ग़ज़ल
हाथ काटे हैं ज़बां काटी है.
सर हमारा तो अभी बाकी है.
दूऱ फेका है शहर से उसने,
तेरी ख़ुश्बू अभी तो आती है.
चाहे जितने तू सितम कर ज़ालिम,
ग़म उठाने का दिल तो आदी है.
एक चिड़िया की तो हिम्मत देखो,
तोप पर बैठी गुन गुनाती है.
तुम जो आओ तो कोई बात बने,
सूनी- सूनी ये दिल की घाटी है.
डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात ता. 05-01-2015
चाहे जितने तू सितम कर ज़ालिम,
जवाब देंहटाएंग़म उठाने का दिल तो आदी है.
..बहुत खूब!