केप्टन डॉ.सुभाष भदौरिया एन.सी.सी. केडेटस को संबोधित करते हुए
ग़ज़ल
हाथी घोड़े वज़ीर मारेंगे.
आरती सब की हम उतारेंगे.
दिन दहाड़े वे लूटते हैं सभी,
बात अँधे कहाँ विचारेंगे ?
हाथ आये हमारे जो लुच्चे,
अपनी अम्मा को फिर पुकारेंगे.
मेरे नुक्शों के देखने वाले,
क्या कभी आईना निहारेंगे
हम जो उज़डे़ तो क्या हुआ लोगो,
और की किस्मतें सँवारेंगे.
दांव हारे तो कोई बात नहीं,
अपनी हिम्मत कभी न हारेंगे.
कैद में उम्र काट दी हमने,
बाकी जो भी बची गुज़ारेंगे.
उपरोक्त तस्वीर एन.सी.सी.युनिफोर्म में हमारी है. केप्टन डॉ.सुभाष भदौरिया की है फोटो पर क्लिक कर स्पष्ट देखें.
ग़ज़ल
हाथी घोड़े वज़ीर मारेंगे.
आरती सब की हम उतारेंगे.
दिन दहाड़े वे लूटते हैं सभी,
बात अँधे कहाँ विचारेंगे ?
हाथ आये हमारे जो लुच्चे,
अपनी अम्मा को फिर पुकारेंगे.
मेरे नुक्शों के देखने वाले,
क्या कभी आईना निहारेंगे
हम जो उज़डे़ तो क्या हुआ लोगो,
और की किस्मतें सँवारेंगे.
दांव हारे तो कोई बात नहीं,
अपनी हिम्मत कभी न हारेंगे.
कैद में उम्र काट दी हमने,
बाकी जो भी बची गुज़ारेंगे.
उपरोक्त तस्वीर एन.सी.सी.युनिफोर्म में हमारी है. केप्टन डॉ.सुभाष भदौरिया की है फोटो पर क्लिक कर स्पष्ट देखें.
नीचे से दूसरा शेअर कमाल है, बधाई
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें