उपरोक्त एन.सी.सी. युनिफोर्ममें में मुख्यमंत्रीश्री से हस्तधुन करती तस्वीर हमारी है जब वे हमारी गुजरात कॉलेज पधारे थे।
मुख्यमंत्री श्रीनरेन्द्रमोदी की सरकारी कॉलेज से हिन्दी निष्कासित.मात्र राज्य ही नहीं राष्ट्र स्तर पर आलीशान कॉलेज श्री के.का.शास्त्री शिक्षा संस्थान मणीनगर परिसर का लोकार्पण करते समय ता.19-6-08 के रोज मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी फूले न समाये. कार्यक्रम की शुरुआत छात्र छात्रों द्वारा हिन्दी प्रार्थना-नृत्य इतनी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमजोर होना की मनमोहक प्रस्तुति से हुआ.
मंचस्थ महानुभावों में मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदी, महसूल मंत्री श्रीमती आनंदी बहिन पटेल शिक्षामंत्रीश्री रमणलाल वोरा, राज्यकक्षा शिक्षामंत्री श्रीमती डॉ.मायाबहिन कोडनानी ,संसद सभ्य हरीन पाठक,राज्य की शिक्षा कमिश्नर,गुजरात राज्य की युनिवर्सिटी के कुलपति गण सभी झूम रहे थे. एन.सी.सी ऑफीसर के रूप में मैं भी हाज़िर था. पर हिन्दी अध्यापक होने के नाते मेरा मन रो रहा था कि जिस हिन्दी भाषा की मधुरता पर सब के सर हिल रहे थे क्या उन्हें पता है कि उसी राष्ट्र भाषा हिन्दी को दो वर्ष से यहाँ सरकारी आर्टस कॉलेज में विद्यार्थीओं की भारी मांग होने के वावज़ूद हिन्दी भाषा को विषय के रूप में नहीं दिया जा रहा.कारण कॉलेज की कार्यकारी आचार्य श्रीमती गीता पंड्या हिन्दी को फालतू विषय बताती हैं. अंग्रेजी,संस्कृत,गुजराती,मनोविज्ञान,अर्थशास्त्र,इंडोलोजी विषय पढ़ाये जाते हैं पर हिन्दी नहीं. पर इसके पीछे का रहस्य यह है कि वे अर्थशास्त्र की अध्यापिका हैं उनका प्रिंसीपल की प्रमोशन लिस्ट में नाम है हिन्दी विषय देने से हिन्दी का कोई पिंसीपल आ सकता है. इसलिये न रहेगा बांस न बजेगी बासुरी. अपनी कुर्षी को बचाने के चक्कर में ये खेल जारी है.
अहमदाबाद मणीनगर की पूर्व पट्टी में ज्यादातर गरीब हिन्दी बोलने वाले हिन्दू,मुसलमानों की संख्या ज़्यादा है . ये मुख्यमंत्रीजी का विधानसभाक्षेत्र है.जब हिन्दी के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है तो उर्दू, फारसी की बात करना तो दूर की बात है. गुजरात राज्य की अंग्रेजों के जमाने की सबसे पुरानी हमारी गुजरात कॉलेज में हिन्दी ही नहीं उर्दू फ़ारसी भाषायें भी सिखायी जाती हैं.
जिन विद्वान के.का.शास्त्री के नाम पर इस कालेज का नामकरण संस्कार हुआ है ये वे संस्कृत गुजराती हिन्दी के प्रकांड पंडित थे. हिन्दी भाषा को बेहद प्यार करते थे मेरा उनसे कई बार मिलना हुआ था. कल रात स्वप्न में उनकी स्वर्गीय आत्मा ने मुझसे कहा वत्स मैं इस दुनियां में होता तो हिन्दी के साथ कॉलेज की आचार्या के इस रवैये की सीधी शिकायत मुख्यमंत्रीजी से करता और हिन्दी के साथ उर्दू,फारसी भाषाओं को भी शुरू कराता. तुम कुछ करो वत्स. मैंने कहा मैं क्या कर सकता हूँ मैं एक हिन्दी के अध्यापक के नाते लेख ही लिख सकता हूँ.
मणीनगर के गरीब तबके हिन्दू मुसलमान बाहर से ही शानदार बिल्डिंग को हसरतों से देखते हुए गुजरजाते हैं उनकी कोई सुनने धुनने वाला नहीं.मुख्यमंत्रीजी ने अपने इस विधान सभा क्षेत्र में गरीबों खासकर आमलोगों को अपने विस्तार में पढ़ने की तमाम सुविधा मिले इस हेतु से सरकारी बी.बी.ए.कॉलेज,सरकारी ऑर्टस कालेज,सरकारी सायंस कॉलेज,सरकारी लॉ कॉलेज केरियर डेवलपमेंट सेन्टर जैसी शाखायें खोली.पर इसमें हिन्दी उर्दू भाषायें बेरहमी से मारी गयी.
जिस हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने पूरे भारत में अलख जगायी. कच्छ के महाराजा ने कच्छ में प्राचीन समय में ब्रजभाषा की पाठशालायें खोली, तत्कालीन समय में हिन्दी सीखने लोग गुजरात आते थे. गुजरात के कवि दयाराम गुजराती के साथ ब्रजभाषा के प्रकांड विद्वान माने गये है. उनकी दयाराम सत्सई उनकी अनुपमकृति है. आज उसी हिन्दी को गुजरात सेनिष्काषित किया जा रहा है. स्कूलों में हिन्दी जो दो वर्ष पूर्व गुजराती के साथ अनिवार्य विषय के रूप में सिखायी जा रही था उसे हटा दिया गया है अपनी बिटिया को कक्षा 11 कोमर्स में प्रवेश दिलाने पर पता चला उसे हिन्दी नहीं मिल सकती वह तो बंद हो गयी.
गुजराती कंपलसरी मिलेगी हिन्दी नहीं. वह मेरी तरफ दर्द से देख कर रह गयी. बेटी के गुजराती में 78 अंक हिन्दी में 75 अंक. मैंने दोनो विषय पढ़ाये थे अंग्रेजी माध्यम तो उसका था ही वह मन मसोस के रह गयी.
और जब कॉलेज में अपने हिन्दी विभाग में बैठा था तो कालेज की प्यून वृद्धा ने आकर मुझ पर कई सवाल दाग़ दिये उसने कहा मेरी बेटी सुनीता को आपने पढ़ाया उसने हिन्दी से बी.ए.में फर्स्टक्लास अंक प्राप्त किये अभी उसने एम.ए.में 58 प्रतिशत अंक प्राप्त किये.बताओ वो क्या करे रा्ज्य में से स्कूलों से हिन्दी हटा दी गयी बी.एड.कर के क्या करे. कॉलेज में रिटायर्ड अध्यापकों को पढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा हैं नयी भर्ती बंद है मेरी बेटी क्या करे उसने कहा है कि मेरे हिन्दी डिपार्टमेंट के हेड डॉ.भदौरिया साहब
से पूछना उन्होंने मुझे बी.ए. में हिन्दी पढ़ाया है.
अपने सत्रह साल के हिन्दी पढाने के केरियर में इन सवालों के जबाब मुझे देने होंगे नहीं सोचा था.उस कर्मचारी महिला ने ये भी कहा कि मैने आपलोगों पानी पिलाकर आप लोगों के डिपार्टमेंट में झाड़ू लगा कर मेरी बेटी को पढ़ाया कि वो कुछ आगे बढ़े जो मैनें किया वो उसे न करना पड़े. उसे राष्ट्रभाषा पढ़ने को बड़ा शौक था. अरे गुजराती विषय रखा होता तो स्कूल में तो नौकरी मिल जाती.
वो घर पर रोती रहती है साहब हिन्दी पढ़ कर अच्छे अंक लाकर वो क्या करे. मैं दुबारा आपके पास इन सवालों के जबाब लेने आऊँगी आप सोचके रखना. मैं चुप था कुछ बोल न सका.
गुजरात मे हिन्दी की दुर्दशा के जिम्मेवार वे तमाम हिन्दी के शिक्षक हैं जो अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यमों में पढ़ाकर आश्वस्त हैं किराज्य की स्कूलों से कॉलेजों से हिन्दी बिल्कुल निकल जाये तो अब उन्हें चिन्ता नहीं स्वैच्छिक निवृत्ति ले कर पेंशन पर गुज़ारा कर लेंगे.
