानी नहीं पीती.

तुम एन.सी.सी. में मिलेट्री अफ़्सरों के साथ रहे हो मेरा मतलब नहीं समझें.

मैनें कहा समझता तो हूँ पर इन दिनों प्रिंसीपली की ड्यूटी कर रहा हूँ. एन,सी,सी, तो ज़ालिमों ने छीन कर दूर दराज गाँव में फेंक दिया जहां एन.सी.सी.की कोई युनिट नहीं.युनिफोर्म छिन जाने का का ग़म बर्दास्त नहीं होता भंवरीजी.
मैंने गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव सबके पास प्रार्थना पत्र दिये ६ महीने से ट्रांसफर की फाइल मुख्यमंत्रीजी तक पहुँचने ही नहीं पायी क्या करूँ. क्लास वन अधिकारी होने के कारण ट्रांसफर फाइल मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री जी के पास जाती है उनके दस्तख़तके बाद ही मोक्ष होता है.शिक्षा सचिव अडिया साहब के सचिवालय से फाइल ६महीने से आगे बढ़ी  ही नहीं. इसी बीच हमारे दुश्मनों ने  एन.सी.सी.को स्वाहा कर दिया. एक मात्र रास्ता गुजरात उच्च न्यायालय बचा है.

भँवरी ने कहा हर सरकार नाड़े में है भदौरियाजी.

राजस्थान की सरकार को तो तुम जानते हो न ? मैनें कहा हाँ नाड़ा मंत्री ने तुम्हें ठिकाने लगाया और बाद में तुमने उसे.

पर हमारी गुजरात की सरकार ऐसी नहीं है हमारे मुख्यमंत्री तो योगी हैं.

भँवरी जोर से ठहाका लगाकर हँस पड़ी.

वे योगी हैं पर दूसरे नहीं न.गुजरात उच्चशिक्षा विभाग को नहीं जानते.

तुम्हारे गुजरात की सरकारी कोलेजों में बड़े शहरों अहमदाबाद गाँधीनगर में प्रिंसीपल के पद पर कौन हैं महिलायें तुम्हारे जैसों  को क्यों दूरदराज़ रगेड़ा जाता हैं.. क्यों सरकारी अध्यापकों के ही ट्रांसफर किये जाते हैं.

क्यों किसी सरकारी अध्यापिका के अहमदाबाद और गाँधीनगर से १० साल से गुजरात में टाँसफर नहीं हुए.

मैनें भँवरी देवी से पूछा ये तुम्हें कैसे मालूम वो बोली मैं तु्म्हारा ब्लाग पढ़ती हूँ. ग़ज़लों के साथ तुम गुजरात उच्च शिक्षा कमिश्नर कचेहरी की लीला भी तो लिखते हो तुम्हारी कमिश्नर मैडम तुमसे इसी लिए नाराज़ रहती हैं.

मैंने कहा भँवरीजी क्या करूँ.उच्च शिक्षा कमिश्नर कचेहरी में चापूलूसों की भीड़ है वे ही हमारे खिलाफ कान भरते रहते हैं.

पर मैंने कहा भँवरीजी आप मेरे सपने मैं क्यों आयीं.

वो बोली मैं तुम्हें समझाने आयी हूँ कि हर सरकार नाड़े में है.

चाहे राजस्थान की हो या दिल्ली या दक्षिण की नाड़ा लीला सब जगह है.

पर मैं तुम्हारे पास इसलिये आयी हूँ कि तुम अपने गुजरात के मुख्य मंत्री से कहो कि वे मेरी मदद करें. उनके घोर विरोधी पक्ष के सभी नाड़े में हैं वे अपने गुफ्तचरों को उस काम में लगायें. मेरी मिट्टी खराब हो रही है मुझे ढुँढ़वाने में मदद करें.

