ग़ज़लहमने माना कि रिश्ते पुराने हुए, कुछ हमारे भी बारे में सोचा करो.
वास्ता तुम भले ना रखो हमसे अब, यूँ सरेआम हमको न रुस्वा करो.
ऐब लाखों हैं हममें कहा आपने, कुछ हुनर पर हमारे भी बोला करो.
कोस लो कोस लो हम को जी भर के तुम, कनखियों से मगर यूँ न देखा करो.
हाल गर जानना है तो ख़ुद पूछ लो, दोस्तों से हमारे न पूछा करो.
धोका हमसे किया तो कोई ग़म नहीं, खुद से भी आप अब यूँ न धोका करो.
बंदिशे गर ज़माने कि हैँ आपको, शौक से आप लोगों का पर्दा करो.
गाहे गाहे सही भूल कर ही मेरे, ख़्वाब में तो कभी आप आया करो.
रूठ लो रूठ लो हक तुम्हें ये दिया, जब मनाये तो फिर मान जाया करो.
शीरीं होटो का कुछ तो भरम रहने दो, तल्खियों से न दिल को दुखाया करों.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.31-05-10
वास्ता तुम भले ना रखो हमसे अब, यूँ सरेआम हमको न रुस्वा करो.
ऐब लाखों हैं हममें कहा आपने, कुछ हुनर पर हमारे भी बोला करो.
कोस लो कोस लो हम को जी भर के तुम, कनखियों से मगर यूँ न देखा करो.
हाल गर जानना है तो ख़ुद पूछ लो, दोस्तों से हमारे न पूछा करो.
धोका हमसे किया तो कोई ग़म नहीं, खुद से भी आप अब यूँ न धोका करो.
बंदिशे गर ज़माने कि हैँ आपको, शौक से आप लोगों का पर्दा करो.
गाहे गाहे सही भूल कर ही मेरे, ख़्वाब में तो कभी आप आया करो.
रूठ लो रूठ लो हक तुम्हें ये दिया, जब मनाये तो फिर मान जाया करो.
शीरीं होटो का कुछ तो भरम रहने दो, तल्खियों से न दिल को दुखाया करों.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.31-05-10
वाह, क्या बात है!
जवाब देंहटाएंलो रूठ लो हक तुम्हें ये दिया, जब मनाये तो फिर मान जाया करो.
जवाब देंहटाएंशीरीं होटो का कुछ तो भरम रहने दो, तल्खियों से न दिल को दुखाया करों.
hamse bhi dosti karo ek bar , u na hame is bhari mahfil me akela chhodo
bahut khub
good ghazal
जवाब देंहटाएंरूठ लो रूठ लो हक तुम्हें ये दिया, जब मनाये तो फिर मान जाया करो.
जवाब देंहटाएंशीरीं होटो का कुछ तो भरम रहने दो, तल्खियों से न दिल को दुखाया करों.
" बेहद खुबसूरत ग़ज़ल.......यूँ कहें तो सारी ग़ज़ल सुन्दर है , मगर आखिरी का शेर .... सच कहा कोई मनाये तो मान जाना चाहिए...."
regards
Bahut khoob Subhash ji.
जवाब देंहटाएं1-नीलेशजी आपके वंदेमातरम ब्लाग पर राष्ट प्रेम की अनुपम धरोहर को आपने सहेजा है अच्छा लगा.पंडित जगदम्बा प्रसाद हितैषी की रचना-
जवाब देंहटाएंसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है का कोई जबाब नहीं.
2-शेखर तुम्हारा ब्लाग देखा तुम्हारी प्रकृति ग़ज़ल की है पर तुम्हें ग़ज़ल के शिल्प को जानना चाहिए ऐसा मुझे लगता है प्रास-(काफिया तो मिला लेते हो पर शब्द विन्यास खास कर ग़ज़लों में प्रयुक्त निश्चित छन्दों का अपना महत्व है.
जैसे तुमने अज्ञानता वश मेरे शेर को
लो रूठ लो हक तुम्हें ये दिया, जब मनायें तो फिर मान जाया करो.
