सोमवार, 15 जुलाई 2013

आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात.



ग़ज़ल
 सच को देखो गुजरात,चमचे करते हैं घात, 
आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात.
तुम तो दिल्ली के सपनों में डूबे दिन रात, 
आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात.

सभी  कोलेज की बात,  सूनी  टीचर बिन   क्लास,
 ऐसे हैं अब हालात छात्र सोचें दिन  रात  कब आयेंगे साब.
आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात

पूछे बापू दिन रात,  हिन्दी गायब क्यों भ्रात 
दिल पे गहरा आघात,  कुछ तो बोलो गुजरात, 
आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात.

रोये रमण की मात, रोये असलम का बाप,
कोई सुनता न बात,  चूहे करते उत्पात, 
 माल खाये गुजरात, खूब गाये गुजरात ,
आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात.

खूब पीये गुजरात, खूब सोये गुजरात, 
ऐसे हैं अब हालात, लोग करते अपघात,
 चोट करने को अब भी है दुश्मन तैनात, 
आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात.

हमने घिस दी है जात, रोज सहते आघात,
सहमें-सहमें जज़्बात,फिर भी ज़िन्दा हैं तात,
रक्श करती दिनरात, है ये होटों पे बात, 
आँखें खोलो गुजरात, आँखें खोलो गुजरात.

हमारे गुजरात के  मुख्यमंत्रीजी पूना की कोलेज में छात्र एंवछात्राओँ को उच्चशिक्षा  का पाठ पढ़ा आये.

पर क्या उन्हें पता है कि राज्य की सरकारी कोलेजों में  अध्यापकों की ८००जगह खाली  हैं उनकी भरती प्रक्रिया  जुलाई के अंत में शायद पूरी हो, नेट, स्लेट, पीएच.डी उम्मेदवार मिलने से रहें. पिछले वर्ष एम.फिल.के  साथ अंग्रेजी एवं  विज्ञान  विषयों में अनुस्नातक प्रथम श्रेणी उम्मीदवारों  को लेना पड़ा था. किंतु  इसबार शिक्षा सचिवश्री ने एम.फिल एवं ३० वर्ष से अधिक उम्र पर रोक लगादी है.उम्मीदवार ओन लाइन फोर्म नहीं भर सकते.

गुजरात सरकार ने पिछले १० वर्षोमें २० सरकारी कोलेजों की जगह ७२ सरकारी कोलेजें  खोलीं करोडों  रूपयों की आलीशान कोलेज  की इमारतों का निर्माण किया.पर अध्यापक  बिन सब सून. 

 हम  इस समय जिस सरकारी कोलेज  में  प्रिंसीपल के रूप में कार्यरत हैं वहां  १६अध्यापकों  की जगह एक भी नहीं सभी करार आधारित थे.वेकेशन में छूटे कर दिये थे. नया सत्र १५जून से शुरू हो चुका है. जुलाई के अंत तक शायद कुछ अध्यापकों को भेजा जाय.

 गुजरात का उच्चशिक्षा विभाग इन दिनों राम भरोसे हैं.  3 महीने से शिक्षा कमिश्नर की नियुक्ति नहीं हुई.दो जोइन डायरेक्टर थे  उनका  १जुलाई २०१३को दिन दहाड़े एनकाउन्टर हो गया. दोनों को पूर्व जगह प्रिंसीपल   पर वापस कोलेजों में भेज दिया गया उनमें एक हम भी थे. 

ये सब  गुजरात के मुख्यमंत्रीश्री नरेन्द्रमोदीजी की अनुमति  एवं स्वर्ण हस्ताक्षरों से हुआ. जय जय गरवी गुजरात.

सरकार में क्लास-१ अधिकारी होने के नाते किसी भी नियुक्ति एवं ट्रांसफर में मुख्यमंत्री की फाइल  पर अनुमति  लेना गुजरात में आवश्यक  है. 

 प्राया किसी भी वर्ग-१के पदाधिकारी को सिर्फ ६महीने में नहीं बदला जाता जबतक कोई  मामला संगीन न हो.  हम दोनों के खिलाफ कोई संगीन मामला नहीं था.परंतु नये आये   शिक्षा सचिव को हम देखे नहीं सुहाये.
सो रात दिन वे हमें बदलाने में लगे रहे.आखिर अपनी मन की कर के माने.

अब उच्च शिक्षा कमिश्नर की कचेहरी में रहा कौन ?

खैर हमारा तो मोक्ष हो गया. जान बची तोलाखों  पाये लौट के बुद्धू घर को आये. गाँधीनगर की आबोहवा हमारे अनकूल भी कहां थी सो  गाँव शहेरा चले आये. गांधीनगर में  रात देरतक काम करने  के कारण कमर में तकलीफ बड़गयी. डॉ.ने ओपरेशन की सलाह दी  है.

 हम सोचते हैं शिक्षा सचिव कुछ् अध्यापक भेजदें तब आपरेशन करायें. बिस्तर पर कम से कम एक महीना पड़ा रहना  पड़ सकता है. कई शुभचिंतकोने कहा महीना भर नहीं उम्रभर की नौबत न आ जाये. आज तो ढाई घंटे की क्लास लेली और  फिर दर्द शुरू हुआ तो ब्लाग पे लिख मारा 

हमारा जो भी  हो पर अगर गुजरात के मुख्यमंत्रीश्री मोदीजी की आँख खुल जाय और गुजरात का  उच्चशिक्षा विभाग जो इस समय मरण सय्या पर  है उसका कुछ सही इलाज़  हो जाये तो हम अपना श्रम सार्थक समझेंगे.
डॉ.सुभाष  भदौरिया.

प्रिंसीपल सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा.जि.पंचमहाल गुजरात.
ता.१५-०७-२०१३

2 टिप्‍पणियां:

  1. bahut achchhi tarah se pol khol dee hai aapne sachchai yahi hai sabhi jante hain kintu sabhi namo namo rat rahe hain aapki himmat kee dad deni chahiye .nice post nice gazal .

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  2. और आप भी तो काबिले दाद हैं.जो इस सच्चाई को आपने खुले आम तस्लीम किया.गुजरात में स्वर्ग उतर आया है पूरे देश में स्वर्ग उतरेगा प्रभुने अवतार ले लिया है.ये लोग लुगाई भी क्या भरम में जीते हैं.आप हमारे गरीबखाने पर पहिली बार आयी हैं मैं आपका तहेदिल से इश्तकबाल करता हूँ और आपकी हौसला अफ़ज़ाई लिये मश्कूर हूँ मोहतरमा भगवान हाफ़िज़.

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