मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

फूल है सामने ख़ंजर पीछे,तुझको बचना है उनकी घातों में.
















ग़ज़ल

वो न मानेंगे बात बातों में.
जिनको आता मज़ा है लातों में.

फूल  है सामने ख़ंजर पीछे,
तुझको बचना है उनकी घातों में.

दिन दहाड़े वो देश लूटे हैं,
ख़ौप रहता था पहले रातों में.

जंग लड़नी है, हमको मिलकर के,
फूट डालेंगे मिल वो जातों में.

अब गरुण बन के झपटना है तुझे,
देश में सापों की जमातों में.

हमतो तन्हा ही बहुत अच्छे हैं,
क्या रखा है फ़रेबी नातों में

डॉ.सुभाष भदौरिया.
एक बार हम फिर से अपने पुराने तेवरों में वापिस लौटे हैं चारों तरफ जब सांप ही सांप हो तो भला कोई कब तक सहन कर सकता है.  हमारा मश्वरा है देश के लोग शहरों और गांवों के सांपों से बाद में निपटें पहले आस्तीनों के सापों का फन कुचलें.
भृष्टाचार रूपी कालीनाग का दमन सिर्फ अन्नाजी या उनकी मंडली से संभव नहीं होगा. उपवास से आत्मा की शुद्धि भले होती हो असुर शुद्धि के लिए तो अग्नि ही काम आती है. आखिर लोग कब तक ख़ामोश रहेंगें. सर्दी के मौसम में असुर स्वाहा का कार्यक्रम हो तो कछ मज़ा आये केन्डल जला उपवास रखने से वो समझने वाले नहीं सभी चोर चोर मौसेरे भाई जो ठहरे मज़बूत लोकपाल बिल के लिए कुर्बानी देनी होगी.
देश के नवयुवकों का  आक्रोश फेश बुक पर मर्यादा को पार भले कर गया हो पर ग़लत नहीं हैं. दिल्ली के कर्णधार खुद पे लगाम लगाने की जगह फेशबुक जैसी सामाजिक साइडों पर पाबंदी लगा और भी आग को भड़कायेंगे.
फेश बुक पर  देश की  वर्तमान समस्या पर पायी तस्वीर ने हमें भी ग़ज़ल लिखने को मज़बूर कर दिया था तभी से हम भी फेश बुक के चाहक हो गये.
हमारे देश का युवा वर्ग अपनी ताकत के साथ  फेशबुक पर मौज़ूद है.जो जागा हुआ है वे समझते हैं देश सो रहा है.










7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद उम्दा प्रस्तुति

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  2. एक जमाने के बाद आयें हैं.
    आप एक अरसे के बाद हमारे ब्लाग पर आयी हैं आपका स्वागत है.

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  3. संजूजी आपका हमारे ब्लाग पर स्वागत है.आपने ब्लाग पर टिप्पणी करने वाली शख़्शियत की शिनाख़्त करना मेरी आदतों में शुमार है.आपका ब्लाग देखा.लिखते रहिए हमारा लेखन ही हमारे ख़ामोश होने के बाद भी बोलता है. ये हुनर सबके पास नहीं होता.देने वाला ये शऊर सबको नहीं देता.

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  4. Aag jab jalti hai toh garmi deti hai... lekin, aapke dwaara jalaaii iss aag ne mann mein shaanti di hai... desh aur deshwaasiyon ke liye humesha achchha hi nikalna chahiye... Prantu, humari dashaa waqaii shochniye ho gayee hai... aise mein galat netaaon ko kataaksh jhelna hi hoga... bahut badiya tareeke se aapne desh hit ka sochne waale chotil insaaon ki baat sabke samaksh rakhi... bahut badiya...

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  5. डी.डी. साहब आपकी नवाज़िश के लिए शुक्रिया. देश के हालात हर शख्श को परेशान कर रहे हैं. चारों तरफ लूट खसोट चल रही है भूखे एक दिन जागेंगे. ये मुल्क वीरों का है यहाँ की वीरंगनायें भी जलती आग पर चलना जानती हैं तलवार तो मामूली है. जब लोगों का धीरज छूटा फिर वो सब से हिसाब लेंगे. अभी तो शुरूआत है

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