बुधवार, 2 सितंबर 2009

मोदीजी आँखें खोलिए,राज्य के शिक्षकों के दुख देखिए.

मोदीजी आँखें खोलिए, राज्य के शिक्षकों के दुख देखिए.
ता. 5 सितम्बर गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री श्रीनरेन्द्रमोदीजी ओनलाइन डी.टी.एच. के माध्यम से राज्य के तमाम शिक्षकों, छात्र-छात्राओं को संबोधन करने वाले हैं. शिक्षकों का सम्मान भी किया जायेगा. छात्र प्रश्नोत्तरी भी करेंगे. सभी स्वर्णिम स्वर्णिम गायेंगे. जब की उच्च शिक्षा विभाग की हकीकत घोर अंधकारमय हैं. केन्द्रीय एच.आर.डी. डिपार्टमेन्ट के मंत्री श्री कपिल सिब्बलजीhttp://www.education.nic.in/ministerpage.asp ने गुजरात के उच्चशिक्षा विभाग में फैले भृष्टाचार की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी भी गठित कर दी है ऐसा राज्य के दैनिक पत्र कह रहे हैं. हमने अपनी पिछली कई पोस्टों में कुछ सच्चाइयों को उजागर किया था. स्वयं मुख्यमंत्रीजी को मेल कर उच्चशिक्षा विभाग में चल रहे भृष्टाचार के खिलाफ आँखें लाल करने की विनती की थी पर उन्होंने आँखे लाल करने की बात तो दूर रही आँखें खोली भी नहीं. कम से कम अब तो शिक्षक दिन के पूर्व खोललें तो गरीब शिक्षको का मोक्ष हो सकता है.
राज्य के सरकारी गैर सरकारी कोलेजों में पढाने वाले हजारों शिक्षकों को छठा वेतनमान अभी तक नहीं दिया गया. राज्य के तमाम विभागों में छठा वेतनमान दिया जा चुका है. शिक्षामंत्री रमणवोराजी ने पन्द्रह अगस्त से पहले देने की घोषणा भी की थी पर अभी तक फाइल शिक्षा सचिव अडियाजी और वित्त सचिव के बीच घूम रही है. राज्य की कॉलेजों के शिक्षक शिक्षिकायें रो रहे हैं दाल अस्सी रुपये किलो होगयी सब्जी के दाम,बच्चों की फीस सब बढ़ गयी पर तनखाह ज्यों की त्यों.
सरकारी कोलेजों का सबसे बुरा हाल है रेग्युलर प्रिंसीपल ही नहीं. सरकारी अध्यापकों को 15 साल से प्रमोशन न देने के कारण कोलेजों को इंचार्ज प्रिंसापल से घसीटा जा रहा है. 25 सरकारी अध्यापकों की प्रमोशन लिस्ट को गुजरात राज्य सेवा आयोग ने दो मास पूर्व मंजूरी दे दी फिर भी अभी तक कोई प्रमोशन के आदेश नही हुए.मुख्यमंत्रीजी फाइल पर सही करें तब नियुक्तियां हो. शिक्षक दिन से पूर्व मुख्यमंत्रीजी सही कर राज्य की सरकारी कोलेजों में रेग्युलर प्रिंसीपल के आदेश कर सकते हैं जिससे सरकारी कोलेजों का स्तर सुधरे. हमारा लिस्ट में 18 वां नाम है. प्रमोशन के आर्डर की राह देखते देखते अध्यापकों की आँखें पथरा गई. हमें मित्रों ने सलाह दी चढ़ौती चढ़ावो, मन्नत मानो ऐसे ही रेग्युलर प्रिंसीपल बनना चाहते हो. अब हम कहां से चढ़ौती चढ़ायें, मन्नत मानें. हमारे पांच साल से इंक्रीमेंट शिक्षा कमिश्नर श्रीमती जयन्ती रवीने अटका रखे हैं. राज्य के शिक्षा विभाग में सर्वोच्च योग्यतायें 1990 से पीएच.डी. एम.ए. गोल्डमेडालिस्ट गुजरात युनिवर्सिटी 18 साल का अनुभव, एन.सी.सी की 10 वर्ष सेवा केप्टन रेंक पूरे केरियर में एक मेमो भीनहीं. फिर भी पांच साल से आर्थिक मानसिक परेशान किया जा रहा है. कारण राज्य के उच्च शिक्षा विभाग में फैले भृषटाचार के बारे में हम क्यों लिखते है
शिक्षा कमिश्नर श्रीमती जयन्ती रवी से जब भी मिलो कहती हैं तुमने मुख्यमंत्री को शिकायत की है जाओ उन्हीं के पास. दूसरी तरफ मुख्यमंत्रीजी द्वारा खोली गई गुजरात नेशनल लॉ युनिवर्सिटी गाँधीनगर में हमारे सुपुत्र 4 थे साल में पढ़ रहे है एक लाख हर साल फीस भरनी पढ़ती है. सो हमारे इकलौते एकाउन्टमें 1000 रुपये से ज़्यादा होते ही नहीं कभी कुछ हो गया तो क्रियाकर्म के खर्च की जिम्मेदारी मित्रों को उठानी होगी.
