ग़ज़ल
हमने चाहा जिसे वो खुशी
ना मिली.
दुश्मनी तो मिली दोस्ती
ना मिली..
यूँ अँधरे मिला बेतहाशा
हमें.
पर लिपट कर कभी रोशनी ना
मिली..
कोई आँसू बहाये हमारे
लिए.
आँख में वो किसी के नमी ना मिली.
बे वजह यूँ ही उड़ते रहे
उम्र भर.
आसमां तो मिला पर जमीं
ना मिली.
दूर ले जाये हमको बहा के कहीं,
तेज रफ़्तार की वो नदी
ना मिली..
डॉ.सुभाष भदौरिया
अहमदाबाद गुजरात. ता.25/09/2024