ग़ज़ल
दिल को नाशाद करके देखो तो .
हमको बरबाद करके देखो तो .
ज़िन्दा जलते न देखो लोगों को,
उनकी इमदाद करके देखो तो .
रूहें तुमसे सवाल पूछेंगी .
अहमदाबाद करके देखो तो.
आईनों पर न यों करो गुस्सा,
उनको आबाद करके देखो तो.
मेरी परवाज़ जानना चाहो ,
मुझको आज़ाद करके देखो तो.
शीरी ख़ुद चलके पास आयेगी,
ख़ुद को फ़रहाद करके देखो तो.
डॉ. सुभाष भदौरिया,अहमदाबाद ता.10-11-07 समय-10.10 AM
क्या गज़ब लिखा है आपने सुभाष जी.
जवाब देंहटाएंऔर तस्वीर भी बढिया ढ़ूढ़ कर लगायी है.
बहुत ही बढ़िया! बहुत खूब.