बेदर्दी ने हाय
राम बड़ा दुख दीना.
मृत्युलोक के राजा यमराज के दरबार में एक बुढिया बिलख बिलख
के रो रही थी. हाय मैंने खेत बेच कर लड़की की शादी के लिए 50 लाख लिए थे. 500 और 1000 के नोट बंद
हो गये इस दुख ने मेरे प्राण ले लिये. हाय अब मेरी लड़की की शादी कैसे होगी. जो
दूत बुढिया की आत्मा को पृथ्वीलोक से लाया था उससे यमराज ने पूछा ये क्या मामला
है. दूतने बताया महाराज पृथ्वीलोक भारतवर्ष में हाहाकार मचा हुआ है. कालाधन पर सर्जीकल
स्ट्राइक हुई है.
यमराज कुछ समझे नहीं तो
चित्रगुप्त ने समझाया महाराज भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदीजी ने ता.08-11-2016 की रात्रि से 500 और 1000 की नोटों को बंद करने का ऐलान किया उसके
दूसरी ही दिन इस बुढिया ने आत्महत्या कर ली कि कि उसकी 50 लाख की नोटों का क्या होगा और ये दूत उसकी आत्मा को यहां
ले आया.
यमराज मंद मंद मुस्कराये
अच्छा तो प्रभुने लीला दिखाना शुरु कर दिया है. बुढिया बोली कौन प्रभु ? यमराज ने कहा प्रथ्वीवासी उन्हें नरेन्द्र मोदी के नाम से
जानते हैं. वे भगवान विष्णुके अवतार हैं नित नई लीला रचा रहे हैं पहले झाड़ू
लगवायी, फिर शौचालय बनवाये,
लोगों के स्वास्थय की चिंताकर योग करवाया. वे सब को सुखी बनाने में लगे हुए हैं.
चिंता मत करो अम्मा वे तुम्हारी बिटिया की शादी करवा देंगे.
बुढिया बोली मोदजी निर्मोही
हैं वे शादी विवाह से दूर रहते हैं मेरी बिटिया की शादी कैसे करवायेंगे.
इतने में एक बूढा अँधा भिखारी
घिघियाता हुआ दिखाई दिया.
हाय कोई मेरे 500 और 1000 के नोट बदल दे. भगवान उसका
भला करें. वो दूधो नहाये पूतों फले. धर्मराज ने बूढ़े को समझाते हुए कहा ये सब
प्रभु का ही किया धरा है इसमें उनकी योजना होगी तुम्हें भीख मांगते उनसे नहीं देखा
गया.
अँधा भिखारी बीच में फिर से अपना राग आलापने लगा.
हाय क्या करूं २० साल भीख मांगकर जो 5 लाख जोड़कर
एक भले आदमी को दिये थे उसने कहां अब सब रद्दी हो गये. हाय मैंने एक एक रुपिया भीख
मांग कर जोड़ा था. पर चिल्लर को संभालने के चक्कर में व्यापारियों से 500 और 1000 के
नोट ले लिये. नोट न चलने के कारण मेरे प्राण पखेरु उड़कर यहां आ गये.
यमदूत ने झिड़कते हुए कहां बाबा इनकम टैक्स नहीं
कटाये सो लुढक लिए अब यहां भीख मत मांगो यहां कोई बैंक नहीं कि हम तुम्हारे नोट
बदल देगें.
इतने में एक और छोटे शिशु को पकड़े दूत आता दिखाई दिया. बच्चा
अजनबी जगह पर माँ के न दिखाई देने पर जोर जोर से रोने लगा यमराज ने कहा इसको क्या
हुआ. दूत ने कहा महाराज इसकी मां दूसरों के घर में वर्तन मांजकर गुज़ारा करती है .
वह 500 का नोट लेकर डॉक्टर के पास इलाज़ कराने गई डॉक्टर ने
छूटे रूपये मांगे वह बहुत रोई गिड़गिड़ाई पर
डॉक्टर का दिल नहीं पसीजा.इतने में बच्चे के प्राण निकल गये मैं इसकी आत्मा को यहां ले आया.
यमराज समझ गये कि मामला गंभीर
है. काले धन पर सर्जीकल स्ट्राइक हुई है तो अभी तक कोई पक्ष- विपक्ष का नेता, मंत्री, बिल्डर, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर सरकारी
अधिकारी क्यों नहीं आये. बड़े-बड़े धनकुबेर कोई भी नहीं सबसे ज़्यादा कालाधन तो उन्हीं
के पास है. पर वे देश में क्यों रखेंगे.
चित्रगुप्त ने धर्मराज को
समझाया महाराज वे सब जुगाड़ी हैं. उन्होंने पहले से जुगाड़ कर लिया होगा. जो बच
गये वे भी सेटिंग में लगे हुए हैं.मरना तो आम आदमी का है.
