रविवार, 15 अप्रैल 2012

गुजरात की खुश्बू फैले है अब पार समन्दर के लोगो.


ग़ज़ल

पत्थर जो 
उछाले थे सबने,
घर  उससे  बनाया है हमने.


कांटे जो बिछाये  राहों में,
घर उससे सजाया है हमने.

लपटों औ धुओं की बातें कर,
इल्ज़ाम लगाते हो हर दम,


कुंदन की तरह अग्नि में बहुत
 खुद को भी तपाया है हमने.

गुजरात की ख़ुश्बू फैले है  
अब पार समन्दर के लोगो,


मेहनत से हमारी फ़स्लों को,
 बंजर में  उगाया है हमने.

तुम जात धर्म की बातें कर,
उलझाओगे कब तक सबको,


मिल जुल के बढेंगे सब आगे,
 रस्ता भी दिखाया है हमने.

वो जंग हो चाहे गलियों में,
वो जंग हो चाहे सरहद पे,


इंसा का लहू इंसा का ही है,
 ये राज़ भी पाया है हमने.

फौलादी जिसे तुम समझे हो,
 मग़रूर जिसे तुम माने हो,


आये जो कभी आँसू अपने
,हँसकर के छिपाया है हमने.

तीरों से बदन छलनी है मगर, 
वे अपने शिकस्ता तीर गिने,


हर वार पे दुश्मन के आगे
 कदमों को बढाया है हमने.

उपरोक्त ग़ज़ल गुजरात के विकास शिल्पी मुख्यमंत्री
 श्री नरेन्द्रमोदीजी के नाम है जिन्होंने गुजरात के देहात से लेकर शहर तक पिछले 10 साल में काया पलट कर रख दी. धूप,सर्दी, धूल धक्कड़ में गांवों की ख़ाक खुद ने तो छानी साथ ही अपने मंत्री मंडल के तमाम  वरिष्ठ सदस्यों को चलो तहसील कार्यक्रम के अंतर्गत भेज कर सरकार तुम्हारे आँगन में का अहसास करा उनकी समस्यायों का निदान कराया.  इस समय मेरी पोस्टिंग  सरकारी प्रिंसीपल के रूप  में गोधरा से 20 किमी.दूर शहेरा कोलेज में हैं. कोलेज के काम काज़ के लिए गोधरा से हिन्दू मुस्लिम सभी भाइयों का आना जाना रहता है. मेरा स्वयम  गोधरा आना जाना रहता है. सब आपस में हिलमिल कर रहते हैं. पर गुजरात को कोसने वाले गोधरा और गोधरा के बाद में ही उलझ कर रह गये. गुजरात का विकास अंधो को भी दिखाई देता है पर ये पतझड़ के अँधे नहीं समझते.
मेरा वास्ता गुजरात के उच्चशिक्षा विभाग से है आज से 10 साल पहले गुजरात में मात्र 26 सरकारी आर्टस कोमर्स सांयस की कोलेजें थी आज तमाम पिछड़े तहसील क्षेत्रों, गाँवों में सरकारी कोलेजें खोलकर संख्या 71 से ऊपर कर दी है. साथ ही 99 प्रतिशत गुजरात की अर्धसरकारी कोलेजों, स्कूलों की अध्यापकों ,प्राचार्यों की नियुक्ति मेरिट के आधार पर ओन लाइन कर भृष्टाचारियों की वाट लगादी है. सब मलाई खाने वाले रो रहे हैं हाय हमारे अधिकार छीन लिए. पर गुजरात के स्कूल कोलेजों में नियुक्ति पाने वालों नवयुवकों, युवतियों की लाटरी लगी है.
 गुजरात के सरकारी कोलेजों के अध्यापकों की नियुक्तियों की कार्यवाही गुजरात राज्य सेवा आयोग को सौंप दी गयी है .
मात्र शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं अन्य विभागों में दिन रात काम चल रहा है. अहमदाबाद की 10 वर्षो पहले सूखी पड़ी साबरमती नदी में पानी अब दोनों किनारों तक बारह मास रहता है, ग्रामीण इलाकों में चेक डेम बनाकर किसानों का पानी की सुविधा उपलब्ध कराके खुशाल बनाया गया है. बिजली इंटरनेट गाँवो गाँवों तक पहुँचा विकास यात्रा के साथ रोज़गार के अवसर सभी को उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
सबसे बड़ी बात गुजरात सरकार के आला कमान मुख्यमंत्री मोदी जी की ये है कि कहते है गुजरातियो पढ़ो वो फिर मेरी निंदा ही क्यों न हो. अगली सदी ज्ञान की सदी है. एक तरफ केन्द्र सरकार के मंत्री गण फेशबुक पर हो रही उनकी फ़जीहत से परेशान हो कर उसे बंद कराने की फिराक में है तो दूसरी तरफ गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री स्वंय फेशबुक पर सक्रिय रह कर आमोख़ास का जाइज़ा लेते रहते हैं.
गुजरात के नवयुवक फेशबुक पर अपनी कोलेजों की परीक्षाओं के समय पत्रक, सेमीनार के वीडियो,पिकनिक एन.सी.सी.,एन.एस.एस.की प्रवृतियों को आपस में विचार विनमय करते है. हमारी गुजरात कोमर्स कोलेज अहमदाबाद जिसका एडिशनल चार्ज हमारे पास है उसके छात्र छात्रायें फेस बुक चेट पर गुडमोर्निंग गुडईवनिंग के साथ उनकी समस्यायों को बता तुरंत उसका निदान करवा लेते हैं.
अब गुजरात के लोग चाहते हैं कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जी देश की कमान सँभाल अरुणाचल के अंतिम गाँव मियाऊँ  को  खुशाल बनायें जहाँ  रोशनी की किरण अभी तक नहीं पहुँची और जिसे निगलने के लिए दुश्मन ताक में हैं.मेरा एन.सी.सी. ट्रेक पर जाना हुआ हैं. उस क्षेत्र की दुर्दशा को मैंने स्वंय देखा है. देश की विपक्षी दल के रूप में कार्यरत पार्टी शीघ्रही गुजरात के विकास को देखते हुए उस की राह लेनी चाहिए. यू.पी. के चुनावों में तो  सोते रहने और गुजरात नज़र अंदाज़ करने पर चिड़ियों ने खेत चुन लिया. अब देश की बारी है सब को जागना चाहिए. क्योंकि बात सिर्फ चिड़ियों तक सीमित नहीं देश के लहलहाते खेतों की तरफ भृष्टाचारी सुअर तेजी से बढ़ रहे हैं. उन पर रोक लगनी चाहिए. गुजरात के मुख्यमंत्री मोदीजी के पास इसका शर्तिया इलाज़ है लोग आजमा के देखें आमीन.
प्रिंसीपल डॉ.सुभाष भदौरिया. सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा.जिला पंचमहाल गुजरात ता.15-04-2012



2 टिप्‍पणियां:

  1. तीरों से बदन छलनी मगर, वे अपने शिकस्ता तीर गिने,
    हर वार पे दुश्मन के आगे कदमों को बढाया है हमने.

    कुछ अलग सी पोस्ट सच्चाई से कही गयी बात अच्छी लगी

    जवाब देंहटाएं