गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

प्रोब्लम, प्रोब्लम, प्रोब्लम.

ग़ज़ल
प्रोब्लम, प्रोब्लम, प्रोब्लम.
अब तो चारों तरफ प्रोब्लम.
 बेवफ़ा, बेवफ़ा, बेवफ़ा,
आज मयख़ाने आये हैं हम.
 तेरा ग़म, तेरा ग़म, तेरा ग़म,
जान ले ले ना अब तेरा ग़म.
 ली कसम, ली कसम, ली कसम,
भूलने की तुझे ली कसम.
 चश्मेनम, चश्मेनम चश्मेनम,
हो गयी आज फिर चश्मेनम.
 है करम, है करम, है करम,
दूसरों पे है उनका करम.
 हैं सनम, हैं सनम, हैं सनम,
अपने पत्थर के हैं इक सनम.

डॉ. सुभाष भदौरिया.ता.06-02-2014


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