यमदूत ने कहां महाराज
पृथ्वी की जन संख्या की तुलना में यहां दूतों की संख्या कम है. आपने जो भर्ती अभी
की है वो भी फिक्स पगार पर है नये दूत समान काम समान वेतन की मांग कर रहे हैं.
500 और 1000 की नोटों के बंद होने से पृथ्वीलोक से आवा जाही बढेगी. धर्म राज बोले तुम कहां फिक्स
पगार की बात बीच में ले बैठे.
यमलोक का वज़ट वैसे ही कम है काम ज्यादा बढ़ गया
है तुम्हें तकलीफ हो तो तुम स्वैच्छिक निवृत्ति ले लो. दूत नौकरी जाते
देख घबराया. यमराज ने उससे कहो जाओ मेरे भैसे को तैयार करो उसे कुछ खिलापिला देना.
पृथ्वीलोक की लंबी यात्रा करनी हैं.
चित्रगुप्त बीच में ही बोल
पड़े महाराज आप अभी मत जाओ. पृथ्वीलोक में अभी अफरा तफरी मची हुई है आपके जाने से
और लोग घबराकर प्राण त्याग देंगे.
इतने में नारायण, नारायण कहते नारदजी पधारे और यमराज से बोले
कोई गंभीर विचार विमर्श हो रहा है. आपके यहां
स्वर्ग-नर्क की सीटों की समस्या हल हो गई क्या. यमराज बोले वो तो जस की तस
है पर दूसरी बढ़ गई है.
नरेन्द्र प्रभुने पृथ्वीपर
सर्जीकल स्ट्राइक कर दी है नारदजी ने भौंहे सिकोड़ी मैं समझा नहीं कुछ. धर्मराज ने
विस्तार से कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदीजीने आक्समिक 500 और 1000 की नोटों
को चलन बंद कर दिया है. बताया है कि उसका उद्देश्य कालाधन और टेरर फंडिंग,जाली नोटों का रोकना है.
मगर मच्छों को पकड़ने की चाह
में उन्होंने तालाब का सारा पानी उलेच
दिया. बिचारी छोटी छोटी मछलियां तड़प तड़प के मर रहीं हैं.
यमराज बोले नारदजी आप नो
नारायण के बहुत करीब हो इस समस्या का निदान करो वर्ना पृथ्वी पर मरने वालों की
संख्या बढ़ी तो यहां की व्यवस्था मुझे संभालने में दिक्कत होगी.
नारदजी ने कहा ठीक है मैं
देखता हूँ पृथ्वीलोक में क्या हो रहा है. नारदजी जैसे वायुमार्ग से पृथ्वीलोक के
नज़दीक आये तो देखा मानवों की लंबी कतारें किसी ख़ास इमारत के सामने लगी हुई हैं.
और पास आने पर पता चला नर, नारी, युवा, वृद्ध सभी लाइन में लगे हैं. अपने यान को दूर
रोक कर वहां पहुँचे जहां काफी शोर हो रहा था.
ये बैंक थी लोग अपनी 500 और 1000 की
नोट जमा करने और घर खर्च की निश्चित रकम लेने आये थे जो 2000
रुपये के नोट के रूप में दी जा रही थी. पर वो भी किसी काम की नहीं एक झुनझुने की तरह
थी
नारद जैसे ही बैंक के मुख्य
दरवाजे की ओर नारायण नारायण कहते बढ़े लाइन में लगे लोग लुगाई चिल्लाने लगे महाराज
बीच में मत घुसों हम यहां भूखे प्यासे सुब्ह 6 बजे से
लाइन में लगे हैं और आप बीच में घुस रहे हैं.
इतने में एक तेज महिला ने
पुलिस से कहा देखते क्या हो बीच में घुस रहे इस गेरुये बाबा को बाहर निकालो.
नारद बोले माई मैं न तो नोट
बदलवाने आया हूँ न जमा करवाने मुझे अंदर जाकर हालचाल जानना है.
माई कहने पर महिला और भड़क
गयी. वो बोली महाराज आपको मैं माई नज़र आती हूँ. फिर उसने अपने पर्स से एक छोटा सा
आइना निकाल कर चेहरे को ठीक ठाक किया.
लाइन में खड़े कुछ नौजवान माई कह कर हँस पड़े.
महिला और बिफर गयी पुलिसवालों से बोली खड़े खड़े तब से मेरी शक्ल देख रहे हो
निकालो इस बाबा को बीच में से.
पुलिसवाले नारद के पास गये और
बोले महाराज लोग बहुत गुस्से में हैं कुछ भी हो सकता है आप लाइन में पीछे जाकर खडे
हो जाओ. नारद ने वहां से निकलने में ही भलाई समझी वे लोगों के हाथों पिटते पिटते
रह गये और मन में सोचे लीला प्रभु रचायें नोट वो बंद करायें और मार हम खायें.
