tag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post170631646167590897..comments2023-09-15T20:47:12.882+05:30Comments on डॉ.सुभाष भदौरिया धानपुर जि.दाहौद गुजरात: आग से खेलता है दीवाना.subhash Bhadauriahttp://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-80711446433598616632007-12-12T20:35:00.000+05:302007-12-12T20:35:00.000+05:30नीरजजी इस ग़ज़ल की प्रचलित बहर है-फाइलातुन मफाइलुन...नीरजजी <BR/>इस ग़ज़ल की प्रचलित बहर है-<BR/>फाइलातुन मफाइलुन फेलुन<BR/>बहरे ख़फीफ मुसद्दस मखबून महजूफ इसका नाम है-<BR/><BR/>जैसे<BR/>रात भी नींद भी कहानी भी.<BR/>हाय क्या चीज है जवानी भी. फिराक गोरखपुरी.<BR/>तू किसी रेल सी गुज़रती है,<BR/>मैं किसी पुल सा थर थराता हूँ (दुष्यन्तकुमार)<BR/>मीर उन नीमबाज आँखों में,<BR/>सारी मस्ती शराब की सी है. (मीरतकीमीर)<BR/>दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है<BR/>आखिर इस दर्द की दवा क्या है. (ग़ालिब)<BR/>अब जिस्म और रूह की बात सो भइया मेरे इन ग़ज़लों में अपने आप से ही संवाद कर रहा हूँ.<BR/>आप क्यों मेरा इम्तहान ले रहे हैं.<BR/>गुरू शब्द के मानी बदल चुके हैं.<BR/>व्यंग्य मेरी विधा है जब तक ग़ज़ल में हूँ तब तक ही सलामत वर्ना लोटते मुझे देर नहीं लगती.<BR/>यार लोगों की हेंचू हेंचूं से मेरी भी जी मचलता है पर क्या करूँ सभी का दबाव है कि ग़जल ही लिखूँ.<BR/>टिप्पणी में भी लोगों को नस्ल का पता चल जाता है.<BR/>मेरी एक भी कल सीधी नहीं जानता हूँ.दूसरों की क्या कहूँ.आप की मुहब्बत बीमार न कर दे.<BR/><BR/>आप मेरी किसी बात का बुरा न माने.चाहनेवाले नसीबों से मिलते हैं.आपके रहमोकरम का मश्कूर हूँ जनाब.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-80374065553152627852007-12-12T11:47:00.000+05:302007-12-12T11:47:00.000+05:30जिस्म की वादियों में खोया है,रूह को है कहाँ तू पहि...जिस्म की वादियों में खोया है,<BR/>रूह को है कहाँ तू पहिचाना .<BR/>फोटो जिस्म की लगाते हैं बात रूह पहचानने की करते हैं....बहुत नाइंसाफी है प्रभु.<BR/>बेहतरीन ग़ज़ल. अब ये तकनिकी रूप से भी ठीक होगी. इसकी तकती कैसे की जाए और ये कौनसी बहर है ये भी तनिक बताया जाए तो मजा आ जाए.जैसे संगीत सुनते वक्त अगर राग का नाम भी मालूम हो तो आनंद दोगुना हो जाता है वैसे ही. <BR/>मेरी बातों को आप अन्यथा मत ले लीजियेगा. <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com