ग़ज़लचुप बहुत रह लिए कुछ, सुना दीजिये.
हो सके तो जरा मुस्करा दीजिये .
थम न जायें कहीं आशिकी में कदम,
थोड़ा थोड़ा सही हौसला दीजिये.
नीव गर हैं जो हम तो लगाओ गले,
और दीवार हैं तो गिरा दीजिये.
आईना पहले खुद आप भी देखिये,
बाद में चाहे जो भी सज़ा दीजिये.
जान बाकी अभी जानिसारों में है,
अपने दामन की थोड़ी हवा दीजिये.
मान भी जाइये यों न ज़िद कीजिये,
बीती बातों को अब तो भुला दीजिये.
हो सके तो जरा मुस्करा दीजिये .
थम न जायें कहीं आशिकी में कदम,
थोड़ा थोड़ा सही हौसला दीजिये.
नीव गर हैं जो हम तो लगाओ गले,
और दीवार हैं तो गिरा दीजिये.
आईना पहले खुद आप भी देखिये,
बाद में चाहे जो भी सज़ा दीजिये.
जान बाकी अभी जानिसारों में है,
अपने दामन की थोड़ी हवा दीजिये.
मान भी जाइये यों न ज़िद कीजिये,
बीती बातों को अब तो भुला दीजिये.
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