ग़ज़ल
कब तलक तेरा
रस्ता तकें तू बता.
आ भी जा, आ
भी जा, आ भी जा, आ भी जा.
नब्ज़ थमने
लगी, आँख मुदने लगी,
अब बुझा, अब
बुझा, अब बुझा, अब बुझा.
आख़िरी
वक़्त है आ के मिल ले गले,
मैं चला,
मैं चला, मैं चला, मैं चला.
कितना
मज्बूर मैं, कितना मग़रूर तू,
बेवफ़ा,
बेवफ़ा, बेवफ़ा, बेवफ़ा .
नाम होटों
पे जप, जप के ही वो तेरी,
मर गया, मर
गया, मर गया, मर गया.
लाश से अब लिपटकर के रोता है वो,
ज़िन्दगी
तुझको लाऊं कहाँ से बता.
देर आने में
कर दी बहुत तूने अब,
अलविदा,
अलविदा, अलविदा, अलविदा.
डॉ.सुभाष भदौरिया अहमदाबाद गुजरात ता.29/12/2024
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