tag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post3967757232575494324..comments2023-09-15T20:47:12.882+05:30Comments on डॉ.सुभाष भदौरिया धानपुर जि.दाहौद गुजरात: लड़ो गर ग़म से तो फिर एक दिन ये ग़म नहीं रहता.subhash Bhadauriahttp://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-40659720659123308592008-10-29T15:42:00.000+05:302008-10-29T15:42:00.000+05:30हैदराबादी साहब हमारे नाम के साथ अहमदाबाद जुड़ा है ...हैदराबादी साहब हमारे नाम के साथ अहमदाबाद जुड़ा है हमारा पुरखे उत्तरभारत के इटावा जिले के थे.रिज़्क की तलाश में उन्हें गुजरात आना पड़ा और हमारा जन्म यहाँ हो गया.अहमदाबाद के फ़सादों में हमारा क्या रौल था जान लीजिए.<BR/>उन दिनों हम बरोड़ा जिले के नसवाडी तहसील में फेंके गये थे.सर्किट हाउस में अकले रह रहे थे परिवार से मोबाइल पर बात करने सड़क पर आना पड़ता था टावर की दिक्कत थी पत्नीजी से हिन्दी में बात करता था एक दिन सर्किट हाउस में चौकीदार ने आगाह किया आप यहाँ से चले जायें साहब कुछ लोग हिन्दी बोलने से आपकी शिनाख्त करने में गड़बड़ न कर बैठे. मैने मंटो साहब की कहानी मिस्टेक पढ़ रखी थी. कातिल ने चाकू मारा पाजामें का नाडा कटने से पाजामा नीचे गिरा कातिल ने कहा ओह मिस्टेक हो गयी. <BR/>मैने उसी रोज एक साथी प्रोफेसर के घर पनाह ली.<BR/>हाँ कॉलेज में सीनियर के नाते प्रिंसीपल का चार्ज होने के कारण तुरंत लिखित में कॉलेज में बंदोबस्त की कोपी पुलिस स्टेशन भेज उस पर रिसीव में सही करा लाने को साथी अध्यापक से कहा बरोड़ा की तरफ़ वारदातें हो रहीं थी.कॉलेज में डी.वाय.एस.पी रेंक का अधिकारी आया उसको ताकीद किया कि बंदोबस्त बराबर होना चाहिए.आपके डिपार्टमेंट की रिसीव कोपी मेरे पास है वह समझगया था.आगे क्या करना है मैने सोच लिया था.कॉलेज के बच्चों को निर्भीकता से परीक्षा देने को कहा.सारा गुजरात जल रहा था पर साहब इस शहर मे कुछ नहीं हुआ वज़ह आपको बतायें यहां के मुख्य बाज़ार में दुर्गा मां का मंदिर और मस्ज़िद आमने सामने हिन्दू मुस्लिम के घर पड़ोस में और जाना तो पता चला ये ठाकुरों का स्टेट रहा है यहाँ के ठाकुरों के वंशज आज भी हैं लोग रातों जाग जाग कर पहरा देते थे.<BR/>अब रही हमारे मुख्यमंत्री की बात तो हाल फिलहाल<BR/>एक मुस्लिम को थप्पपड़ मारने की हिम्मत किसी हिन्दू गुंडे में नहीं उन्होंने उन तमाम ताकतों को एक एक कर हाशिये पर रख दिया.अगर ऐसा होता तो विस्फोटों के बाद इस शहर को संभालना मुश्किल हो जाता.<BR/>आश्चर्यजनक बात कह रहा हूँ कि जिस दिन हमारे गुजरात के मुख्यमंत्री को कुछ हो गया वो तमाम ताकतें बहुत ही ताकतवर होजायेंगी जिनका कहर पहले बर्पा हुआ था और फिर बहुत मुश्किल होगी.<BR/>मैं अतीत की बात में पड़ना नहीं चाहता.हाल में उनकी पूरी कोशिश अमन बनाये रखने की है अक्षरधामकांड और ताज़ा विस्फोटों के बाद गुजरात में शान्ति बनाये रखने का श्रेय उन्हें जाता है.<BR/>अधिक क्या कहूँ हो सके तो यकीन करना इस बार आमीन नहीं कहूँगा मेरी अपनी समझ तो ऐसी है<BR/>सरकारी मुलाज़िम हूँ सरकार के खिलाफ़ हाईकोर्ट में दो रीट चल रही हैं.ये भृष्टाचारियों के ख़िलाफ जंग है.इक़बाल साहब याद आगये-<BR/>ओ ताहिरेलाहूती उस रिज़्क से मौत अच्छी,<BR/>जिस रिज़्क से आती हो परवाज़ में कोताही.<BR/>हमारी परवाज़ अभी भी ज़ारी है.<BR/>उन दिनों हमने ये ग़जल कही थी<BR/><BR/>तीर उसकी कमान पर अब भी.<BR/>है परिन्दा उड़ान पर अब भी.<BR/><BR/>लाख ज़िन्दा जलाओ तुम हमको,<BR/>जान देंगे क़ुरान पर अब भी. <BR/>हमारे अंदर कबीर के संस्कार हैं साहब हम उसी ठाकुर वंश से ताल्लुक रखते हैं जिसका एज़ाज़ राही मासूम रज़ा ने अपने उपन्यास आधागाँव में किया है.