फिर हमारी आत्मा मुख्यमंत्रीजी के आसपास भटकेगी. पर उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि उनके साथ तो हमेशा कई आत्मायें फिरती रहती है गोधरा के बाद तो पूरी पलटन ही है. वे योगी हैं सो सब दूर रहते हैं.
गुजरात आर्टस एवं सायंस कोलेज अहमदाबाद से शिक्षा कमिश्नर श्रीमती जयन्ती रवी ने निष्काषित कर 150 किमी.शहेरा गाँव में इंचार्ज प्रिंसीपल का चार्ज देकर फेंक दिया. किसी भी राज्य में एन.सी.सी की युनिट चलाने वाले अध्यापक को एन.सी.सी. बिना की कॉलेज में ट्रांसफर नहीं किया जाता. पिछले पाँच साल से सिलेक्शन ग्रेड के इंक्रीमेंट रोककर हैरान किया जा रहा है 98-99 से साल के सी.आर.में हमारे इंचार्ज प्रिंसीपल आर. ज़ेड सैयद ने लिख दिया था सूझ नहीं है वे रिटायर्ड होकर अमरीका चले गये हमारी मिट्टीपलीद हो रही है. उच्चशिक्षा कमिश्नर की कचहरी में लीगल एडवाइज़र के रूपमें कार्यरत बहुत ही जूनियर राज्यशास्त्र के अध्यापक श्री डी.डी. पटेल सरकारी आर्टस कोलेज गाँधीनगर में पढ़ाने की जगह फाइल पर गलत सलाह देकर राज्य सरकार के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा केश करवाते हैं. गुजरात हाईकोर्ट में खुद एफीडेविट न कर ओडिट आफीसर एच.सी. पटेल से करवाते हैं. हमारे केश में उन्होंने 98-99 के सी.आर में सूझ नहीं है कारण देकर सिलेक्शन ग्रेड पांच साल देरी से देने की सलाह दी.
जब हमें कोई सूझ नहीं है तो फिर शिक्षा कमिश्नर श्रीमती जयन्ती रवी(I.A.S.) हमें इंचार्ज प्रिंसीपल का चार्ज देकर सरकारी कोलेज शहेरा क्यों भेजा. हमने इसकी लिखित शिकायत राज्य के शिक्षा सचिव श्री हसमुख अडिया को की, राज्य के मुख्यमंत्रीजो पचासों बार मेल से बताया हे दया निधान आँखें खोलो . राज्य के तमाम विभागों छटा वेतनमान का फिक्सेसन ओनलाइन किया गया परंतु सरकारी कोलेज के अध्यापकों की डी.पी.सी. कमेटी चेयरमेन डॉ.आर.यु.पुरोहित, ओडिट आफीसर एच.सी.पटेल सरकारी अध्यापकों के भाग्य निर्माता हैं.
पुरोहित जी बहुत ही जूनियर अध्यापक होने के बावजूद किस जादू से उच्चशिक्षा कमिश्नर कचेहरी में जोइन डायरेक्टर बने बैठे हैं ,ओडिट आफीसर एच.सी.पटेल सरकारी कोलेजों के इंचार्ज जोइन डायरेक्टर का चार्ज संभाले हुए हैं. गाँधीनगर सरकारी आर्टस कोलेज में राज्य शास्त्र पढ़ाने की जगह डी.डी. पटेल उच्चशिक्षा कमिश्नर कचेहरी में लीगल एडवाइज़र बन ज़्यादा से ज़्यादा के सरकार के खिलाफ क्यों केश करवाते हैं. मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदीजी आँखें खोलें तो पता चले. उपरोक्त मुख्य मंत्रीजी की तस्वीर हमेंउनकी साइड
http://narendramodi.in/login/register
पर मिली. राज्य के तमाम नागरिकों को उन्होंने हिन्दी गुजराती,अंग्रेजी, संस्कृत. मराठी भाषा में अपनी फरियाद करने की छूट दी है. हम राज्य के अन्य पीड़ित नर नारियों को इस साइड पर जाकर अपनी वेदना व्यक्त करने का सुझाव दे रहे हैं. सच को कहने के ज़ोख़म हमने उठाये हैं अहमदाबाद अपने परिवार से बिछुड़े साल हो रहा है उसका दुख नहीं दुख तो इस बात का है कि उन्होंने गुजरात कोलेज अहमदाबाद की एन.सी.सी. से अलग कर के राष्ट्र सेवा का आखिरी अवसर भी छीन लिया. हैरत तो इस बात की है कि ये देश के नंबर वन मुख्यमंत्री माने जाने वाले नरेन्द्रमोदीजी के राज्यमें उच्च शिक्षा विभाग में ये सब चल रहा है और वे आँखें बंद कर ध्यान मग्न हैं. न जाने उनकी आँखें कब खुलेगी, कब उनका ध्यान भंग होगा.
इंचार्ज प्रिंसीपल डॉ.सुभाष भदौरिया सरकारी आर्टस कॉलेज शहेरा ता.02-09-09

