ग़ज़ल
करें क्या सारी
दुनियां की कमी हिस्से में आयी है.
लगे लाइन
में तब ये चांदनी हिस्से में आयी है.
बहुत रोये हैं
रातों को हमें मत पूछिये साहब,
बड़ी मुश्किल से
थोड़ी सी खुशी हिस्से में आयी है.
सुलाया माँ ने
बच्चे को ये भूखा रात में कहकर,
सबर कर ये मुसीबत की घड़ी हिस्से में आयी है.
किनारों पर खड़े रहकर बहुत उपदेश देते हो,
उन्हें पूछो उफनती सी नदी हिस्से में आयी है.
अभी रोज़ों व उपवासों को रख तू साथ दे मेरा,
वो कहते हैं ये जादू की छड़ी हिस्से में आयी है.
डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात
ता.18-11-2016
तारीख
18-11-2016 कॉलेज से लौटा तो शाम 4 बजे साथी अध्यापक विनोदभाई और वखतसिंह गोहिल ने मोब. पर
कहा सर आ जाओ ए.टी.एम.में लाइन कम है.
इससे
बेहतरीन और क्या ख़बर हो सकती थी. आनन फानन हम जिस हाल में थे उसी में तुरंत गाड़ी से से पहुँच लिये. रास्ता मात्र आधा किलोमीटर
का ही था पर चलकर जाने में कई ख़तरे थे.
जैसे पैसा खतम घर जाओ सनम.
वैसे
सनम का ता.08-11-2016
की रात्रि
से ही बुरा हाल था. लाइन में खड़े रहने पर धूप में प्यास लगी तो कुछ बच्चे पानी के
पाउच ले के नज़र आये.
हमने कहा पैसे नहीं हैं छूटे. वो बोले पैसे के-
बिना पैसे के बिना. मैंने एक बच्चे के सर पर हाथ फेरते हुए कहा बेटा बहुत बड़े
आदमी बनोगे.
बच्चे
अपने पाकिट मनी से पानी के पाउच ए.टी.एम. की लाइन में खड़े सब को बांट रहे थे.
मुसीबत की घड़ी में वे अपना योगदान दे रहे थे.
लाइन
में मेरी तरह खड़े सब पानी के पाउच पीकर बच्चों को दुआ देने लगे.
इसके बाद हमारा नंबर आया तो 2000 (दो हजार की मर्यादा में) 100 के 20 नोट निकले तो हम तीनों की
खुशी का ठिकाना न रहा.
सोचा
इस ऐतिहासिक तस्वीर को ले लिया जाय.
क्या
से क्या हो गये बेवफ़ा तेरे प्यार में वाला हाल था.
कड़क चाय का हाईडोज़ ऐसा कि लोग लुगाइयों को दस्त लग गये.
पर
खुले में जाने का ख़तरा ऐसा कि अब लोग
रेल की पटरी के पास निपटने से डरने लगे कि साहब का भरोसा नहीं पटरी के पास बिजली
का करंट छोड़ दिया तो कूदते फिरोगे सब. कहीं गया पानी कहीं गया लोटा वाला हाल होगा
और बिना टिकिट पिक्चर दिखेगी सो अलग. लोगों
को अब शौचालय बना लेने में ही भलाई है. अभी तो साहब ने खायेगा इंडिया की सप्लाई
लाइन ही बंद की है.
मैंने
साथी मित्रो से कहा चलो इस एटीएम से 100 की 20 नोटों की प्राप्ति को
सेलीब्रेट चाय पी कर किया जाय. आइस्क्रीम या होटलबाजी की हिम्मत किसी में नहीं नहीं थी. खग समझे खग ही की
भाषा.
शहेरा में हम तीनों को अभी अपने अपने मकान का
किराया देना बाकी था जो दो हजार रुपये था. ए.टी.एम. से दो हजार ही निकालने की मर्यादा थी पर
दो हजार से क्या होगा. घर की रसोई गैस भी
हिचकोले ले रही है क्या पता कब उसके टें बोल जाये. दुकानदार सभी नकद लेते हैं कोई
चैक नहीं लेगा.सब्जीवाला किराने वाला तो कतई नहीं.
इसी
बीच ता.16-11-2016 को गांधीनगर सरकारी प्रिंसीपलों का स्नेह मिलन तय था
मित्रों का निमंत्रण भी मिला था पर न जा सका. फोन आने पर बताया कि सर्जीकल
स्ट्राइक के कारण जेब में 200 रूपये ही हैं पुरानी 500 या हजार की कोई नोट नहीं कि गाड़ी में पेट्रोल डला
सकूँ.
