शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

हाथ में जब भी जाम लेते हैं.

ग़ज़ल

हाथ में जब भी जाम लेते हैं.
बेवफ़ाओं का नाम लेते हैं.

हमसे रखते हैं फ़ासले अक्सर,
सबका झुक झुक सलाम लेते है.

तुझको रुस्वा नहीं होने देंगे,
सब गुनाह अपने नाम लेते हैं.

फूल से ख़ार ही लगे बेहतर,
बढ़ के दामन को थाम लेते हैं.

दिल लगाने का शौक है जिनको
आँसुओं का इनाम लेते हैं.

डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात ता.29-12-2017




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