हमारी सल्तनत छिन जाने के बावज़ूद हमारे मिज़ाज की तुर्शियां अभी भी कायम हैं और इंसाफ़ पसंद तो इतने की ख़ुद को भी ग़ल्तियां करने पर सख्त सज़ा दे बैठें.<BR/>ख़ौफ़े ख़ुदा जो दिल में रखते हैं साहब .<BR/>आप मोमिन हैं हमारी बात समझेंगे.आमीन.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-3691715935632543092008-10-29T13:25:00.000+05:302008-10-29T13:25:00.000+05:30उन तमाम को मुबारक बाद देता हूँ जिनकी जंग अँधेरों क...<B>उन तमाम को मुबारक बाद देता हूँ जिनकी जंग अँधेरों के खिलाफ़ मुसल्सल ज़ारी है जो थके तो हैं पर हारे नहीं फ़तह उन्हीं की होगी. आमीन.</B><BR/>आमीन ! मगर आप से गले मिलकर आमीन कहने को दिल चाहता है !! <BR/><BR/><B>हमेशा एक सा दुनियाँ में ये मौसम नहीं रहता.<BR/>लड़ो गर ग़म से तो फिर एक दिन ये ग़म नहीं रहता</B><BR/>ग़ज़ल का सब से बहतरीन शेर है <BR/><BR/><B>जरा सी बात पर उसने है रिश्ता तर्क कर डाला,<BR/>करें क्या ऐसे रिश्तों को जहां कुछ दम नहीं रहता</B><BR/>मुझे यहाँ एक और शेर याद आया है, मुलाहिज़ा फ़रमाएँ :<BR/>एक ज़रा से बात पर बरसों के याराने गए<BR/>हाँ इतना तो हुआ कुछ लोग मगर पहचाने गए<BR/><BR/><B>हवायें फेक देती हैं बड़े पुख्ता दरख्तों को,<BR/>मुसल्सल हुक्मरानी पर कोई हाकिम नहीं रहता</B><BR/>यह शेर काश के आप के गुजरात के मुख्या मंत्री के दिल-ओ-दिमाग़ से गुज़रेSyed Hyderabadihttps://www.blogger.com/profile/03933308297011650354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-91278971250154680242008-10-29T11:52:00.000+05:302008-10-29T11:52:00.000+05:30श्रीकांतजी आपकी मां को ग़ज़ल भा गई हमारा उन्हें सा...श्रीकांतजी आपकी मां को ग़ज़ल भा गई <BR/>हमारा उन्हें सादर चरण स्पर्श कहियेगा.<BR/>हम तो अपनी मां को 20 साल से खोये बैठे है बस कभी कभी सपनों में वो आती है हालचाल लेने आप ने मां की याद दिला कर रुला दिया ना.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-85955110280746719462008-10-29T11:02:00.000+05:302008-10-29T11:02:00.000+05:30Bahut umda gazal. man ko bha gayee.Bahut umda gazal. man ko bha gayee.श्रीकांत पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/02488429636132949216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-76592029900292038592008-10-29T09:32:00.000+05:302008-10-29T09:32:00.000+05:301-सिद्धार्थजी आपको आनंद आया आप तक मेरी बात पहुँची ...1-सिद्धार्थजी आपको आनंद आया आप तक मेरी बात पहुँची मैं भी धन्य हो गया.<BR/>2- अच्छी ग़ज़ल है उम्मेद सिहं जी आप ने कहा पर आप लिख नहीं सकते.लिखने में बहुत तकलीफ़ होती है पर आप समझते हैं यही क्या कम है.<BR/>लिखने वाले से समझने वाले का दर्ज़ा ऊँचा होता है इस दृष्टि से आप भी महान है.<BR/>हे मानव श्रेष्ठ क्यों दुखी होतें हैं पढ़ते रहिए लिखना भी आजायेगा तथास्तु.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-33249310160047917292008-10-29T00:13:00.000+05:302008-10-29T00:13:00.000+05:30अच्छी गजल है,लेकिन हम तो लिख नहीं सकते यार.अच्छी गजल है,लेकिन हम तो लिख नहीं सकते यार.Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak "https://www.blogger.com/profile/07864795175623338258noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-57292675138183263762008-10-29T00:10:00.000+05:302008-10-29T00:10:00.000+05:30वाह! क्या शानदार ग़जल कही आपने। आनन्द आ गया।======...वाह! क्या शानदार ग़जल कही आपने। आनन्द आ गया।<BR/><A>========================<BR/>दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं<BR/>========================</A>सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.com