अहमदाबाद का परिवार तो अब
अमेरिका हो गया. शेहेेरा से मात्र 200 कि.मीटर की दूरी सरकार सर्जित विपदा से कितनी बढ़ गयी.
क्या
जमाना था हमारा जब कि इसके पहले आई टेन को हवाई जहाज बना के सटासट ढाई घंटे में
अहमदाबाद पहुँच जाना और अब लुट गये तेरे प्यार में ऐसा क्या गुनाह किया जोर जोर से
गाने को जी चाहता है पर दिल्ली तक कैसे सुनाई देगा ?
सारी
उम्र ईमानदारी से निकाली नियमित टेक्स भरे ऊपर नीचे की कमाई से कभी वास्ता न रहा.
न जमीन ना जायदाद और खुद के पास १ तोला सोना भी नहीं पत्नी के पास दो चार हो तो पता
नहीं फिर भी ये सज़ा मिली. जिसकी कभी ख़ता की ही नहीं थी.
साहब
ने काले धन के मगरमच्छो को पकड़ने में तालाब का सारी पानी उलीच दिया मगर मच्छ तो
पानी से पहले ही बाहर थे उन्हें कुछ भी फर्क नहीं पड़ा पर गरीब मछलियां तड़प तड़प के मर रही हैं. अब
पानी के बिना मछलियां 50 दिन
कैसे जियेंगी.
08-11-2016 की रात्रि मेरे पास जेब की इकलौती 500 की नोट मेडीकल स्टोर के
बदलदेने से 7 दिन उसी में खर्च चलाया आज उसमें भी २०० रुपये अभी
शेष थे. हालांकि मैंने अपने खर्चों में कई कटौतियां कर दी थी. परिवार से दूर
पोस्टिंग प्लेस पर रहने के कारण सुब्ह दूध की 20 रुपये में मिलने वाली थैली बंद कर दी. दूध पीता नहीं था चाय
के लिये रखता था कभी कोई मित्र आ जाये. अब तो काली चाय के दिन आये फिर भी बागों में
बहार है के गीत बज रहे हैं. अब तो मात्र 5 रुपये ठेले पर चाय शुरू कर दी
है.
गोधरा
मात्र 20 किलो मीटर होने के बावज़ूद
जाना बंद कर दिया इस डर से कि गाड़ी में पेट्रौल खतम हो गया तो रोज घर से कॉलेज
तीन किलो मीटर की पैदल यात्रा होगी. पुरानी
नई कोई नोटें अब कहां.
वैसे
खुद को तैयार कर लिया है कि अब कोलेज की पैदल यात्रा ही करनी है. आज से कॉलेज में
२ बजे से ६०० से अधिक छात्रों की परीक्षायें शुरू होने जा रही हैं जब मेरा ये हाल
है तो उनका क्या होगा क्योंकि वे ज़्यादातर खेतों में मज़दूरी करनेवाले हैं.
वैसे इस सर्जीकल स्ट्राइक के कुछ आश्चर्यजनक
परिणाम भी आये हैं.
जैसे
लोगों ने खासकर पुरूषों ने बाहर खाना पीना बंद कर दिया है. इससे लोगों का स्वास्थ्य
अच्छा रहेगा. लोग समोसे पकोड़े तो ठीक सब्जी भी नहीं खरीद रहे. मधुशालायें बंद
पड़ी है. अब न रहे वो पीने वाले अब न रही वो मधुशाला .
चोरी
चपाटी का धंधा भी बंद है चोर लुटेरे भी क्या चुरायें क्या लूटें. लोगों के पास अब बचा
ही क्या है.
और एक
बात लोग लुगाई कहीं भी यहां पे जायें वहां पे जायें जो मुँह उठाके चल देते थे अब घर
में चुपचाप बैठे हैं. सड़कों पर वायु प्रदूषड़ कम हुआ है.मेरा देश बदल रहा है बजाओ
ताली.
इस परेशानी के साथ साथ प्रोपर्टी और सोने पर भी सर्जीकल
स्ट्राइक हो जाय तो मज़ा आ जाये.
उपरोक्त
ग़ज़ल और तस्वीरें मौज़ूदा हालात के
नाम हैं. किसी को पसन्द आ जायें तो अपनी
मुहब्बत से नवाज़ना ना भूलें आमीन.
डॉ.सुभाष
भदौरिया गुजरात ता.18-11-2016
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