नारायण-नारयण कहते कुछ दूर गये तो एक पेड़ के
नीचे कुछ औरतें बैठी बिलख बिलख के रो रहीं थी.
नारदजी पास गये तो एक ने कहा
महाराज आगे जाओ हम वैसे ही सुब्ह से भूखी प्यासी परेशान हैं और आप आ गये. नारद ने कहा देवी हमें कुछ नहीं चाहिए हम तो सिर्फ आप
लोगों से ये जानना चाहते हैं ये रोना धोना क्यों मचा हुआ है.
क्या किसी की मौत हो गयी है. एक महिला बोली
महाराज 500 और 1000 की
नोटों की मौत हो गई हैं हम उसके ग़म में रो रहे हैं. एक बोली हाय हमने पेट काटकर
जैसे तैसे दस बीस हजार जोड़े थे कि हारी बीमारी में काम आयेंगे. अपने अपने पति से
छिपाया उन्हें नहीं बताया.
अब अगर उन्हें बतायें तो दस सवाल पूछेंगे कहां से लाई,किसने दिये. हाय हमारा मोदीजी तीन तलाक करा के
ही मानेगे.
दूसरी महिला ने उसे चुप कराते
हुए कहा कि दूर पेड़ के नीचे उदास बैठे पतिदेवों को पता चला तो घर में नहीं
मुहल्ले भर में रायता फैलेगा.
एक बोली हाय हमने मोदीजी को
इसी लिए बोट दिया था. हम गरीबों का गला रेत दिया कालाधन वाले तो मज़े कर रहे हैं
मरना हमारा है. खुद तो जापान चले गये और गरीब लोग लाइन में लगे हुए हैं.
इतने में एक 10 साल का बच्चा अपनी टूटी गुल्लक ले के रोता हुआ आया और अपनी
माँ लड़ने लगा मेरी गुल्लक क्यों तोड़ी मां बोली बेटा घर चलाने को और कोई दूसरा
चारा नहीं था. बच्चा था कि समझ नहीं रहा था बस एक ही रट लगाये हुए था कि मेरी गुल्लक
क्यों तोड़ी गुस्से में मां ने दो थप्पड़ जड़ दिये.
साले यहां लोग टूट गये हैं इसे अपनी गुल्लक की
पड़ी है.
नारद को गरीब औरतों को दुख देखा नहीं गया उनकी आँखों से
अश्रु झरने लगे. मनुष्य होने में क्या दुख हैं उन्हें समझ में आया.
वे वहां से आगे बज़ार की ओर
बढ़े तो देखा सब्जीवाले ,नाश्तेवाले, फलवाले, किराना की छोटी छोटी दुकानों पर सन्नाटा था
उन पर कोई ग्राहक नज़र नहीं आ रहा था जैसे कर्फ्यु लगा हो. भीड़ सिर्फ बैंको और
ए.टी.एम. केन्द्रों पर प्रतीक्षा करती नज़र आ रही थी.
अब तक पृथ्वी पर भ्रमण करते करते नारद काफी थक
चुके थे. वायुयान पर सवार हो के आगे चले
तो उन्हें महानगरी मुंबई की बत्तियां जलती नज़र आयीं तो
वायु यान से नीचे उतर के देखा
तो ये मुंबई का ख़ास इलाका था. सज़ी धज़ी स्त्रियां एवं युवतियां झरोखे से सड़क पर
नज़र डाल रहीं थी पर रोज़ चहल पहल वाली सड़के आज सुनसान थीं. सर्जीकल स्ट्राइक का वहां
भी प्रभाव पड़ा.
कोई छैला नज़र नहीं आ रहा था जिनको उनकी तलाश ही
नहीं ज़रूरत भी थी. ये 500 और 1000 की नोटों के बंद होने का कमाल था जिसके
कारण भोगी भी योगी बन किसी गुफा में जा
बैठे थे.
नारद थोड़े आगे बढ़े तो देखा
एक अँधेरे में सजी धजी स्त्री को एक अधेड़ 500 की नोट बता रहा था युवती छूटे निकाल का रोना रो रही थी. अधेड़ उधार रखने
को कह रहा था पर स्त्री कह रही थी उधार रखूँगी तो आज घर बच्चों को क्या खिलाऊँगी.
इसके आगे
पृथ्वी का हाल देखने की नारद की की हिम्मत नहीं हुई वे बच्चों की तरह फूट
फूट कर रोने लगे और झट से अपने यान पर सवार हो अन्तर्ध्यान हो गये. जब कि
पृथ्वीलोक पर भक्त जन प्रभुलीला की आरती उतार रहे थे तो दूसरी तरफ गरीब लाचार
लोगों की आत्मा चीत्कार कर रही है बेदर्दी ने हाय राम बड़ा दुख दीना.
प्रिंसीपल डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात ता.१२-११-२०१६
बहुत बढ़िया विश्लेषण
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