ग़ज़लइश्क़ कुतियों से लड़ाना सीखिये.
पीछे-पीछे उनके जाना सीखिये.
क्या ग़ज़ब लिखती हो कविता जानेमन,
मछलियाँ ऐसे फँसाना सीखिये.
हम अछूतों से रखो दूरी मगर,
पाँव बुलबुल के दबाना सीखिये.
दिल भी मिल जायेंगे इक दिन देखना,
हाथ पहले तो मिलाना सीखिये.
वज़्न से ग़ाफ़िल न होना तुम कभी,
ग़ज़ल पहले गुनगुनाना सीखिये.
नक़्ल में भी अक़्ल लाज़िम है जनाब,
यूँ ही मत भोंपू बजाना सीखिये.
चोंचले कितने दिनों चल पायेंगे.
तल्ख़ियों से दिल लगाना सीखिये.
शायरी का इल्म भी आजायेगा,
पहले अपने दर पे आना सीखिये.
इस ग़ज़ल के प्रेरणा स्त्रोत ब्लॉग जगत के महानुभावों के हम ऋणी हैं.
ता.31-10-08 समय-08-35PM
पीछे-पीछे उनके जाना सीखिये.
क्या ग़ज़ब लिखती हो कविता जानेमन,
मछलियाँ ऐसे फँसाना सीखिये.
हम अछूतों से रखो दूरी मगर,
पाँव बुलबुल के दबाना सीखिये.
दिल भी मिल जायेंगे इक दिन देखना,
हाथ पहले तो मिलाना सीखिये.
वज़्न से ग़ाफ़िल न होना तुम कभी,
ग़ज़ल पहले गुनगुनाना सीखिये.
नक़्ल में भी अक़्ल लाज़िम है जनाब,
यूँ ही मत भोंपू बजाना सीखिये.
चोंचले कितने दिनों चल पायेंगे.
तल्ख़ियों से दिल लगाना सीखिये.
शायरी का इल्म भी आजायेगा,
पहले अपने दर पे आना सीखिये.
इस ग़ज़ल के प्रेरणा स्त्रोत ब्लॉग जगत के महानुभावों के हम ऋणी हैं.
ता.31-10-08 समय-08-35PM
bhaya ji achhi ghazal likh mari hai, badhai.
जवाब देंहटाएंsahi hai re bheedu... dunia hi kutton ki hai
जवाब देंहटाएंबस दो ही आदमी बाकी कहां गये
जवाब देंहटाएंआदमी हैं कहाँ साहब वे कुत्तों में तब्दील हो गये.
कहीं सूँघ रहें होगे कमबख्त.
पर कुत्तों का तो एक निश्चित मौसम होता है.
इंसानी कुत्ते बारह महीने जीभ लपलपाते घूमते हैं तस्वीर की तरह.
कुत्ता नंबर 1-हें हें तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुत्ती नंबह 1-साला सबको यूँ ही पटाता है परे हट लुच्चे.
आजकल इंसानी कुत्तों की नस्ल बढ़ रही हैं. हा--हा हा- कैसी रही कालिया. हा- हा--हा.
वज़्न से ग़ाफ़िल न होना तुम कभी,
जवाब देंहटाएंग़ज़ल पहले गुनगुनाना सीखिये.
अच्छी बात कही सुभाष जी...
शुभकामनाएं
chalo der se sahee kahaa bhaiyaaji
जवाब देंहटाएंwafadare ke baad ishq inase hee to seekhane baaqi hai
"VAISE MAZA AA GAYA "
अजीतजी गिरीशजी के आने से दो के चार आदमी हुए.
जवाब देंहटाएंबाकी कहाँ हैं रे कालिया इंसानी कुत्तों को सांप सूँघ गया क्या ?
जो इंसान हों वे आकर अपना तअरूफ करायें.