शनिवार, 10 नवंबर 2007

रूहें तुमसे से सवाल पूछेंगी.



ग़ज़ल



दिल को नाशाद करके देखो तो .
हमको बरबाद करके देखो तो .

ज़िन्दा जलते न देखो लोगों को,
उनकी इमदाद करके देखो तो .

रूहें तुमसे सवाल पूछेंगी .
अहमदाबाद करके देखो तो.

आईनों पर न यों करो गुस्सा,
उनको आबाद करके देखो तो.

मेरी परवाज़ जानना चाहो ,
मुझको आज़ाद करके देखो तो.

शीरी ख़ुद चलके पास आयेगी,
ख़ुद को फ़रहाद करके देखो तो.

डॉ. सुभाष भदौरिया,अहमदाबाद ता.10-11-07 समय-10.10 AM


1 टिप्पणी:

  1. क्या गज़ब लिखा है आपने सुभाष जी.
    और तस्वीर भी बढिया ढ़ूढ़ कर लगायी है.
    बहुत ही बढ़िया! बहुत खूब.

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