6 टिप्‍पणियां:

  1. भदौरियाजी ,
    वे आँखें नहीं खोलेंगे क्योंकि बापू ने बुरा देखने के लिए मना कर रखा है।
    आप ग़लत दरवाज़े पर घंटी बजा रहे हैं
    घंटी क्या आप घंटा भी बजायेंगे तो कोई सुनने वाला नहीं ॥
    क्योंकि आँखें मींच नहीं रखी हैं
    __ज़बरदस्ती भींच रखी हैं

    आपके लिए सिर्फ़ शुभकामनायें.............

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  2. अलबेलाजी आप संवेदना से भरे फनकार है आपने हमारी पीड़ा समझी.बापू ने उन्हें बुरा देखने को मना कर रखा है आप की खोज काबिले तारीफ है आपने सच कहा गलत दरवाजे पर घंटी बजा रहे हैं हमने तो सुना था कि .योगी की अन्तर की खुल जाती हैं वे आँखें बद करके भी बहुत देख लेते हैं.पर हमारे मुख्यमंत्री वही देखते हैं जो शिक्षा सचिव और शिक्षा कमिश्नर दिखाते हैं.
    भैया हमारे कहीं प्राण न छूट जायें इंक्रीमेंट तो पांच साल से नहीं छूटे हाईकोर्ट में भी गुहार लगाली मेटर रूल्ड हुई कोर्ट ने कहां छ महीने में निर्णय लो.कोर्ट भी हम गरीब लोगों पर बोझ बनी हैं न्याय मांगने जाओ तो कातिल को कहती है छ महीने में निर्णय लो आप कब निर्ण. लेगें मी-लोर्ड.
    एक मित्रने कहा कि 5 सितम्बर को मरने की सलाह दी शिक्षक दिन है समाचार के हैडिंग बनेंगे.मुहूर्त अच्छा है.हमने कहा यार बच्चे पढ़ रहे हैं बिचारे भटक जायेंगे और धूर्त आनंद लेंगे तुम हमें सही मरने की क्यों सलाह देते हो हमारे मित्र भी धन्य हैं.हमारी मौत उनके लिए हैडिंग से ज़्यादा कुछ भी नहीं.
    जय हो पापी दुनियां की

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  3. Dear Dr Subhash,

    Bravo. In my opinion to ur article, administration in recent days has become partial & prejudicial.law is blind. Me too as a lecturer in government of gujarat higher education dept, faced evils of similar things and Transfered 5 times in 18 months. nobody listens our representations. while station seniors are enjoying at the same place for more than 13 to 15 years.

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  4. Dear kamal chhaya oh you was with me in N.C.C.officer training school kamtee.IN 95.during trianig we suffered for our Gujarat lotof.I know you are also in hit list so they transfed you again to again and hopless lecterers are getting enjoy in Ahmedabad. You was last month in madvi(Bhuj kutchh) now I heard you are i Joonagad Saurashatra) Isnt it?
    Why they are tarcharin N.C.C. officer.
    Shuld be use army tacti like Ambushh. What u Think tell me.
    we will definate hit them.
    You rememember me in blog.Thanks capt.Chhaya.

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  5. ये हाल तो मप्र, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र (शायद अन्य राज्यों में भी) के उच्च शिक्षा विभागों में भी है. महाराष्ट्र में अभी शिक्षक 40 दिन के हड़ताल पर रहे. मप्र में आंदोलन जारी है...

    सरकार को इधर से वोट नहीं मिलता इसलिए कान बंद हैं शायद...

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  6. ब्लोग की तकनीक दुनिया के भीष्म पितामह परम आदरणीय रवी रत्लामीजी हमारे ब्लॉग पर आयें हैं जहे नसीब.

    रत्लामीजी शिक्षक साधारण नहीं होती उसकी गोद में प्रलय और निर्माण पलते हैं वैसा आजकल नहीं है. आजकल तो शिक्षक वो बकरी है जिसकी टांग पकड़ कर जो चाहे दुह लेता है जो चाहे सवारी कर लेता है बिचारे में में करके रह जाते हैं कोई फरियाद बी नहीं करते.
    चाणक्य के वंशज दिशाहीन अपनी गरिमा खो चुके हैं राजनीतिज्ञ उसीका लाभ उठा रहे हैं.आप ढीक कहर रहे हैं बात महाराष्ट्र की हो या मध्यप्रदेश की सब चोर चोर मौसेरे भाई हैं.
    आपकी रचनाकार साइड ने नये इंटरनेट विहीन आम माने जाने वाले रचनाकारों की रचनाओं को प्रस्तुत कर हिन्दी भाषा की बहुत बड़ी सेवा की है.मैं अपने ब्लॉग पर आने के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ.

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