गुरुवार, 14 जून 2018

फिटनिश ही दिखानी है सरहद पे दिखाओ अब.


ग़ज़ल

हर रोज़ न सरहद पे बेमौत मराओ अब.
फिटनिश ही दिखानी है सरहद पे दिखाओ अब.

कश्मीर गया कब का जम्मू भी है जाने को,
आँखों पे पड़ा पर्दा बेहतर है हटाओ अब.

इस योग से दुश्मन तो समझेगा भला कैसे,
तुम पार्थ अगर हो तो गाँडीव उठाओ अब.

रूहों को शहीदों की तकलीफ़ पहुँचती है,
मुँहतोड़़ जबाबों का गाना तो न गाओ अब.

छीने जो कोई बेटा, सिंदूर उजाड़े जो,
शैतां को ज़रूरी है अब पाठ पढ़ाओ अब.

डॉ.सुभाष भदौरिया गुजरात ता.14-06-20

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