शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

हाथ पर हाथ क्यों धरे बैठे ? इतनी कुर्षी से मुहब्बत क्यों है

ग़ज़ल

उनको सहने की ये आदत क्यों है ?
बुज़दिली उनकी शराफ़त क्यों है.

हाथ पर हाथ क्यों धरे बैठे ?
इतनी कुर्षी से मुहब्बत क्यों है ?

सांस की जगह रोकते पानी ,
ये मदारी सी करामत क्यों है. ?


जान हमतो वतन पे दे बैठे,
अपनी लाशों पे सियासत क्यों है ?

जो भी करना है आर-पार करो,
अपने दुश्मन पे रियायत क्यों है ?

घाटी जलती है अगर धू- धू के,
फिर करांची ये सलामत क्यों है ?


डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात ता.२२-०२-२०१९

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