हमारी रही सही कसर सुब्ह गुजरात युनिवर्सिटी की विभागाअध्यक्ष डॉ.रंजना अरगडे ने पूरी कर दी उन्होंने कहा मैं सुब्ह सुब्ह आपके चिंतनकक्ष में गुजरात में हिन्दी के साथ होने वाले सौतेले व्यवहार की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ.
कि आप अब तक चुप क्यों हैं.
अब हम क्या करें सब को ऐसा लगता है कि हम कुछ कर सकते हैं हम तो सिर्फ बांस पर चढ़ के इतना ही कह सकते हैं कि भाई हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है उसे भी कोने मे पड़ा रहने दो अंग्रेजी के साथ खूबचूमाचाटी करो हनीमुन मनाओ, पर इस गरीब हिन्दी पर ज़ुल्म मत करों मेरे दाताओ,भाग्य निर्माताओ. इस गरीब हिन्दी दुखियारी की बददुआयें मत लो. जो हिन्दी को प्यार नहीं करते वे हिन्दुस्तान को कैसे करेंगे. मैं तो राज्य के मुख्य मंत्रीजी से निवेदन कर सकता हूँ कि वे इस वर्ष अपनी सरकारी कॉलेज मे हिन्दी के साथ उर्दू फ़ारसी भाषाओं को शुरू कराने का आदेश देकर अपने अन्यभाषाओं के प्रति प्रेम का आम विधानसभा क्षेत्र के गरीब हिन्दू मुसलमानों को प्रतीत करायें पर कॉलेज की आचार्या गीता पंड्या कोई आ ही नहीं रहा कि रिपोर्ट देकर हिन्दी उर्दू स्वाहा कर देंगी. मैं इस नामांकित कालेज में अपनी सेवायें देने को तैयार हूँ. वर्षो से प्रिंसीपल के प्रमोशन की फाइल जो अटकी पड़ी है इंचार्ज प्रिंसीपल से काम चल रहा है जब मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र की सरकारी कॉलेज में रेग्यूलर प्रिंसीपल नहीं तो बाकी का क्या हाल होगा.
हम तो सबको सन्मति दे भगवान अल्लाह ईश्वर तेरे नाम की प्रार्थना कर सकते हैं.
आमीन.
डॉ.सुभाष भदौरिया अध्यक्ष हिन्दी विभाग
गुजरात आर्टस सायंस कॉलेज अहमदाबाद. ता.22-6-08 समय-2-00PM
मंचस्थ महानुभावों में मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदी, महसूल मंत्री श्रीमती आनंदी बहिन पटेल शिक्षामंत्रीश्री रमणलाल वोरा, राज्यकक्षा शिक्षामंत्री श्रीमती डॉ.मायाबहिन कोडनानी ,संसद सभ्य हरीन पाठक,राज्य की शिक्षा कमिश्नर,गुजरात राज्य की युनिवर्सिटी के कुलपति गण सभी झूम रहे थे. एन.सी.सी ऑफीसर के रूप में मैं भी हाज़िर था. पर हिन्दी अध्यापक होने के नाते मेरा मन रो रहा था कि जिस हिन्दी भाषा की मधुरता पर सब के सर हिल रहे थे क्या उन्हें पता है कि उसी राष्ट्र भाषा हिन्दी को दो वर्ष से यहाँ सरकारी आर्टस कॉलेज में विद्यार्थीओं की भारी मांग होने के वावज़ूद हिन्दी भाषा को विषय के रूप में नहीं दिया जा रहा.कारण कॉलेज की कार्यकारी आचार्य श्रीमती गीता पंड्या हिन्दी को फालतू विषय बताती हैं. अंग्रेजी,संस्कृत,गुजराती,मनोविज्ञान,अर्थशास्त्र,इंडोलोजी विषय पढ़ाये जाते हैं पर हिन्दी नहीं. पर इसके पीछे का रहस्य यह है कि वे अर्थशास्त्र की अध्यापिका हैं उनका प्रिंसीपल की प्रमोशन लिस्ट में नाम है हिन्दी विषय देने से हिन्दी का कोई पिंसीपल आ सकता है. इसलिये न रहेगा बांस न बजेगी बासुरी. अपनी कुर्षी को बचाने के चक्कर में ये खेल जारी है.
