ग़ज़ल
बेवफ़ाई के किस्से सुनाऊँ किसे .
बात दिल की है अपनी बताऊँ किसे.
कौन दुनियाँ मैं अपना तलबगार है,
फोन किसको करूँ मैं बुलाऊँ किसे ?
दूध का मैं जला छाछ से भी डरूं,
प्यास अपनी जहां में दिखाऊँ किसे .
रूठने और मनाने के मौसम गये,
किससे रूठूं मैं अब, मैं मनाऊँ किसे.
शाख पर मेरी फल आगये इन दिनों,
खुद ही झुक जाता हूं अब झुकाऊँ किसे .
उसको महलों में रहने की आदत पड़ी,
झोपड़ी अपनी अब मैं दिखाऊँ किसे .
आँसुओं की ये सौगात मुझको मिली,
खुद ही रो लेता हूं अब रुलाऊँ किसे ।
बेवफ़ाई के किस्से सुनाऊँ किसे .
बात दिल की है अपनी बताऊँ किसे.
कौन दुनियाँ मैं अपना तलबगार है,
फोन किसको करूँ मैं बुलाऊँ किसे ?
दूध का मैं जला छाछ से भी डरूं,
प्यास अपनी जहां में दिखाऊँ किसे .
रूठने और मनाने के मौसम गये,
किससे रूठूं मैं अब, मैं मनाऊँ किसे.
शाख पर मेरी फल आगये इन दिनों,
खुद ही झुक जाता हूं अब झुकाऊँ किसे .
उसको महलों में रहने की आदत पड़ी,
झोपड़ी अपनी अब मैं दिखाऊँ किसे .
आँसुओं की ये सौगात मुझको मिली,
खुद ही रो लेता हूं अब रुलाऊँ किसे ।
उपरोक्त रंज में डूबी तस्वीर हमारी है.
ता.29-10-08 समय-11-15AM
ता.29-10-08 समय-11-15AM
wah wah chitra aur kavita ka bejod sangam
जवाब देंहटाएंशुभ-दीवाली।
जवाब देंहटाएंYaad rakhne aur gungunane layak gazal.baht badhia.
जवाब देंहटाएं1-कोमन मेन साहब चित्र और कविता का बेजोड़ संगम आपको पसंद आया कभी कुछ न पंसद आये तो ज़रूर बताइयेगा.
जवाब देंहटाएं2-अनिलजी आप अमीर धरती गरीब लोग के वाशिंदे हैं
दौलत से क्या होता है साहब लक्ष्मीजी की सवारी उल्लू है वे उल्लुओं पे महरबान हैं सो हमसे दूर का भी वास्ता नहीं रखतीं.आप ने अपने क्षेत्र की दरिद्रता को ब्लॉग शीर्षक में बड़ा ही मार्मिक स्थान दिया है.
3-श्रीकांतजी आपकी नवाज़िश के लिए शुक्रिया.
दिल की बात होठों पे लाख छिपाने पर भी आ ही जाती है क्या करें.
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जवाब देंहटाएंwah...........
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