दिल की चौखट
पे ज्यों उनकी आमद हुई.
रूह में हो गयी रोशनी, रोशनी.
रात भर मेरा
बिस्तर महकता रहा,
ख़्वाब में
कल वो आया था ज़ुहराजबी.
मुद्दतों से
थे जिसके तलबगार हम,
बात उसने
कही , बात हमने सुनी.
पूछिये मत
कि कैसा था हुस्ने सबीह.
चंपई. चंपई,
मरमरी, मरमरी.
टूट कर वो
गले से मिला इस तरह,
ज्यों समावे
समन्दर में कोई नदी.
एक से एक
बढ़कर नवाज़िश तेरी,
हो गया दिल तेरा आफ्रीं आफ़्रीं.
डॉ. सुभाष
भदौरिया अहमदाबाद, गुजरात ता.05/01/2025
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