अहमदाबाद मणीनगर की पूर्व पट्टी में ज्यादातर गरीब हिन्दी बोलने वाले हिन्दू,मुसलमानों की संख्या ज़्यादा है . ये मुख्यमंत्रीजी का विधानसभाक्षेत्र है.जब हिन्दी के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है तो उर्दू, फारसी की बात करना तो दूर की बात है. गुजरात राज्य की अंग्रेजों के जमाने की सबसे पुरानी हमारी गुजरात कॉलेज में हिन्दी ही नहीं उर्दू फ़ारसी भाषायें भी सिखायी जाती हैं.
जिन विद्वान के.का.शास्त्री के नाम पर इस कालेज का नामकरण संस्कार हुआ है ये वे संस्कृत गुजराती हिन्दी के प्रकांड पंडित थे. हिन्दी भाषा को बेहद प्यार करते थे मेरा उनसे कई बार मिलना हुआ था. कल रात स्वप्न में उनकी स्वर्गीय आत्मा ने मुझसे कहा वत्स मैं इस दुनियां में होता तो हिन्दी के साथ कॉलेज की आचार्या के इस रवैये की सीधी शिकायत मुख्यमंत्रीजी से करता और हिन्दी के साथ उर्दू,फारसी भाषाओं को भी शुरू कराता. तुम कुछ करो वत्स. मैंने कहा मैं क्या कर सकता हूँ मैं एक हिन्दी के अध्यापक के नाते लेख ही लिख सकता हूँ.
मणीनगर के गरीब तबके हिन्दू मुसलमान बाहर से ही शानदार बिल्डिंग को हसरतों से देखते हुए गुजरजाते हैं उनकी कोई सुनने धुनने वाला नहीं.मुख्यमंत्रीजी ने अपने इस विधान सभा क्षेत्र में गरीबों खासकर आमलोगों को अपने विस्तार में पढ़ने की तमाम सुविधा मिले इस हेतु से सरकारी बी.बी.ए.कॉलेज,सरकारी ऑर्टस कालेज,सरकारी सायंस कॉलेज,सरकारी लॉ कॉलेज केरियर डेवलपमेंट सेन्टर जैसी शाखायें खोली.पर इसमें हिन्दी उर्दू भाषायें बेरहमी से मारी गयी.
जिस हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने पूरे भारत में अलख जगायी. कच्छ के महाराजा ने कच्छ में प्राचीन समय में ब्रजभाषा की पाठशालायें खोली, तत्कालीन समय में हिन्दी सीखने लोग गुजरात आते थे. गुजरात के कवि दयाराम गुजराती के साथ ब्रजभाषा के प्रकांड विद्वान माने गये है. उनकी दयाराम सत्सई उनकी अनुपमकृति है. आज उसी हिन्दी को गुजरात सेनिष्काषित किया जा रहा है. स्कूलों में हिन्दी जो दो वर्ष पूर्व गुजराती के साथ अनिवार्य विषय के रूप में सिखायी जा रही था उसे हटा दिया गया है अपनी बिटिया को कक्षा 11 कोमर्स में प्रवेश दिलाने पर पता चला उसे हिन्दी नहीं मिल सकती वह तो बंद हो गयी.
गुजराती कंपलसरी मिलेगी हिन्दी नहीं. वह मेरी तरफ दर्द से देख कर रह गयी. बेटी के गुजराती में 78 अंक हिन्दी में 75 अंक. मैंने दोनो विषय पढ़ाये थे अंग्रेजी माध्यम तो उसका था ही वह मन मसोस के रह गयी.
और जब कॉलेज में अपने हिन्दी विभाग में बैठा था तो कालेज की प्यून वृद्धा ने आकर मुझ पर कई सवाल दाग़ दिये उसने कहा मेरी बेटी सुनीता को आपने पढ़ाया उसने हिन्दी से बी.ए.में फर्स्टक्लास अंक प्राप्त किये अभी उसने एम.ए.में 58 प्रतिशत अंक प्राप्त किये.बताओ वो क्या करे रा्ज्य में से स्कूलों से हिन्दी हटा दी गयी बी.एड.कर के क्या करे. कॉलेज में रिटायर्ड अध्यापकों को पढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा हैं नयी भर्ती बंद है मेरी बेटी क्या करे उसने कहा है कि मेरे हिन्दी डिपार्टमेंट के हेड डॉ.भदौरिया साहब
से पूछना उन्होंने मुझे बी.ए. में हिन्दी पढ़ाया है.
