tag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post7632276202950782197..comments2023-09-15T20:47:12.882+05:30Comments on डॉ.सुभाष भदौरिया धानपुर जि.दाहौद गुजरात: गाँधीजी ने मेरे सपने में ग़ज़ल कही.subhash Bhadauriahttp://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-3543978370646135552010-10-28T09:09:08.352+05:302010-10-28T09:09:08.352+05:30kay bat hai sarji apne to har taraf dhoom machadi
...kay bat hai sarji apne to har taraf dhoom machadi<br /><br />ashishUnknownhttps://www.blogger.com/profile/14319758616644005478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-22728596328274093192010-10-27T22:43:38.747+05:302010-10-27T22:43:38.747+05:30वाह ! आज की गजल में बहुत बडी बात की है सर आपने, अ...वाह ! आज की गजल में बहुत बडी बात की है सर आपने, अब तो हमारी मातृभाषा का भी हिन्दी जैसा हाल होनेवाला है । आपका आवाज गाँधीजी ने सूना लेकिन गाँधी के नगर में रहनेवाले शिक्षा विभाग अब तक आपकी वेदना समज नही सकता ।Dr. DINESH R.MACHHIhttps://www.blogger.com/profile/02005626239036102472noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-71754134743800198722010-10-27T20:25:02.247+05:302010-10-27T20:25:02.247+05:30क्या आपके द्वारा गाँधीजी की कही गई यह व्यथा या गाँ...क्या आपके द्वारा गाँधीजी की कही गई यह व्यथा या गाँधीजी के माध्यम से कही गई आपकी यंत्रणा को यहाँ का प्रशासन समझ सकता है? कतई नहीं। आधारिक संरचना का विकास करते-करते नंबर 1 पहुँचा प्रशासन अपनी संवेदनाएँ खो चूका है।डॉ. शिवांगकुमार भावसारhttps://www.blogger.com/profile/07414069789527638935noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5530967613912148888.post-27167612290120650802010-10-27T15:57:17.872+05:302010-10-27T15:57:17.872+05:30मैं समाधि में था चैन से,
ठोकरों से जगाया गया.
सुभ...मैं समाधि में था चैन से,<br />ठोकरों से जगाया गया.<br /><br />सुभाष जी इस शेर के माध्यम से आपने गाँधी जी की सारी व्यथा व्यक्त कर दी है...कमाल की गज़ल कही है...लाजवाब.<br />आपने राष्ट्र भाषा हिंदी के साथ साथ अपनी वेदना भी गाँधी जी के माध्यम से हम सब तक पहुंचाई है...मन दुखी हो गया है...ऐसा सब क्यूँ हो रहा है...मेरी गज़ल का एक शेर है शायद आपको पसंद आये:-<br />सबूत लाख करो पेश बेगुनाही का<br />शरीफ शख्स को मिलती सदा सज़ाएँ हैं<br /><br />कामना करता हूँ के इस बार दिवाली आप अपने परिवार जन के साथ खूब धूमधाम से मनाएं और शीघ्र ही अहमदाबाद स्थानातरित हो जाएँ.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com