शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

लूटे हैं वतन को सब मिलकर चुपचाप तमाशा देखे हो.




ग़ज़ल

चूजों की हिफाज़त का ज़िम्मा सांपों को अगर दोगे लोगो.
सामान तबाही का अपने तुम खुद ही कर लोगे लोगो.

लूटे है वतन को सब मिलकर चुपचाप तमाशा देखे हो,
मरने पे मेरे इक दिन शाइद सड़को पे उतर लोगे लोगो.

बेहतर है अभी जागो जागो सोने का वक्त नहीं है ये,
जब ज़ुल्म से आँख मिलाओगे दावा है निखर लोगे लोगो.

बरसों का तज़ुर्बा है अपना तुम भी तो इसे अज़मा देखो,
जूझोगे अँधेरों से जब जब कुछ और संवर लोगे लोगो.

करते हो किनारों पे मस्ती मौज़ों का इल्म नहीं तुमको,
पानी जो तुम्हारे सर से गया तुम ख़ुद ही सुधर लोगे लोगो.

रावण चहुँ ओर यहाँ पर हैं सीता का रुदन भी ज़ारी है,
तुम ही हो राम तुम्हीं लक्ष्मन कब इनकी ख़बर लोगे लोगो.


एक तरफ प्रखर गाँधीवादी नेता अन्ना हजारेजी देश में फैले भृष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आमरणांत अनसन पर बैठे प्राण त्यागने को तैयार हैं तो दूसरी तरफ नागनाथ और सांपनाथ नेताओं की जोड़ी देश के भविष्य को चुपचाप निगल रही है. लोकपाल विधेयक लाने में सब राजनीतिज्ञ डर इस लिए रहे हैं कि चोर चोर मौसेरे भाई जो ठहरे उन्हें जेल में जाना न पड़े फाँसी पर न लटका दिये जायें.



पर देर सबेर ये होके ही रहेगा. अन्ना हजारेजी को अपने गुजरात राज्य की तरफ से सैल्यूट ही नहीं करता उनकी वतन के लिए लड़ी जाने वाली लड़ाई में उनके साथ अपनी शिर्कत भी करता हूँ. ब्लाग की दुनियां में जो कलमकार साथी हैं वे भी इस भृष्टाचार के खिलाफ़ लड़ी जाने वाली जंग में ज़ल्द शामिल हो और आखिरी दम तक मुकाबला करें आमीन.



डॉ.सुभाष भदौरिया शहेरा गोधरा के पास गुजरात

ता.08-04-2011



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