जब कि ये असल में था इस तरह से-
रूठलो रूठलो हक तुम्हें ये दिया,जब मनायें तो फिर मान जाया करो.
लो रूठ लो में छन्द भंग कर दिया आपने
वास्तव में ये गुरू-लघु -गुरू की आवृत्तियाँ है. आसानी के लिए इसे 212 समझो
उपरोक्त एक पंक्ति में 8 बार इसका इस्तेमाल किया गया है.
और आसानी के आप ये मश्हूर गीत देखें
तुम अगर साथ देने का वादा करो,मैं यूं ही मस्त नगमें सुनाता रहूँ.
या-
कर चले हम फिदा जानोतन साथियो, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो.
वास्तव में ये उर्दू की मश्हूर बहर मुतदारिक है जो प्राया एक शेर (दो) पंक्तियों में मुसम्मन (8) बार प्रयुक्त की जाती है पर इसका एक शेर में 16 बार भी कुछ शायरों ने प्रयोग किया है.
तुम आसानी के लिए-
एक पंक्ति में चार बार ठीक इस तरह प्रयोग करो-
2 12- 212- 2 12 - 212
खुश रहे- तू सदा- ये दुआ-है मिरी.
वेवफा - हीसही- दिलरुबा -है मिरी.(खिलौना फिल्म की ग़ज़ल)
किसी भी नये रचनाकार को इस छन्द में गीत या ग़ज़ल में शुरूआत करने के लिए इसी से प्रारम्भ करना चाहिए.
हिन्दी गीतकार भी इसे बहुधा प्रयुक्त करते हैं.
तुम इस मंत्र को सिद्ध करो-
टिप्पणियों के बाहुल्य पर मत जाओ उनके लोभ से बचो.
तुम्हारी बाल सुलभ कामना से मुझे लगा तुममें जानने की अभी लालसा शेष है सो कुछ बातें तुम्हें बतायीं.
तुम्हें भरी महफिल में अकेला नहीं छोडे़ंगे वत्स. तुम टिप्पणियों की भीड़ से बचो वत्स. गीत ग़ज़ल पर पढ़ो मनन करो फिर लिखो यूँ औरों की तरह पेलम पेल मत करो.
3-माधव कन्हैया के क्या कहने.
आप अपने ब्लाग पर बालसुलभ लीलाओं का सुंदर वर्णन कर रहे हैं.आपने सूरदासजी की याद दिलादी-
हरि अपने आँगन कछु गावत.
कन्हैया ने मम्मी का मोबाइल को तो जल समाधि दे दी अपना कंप्यूटर बचाना उस पर भी कभी आक्रमण हो सकता है.बहुत प्यारा ब्लाग है आपका निरीह बचपन के मार्मिक जीवंत चित्र खींच रहे हैं आप.
नंद जशोदा दोनो हमारा प्रणाम स्वीकार करें.
सीमाजी आपका ब्लाग तो जादूनगरी है जो भी गुजरा गया काम से. बड़े बड़े बड़े गुरू ज्ञानी आपके ब्लाग पर जा कर मेमने कबूतर,तोता बन जाते हैं और मधुरवाणी में आपेक गीत गाते हैं आपकी विरह वेदना का जबाब नहीं.
जवाब देंहटाएंअरे अपने आपको बड़ी मुश्किल से बचाये हुए है आपकी ये नवाज़िश -
क्यों हमें मौत के पैगाम दिये जाते हैं.
वल्लाह कोई मनाये तो मान जाना चाहिए ये पैगाम सही पते पर पहुँच जाये तो क्या बात है.
एक बात हम अपने पाठकों को स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमने जिन जोहराजबीं की तस्वीरें लगा रक्खी है उनका नाम पता हमें कुछ भी मालूम नहीं बस भाव के अनरूप उन तस्वीरों का प्रयोग किया है इससे कथ्य के भाव संप्रेषण में सरलता रहती है.
पवनजी स्वागत है आप अपने रचनाकर्म को ज़ारी रखना टिप्पणियों की परवाह मत करना अनभूति की प्रामाणिकता बनाये रखिए.आमीन.