मैने कहा वे मेरी नहीं सुनते मेरे इष्ट देव हनुमानजी और इष्टनेता गुजरात के मुख्यमंत्री ही हैं पर वे दोनों फेमेली प्राब्लम नहीं समझते. सो मैंने उन्हें फरियाद करना ही बंद कर दिया. जाही विधि राखे राम ताहि विधि रहिए.पर एन.सी.सी छिनवाके उच्चशिक्षा कमिश्नर कचेहरी ने अच्छा नहीं किया.शिक्षा सचिव अडिया साहब की नहीं चलती पर मुख्य मंत्रीजी तो हमारे साथ हो रहे अन्याय की जाँच करवा सकते हैं.

मैने कहा भँवरीजी तुम क्यों हमारे गुजरात के मुख्यमंत्री के सपने में जा कर उन्हें मदद करने को नहीं कहती वे तुम्हारी सुनेंगे.

भँवरी बोली न बाबा न तुम्हारे मुख्यमंत्रीजी की सिक्युरिटी कितनी सख़्त है तुम जानते हो. मैं नहीं जा सकती. वे ठहरे योगी सिक्युरिटी से बच भी गयी तो उनके श्राप से बचना मुश्किल.

फिर वो धीरे से शर्माते हुए बोली मैं उन्हें पसन्द करती हूँ गुजरात का विकास उन्होंने किया है तुम राजस्थान आये तो तुमने रास्ते तुमने देखे थे.

मैने कहा वो तो है. गुजरात का विकास तो अँधो को भी दिखाई देता है.

मैंने कहा भँवरीजी जब सभी सरकारें नाडें में हैं उनके अफ़्सर नाड़े में हैं तो क्या हमें भी नाड़ा बोम्ब का निर्माण करना होगा.

वो बोली हाँ जैसे लोहा लोहे को काटता है उसी तरह नाड़ा नाड़े को मारता है. ये मंत्र तुम याद कर लो.

अचानक वह दर्द से कराह उठी मैनें कहां बहुत दर्द हो रहा है वो बोली हाँ ज़ालिमों ने बहुत कष्ट दिये मर कर भी रूह को चैन नहीं मिल रहा. केन्द्र की सरकार उन्हीं की है वे सब लीपा पोती कर देंगे. मैं अपने पढ़ोसी से बड़ी उम्मीद ले कर आयी हूँ गुजरात राजस्थान का पढ़ोसी है इस दृष्टि से मेरे भौगोलिक ही नहीं सांसकृतिक दृष्टि से भी नाता है. तुम नरेन्द्रभाई से कहो मैने कहा नरेन्द्रभाई वो बोली हाँ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई के नाम से ही गुजरात में जाने जाते है गुजरात के बाहर भले वे मोदी की नाम से विख्यात हों.

अंत में भँवरी बोली मैं गुजरात से मदद भी मांगती हूँ और आगाह भी करती हूँ अन्य सरकारों की तरह गुजरात सरकार नाड़े से बचे.

नाड़ा बोम्ब अणुबोम्ब से ज़्यादा ख़तरनाक है. ये ख़तरनाक हथियार आंतकियों के हाथ आ गया तो वे नाड़े में बोम्ब की जगह छिपा कैमरा लगा कर सब कुछ तहस नहस कर देंगे.

फिर गुजरात में बोम्ब विस्फोट की जगह नाड़ा विस्फोट होंगे.

मैने कहा भंवरीजी ऐसी बददुआयें मत दीजिये मेरे गुजरात को.
मैं परेशान तो हूँ पर गुजरात का हमेशा भला चाहता हूँ.

अचानक सुब्ह के गीत मेरे लाड़लो जागो का रिकोर्ड बजने लगा. वो बोली बातों बातों में सुब्ह हो गयी. अच्छा जाती हूँ भदौरियाजी.

फिर हँस कर बोली तुम सब पर ग़जलें लिखते हो मुझ पर लिख कर बताओ तो जानूँ.

ये ग़ज़ल आदरणीया भँवरीजी के नाम पूरे आदर के साथ नाम है जो मेरे सपनों में आयी. जिसके जिस्मकी तलाश तो सी.बी.आई. कर रही है पर उसकी रूह से जो हमारी बातचीत हुई वह पाठकों की नज़र है.
डॉ.सुभाष भदौरिया प्रिंसीपल सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा.
ता. ०९-०२-२०१२

















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