अपने सत्रह साल के हिन्दी पढाने के केरियर में इन सवालों के जबाब मुझे देने होंगे नहीं सोचा था.उस कर्मचारी महिला ने ये भी कहा कि मैने आपलोगों पानी पिलाकर आप लोगों के डिपार्टमेंट में झाड़ू लगा कर मेरी बेटी को पढ़ाया कि वो कुछ आगे बढ़े जो मैनें किया वो उसे न करना पड़े. उसे राष्ट्रभाषा पढ़ने को बड़ा शौक था. अरे गुजराती विषय रखा होता तो स्कूल में तो नौकरी मिल जाती.
वो घर पर रोती रहती है साहब हिन्दी पढ़ कर अच्छे अंक लाकर वो क्या करे. मैं दुबारा आपके पास इन सवालों के जबाब लेने आऊँगी आप सोचके रखना. मैं चुप था कुछ बोल न सका.
गुजरात मे हिन्दी की दुर्दशा के जिम्मेवार वे तमाम हिन्दी के शिक्षक हैं जो अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यमों में पढ़ाकर आश्वस्त हैं किराज्य की स्कूलों से कॉलेजों से हिन्दी बिल्कुल निकल जाये तो अब उन्हें चिन्ता नहीं स्वैच्छिक निवृत्ति ले कर पेंशन पर गुज़ारा कर लेंगे.
हमारी रही सही कसर सुब्ह गुजरात युनिवर्सिटी की विभागाअध्यक्ष डॉ.रंजना अरगडे ने पूरी कर दी उन्होंने कहा मैं सुब्ह सुब्ह आपके चिंतनकक्ष में गुजरात में हिन्दी के साथ होने वाले सौतेले व्यवहार की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ.
कि आप अब तक चुप क्यों हैं.
अब हम क्या करें सब को ऐसा लगता है कि हम कुछ कर सकते हैं हम तो सिर्फ बांस पर चढ़ के इतना ही कह सकते हैं कि भाई हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है उसे भी कोने मे पड़ा रहने दो अंग्रेजी के साथ खूबचूमाचाटी करो हनीमुन मनाओ, पर इस गरीब हिन्दी पर ज़ुल्म मत करों मेरे दाताओ,भाग्य निर्माताओ. इस गरीब हिन्दी दुखियारी की बददुआयें मत लो. जो हिन्दी को प्यार नहीं करते वे हिन्दुस्तान को कैसे करेंगे. मैं तो राज्य के मुख्य मंत्रीजी से निवेदन कर सकता हूँ कि वे इस वर्ष अपनी सरकारी कॉलेज मे हिन्दी के साथ उर्दू फ़ारसी भाषाओं को शुरू कराने का आदेश देकर अपने अन्यभाषाओं के प्रति प्रेम का आम विधानसभा क्षेत्र के गरीब हिन्दू मुसलमानों को प्रतीत करायें पर कॉलेज की आचार्या गीता पंड्या कोई आ ही नहीं रहा कि रिपोर्ट देकर हिन्दी उर्दू स्वाहा कर देंगी. मैं इस नामांकित कालेज में अपनी सेवायें देने को तैयार हूँ. वर्षो से प्रिंसीपल के प्रमोशन की फाइल जो अटकी पड़ी है इंचार्ज प्रिंसीपल से काम चल रहा है जब मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र की सरकारी कॉलेज में रेग्यूलर प्रिंसीपल नहीं तो बाकी का क्या हाल होगा.
हम तो सबको सन्मति दे भगवान अल्लाह ईश्वर तेरे नाम की प्रार्थना कर सकते हैं.
आमीन.
डॉ.सुभाष भदौरिया अध्यक्ष हिन्दी विभाग
गुजरात आर्टस सायंस कॉलेज अहमदाबाद. ता.22-6-08 समय-2-00PM
लेख से पता चला कि वाकई में हालत बदतर है, उस प्यून की बात ने जैसे सबकुछ बयान कर दिया है।
जवाब देंहटाएंदुखद एवं अफसोसजनक.
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