रविवार, 10 मई 2009

गुजरात पूछता है उनसे अफ़ज़ल क्यों अब तक ज़िन्दा है?

संसद पर हुए हमले में सज़ा ए मौत का हक़दार अफ़ज़ल गुरु
ग़ज़ल

मोदी को चढ़ाओ सूली पर, दिल्ली ये कहे दरिन्दा है.
गुजरात पूछता है उनसे अफ़ज़ल क्यों अब तक ज़िन्दा है ?

बोफोर्स कमीशन खा-खा के सरहद खोखली बना दी हैं,
क्वाट्रोची की रिश्तेदारी पर वो न ज़रा शर्मिंदा है.

कश्मीर जले, आसाम जले, मुंबई जली उनके सोते,
दिल्ली में दलाली खाने का वर्षों से जिनका धंधा है.

तरकश के तीर हुए खाली, हैरत में शिकारी हैं अब भी,
परवाज़ बहुत ऊँची उसकी, मोदी तो सिर्फ़ परिंदा है.

नागों को नाथेगा वो ही, घर में जो छिपे दरारों में,
सब लोग कहें खुल्लम खुल्ला मोदी ही ऐसा बंदा है.

डॉ. सुभाष भदौरिया. ता 10-05-09 समय-11-00

कठिन शब्द- 1-दरिन्दा-हिंसक जानवर. 2-परवाज़-उड़ान 3-परिंदा- पक्षी


ये ग़ज़ल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की साइट नरेन्द्रमोदी देखने पर नाज़िल हुई. ये साइट अंग्रेजी, गुजराती. संस्कृत एवं हिन्दी में है.यहां नरेन्द्र मोदी के जीवन कवन के साथ साथ गुजरात के विकाश में आप सीधे अपनी राय सुझाव दे सकते हैं. मुख्यमंत्री मोदीजी के तमाम महत्वपूर्ण साक्षात्कार,वार्तालाप के वीडियो, फोटो, यहाँ उपलब्ध हैं. यहाँ गुजरात को स्वर्णिम गुजरात बनाने के मात्र संकल्प ही नहीं फार्मूले भी हैं. जो लोग लाभ लेना चाहते हैं लें जलना चाहते हैं जलें.हमारा तो काम तो मात्र इत्तिला देना है.
हम तो हमारे राज्य के आदरणीय मुख्य मंत्रीजी के इसलिए आभारी हैं कि उनकी साइट पर जाने से हमारी मौज़ूदा हालात से वाबस्ता ग़ज़लों में आज और इज़ाफा हो गया. वतन की आन बान और शान की लड़ाई में हम खुद वर्षों से मुलव्वस हैं. कमज़र्फ़ मौज़ूदा दिल्ली के हुक्मरानों ने आज हमारी सारी अना को गिरवी रख दिया है रंज तो इस बात का है लोगों की नींद अभी भी टूटी नहीं और हम हैं कि रात दिन भौंक भौंक कर हलकान हुए जा रहे हैं बस इसी उम्मीद पर कभी तो वे जागेंगें.आमीन.























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