कभी जो नाता था तुझसे, वो कब का तोड़ दिया.
तेरी गली तो क्या, तेरा शहर भी छोड़ दिया .
दिखाया अक्श जो उसको, तो ये सज़ा दी मुझे,
जुनूं में हाथ से आईना, उसने फोड़ दिया.
परों को काट, वो पंछी की ज़ुबा सिलता था,
उड़ान भरने पे गर्दन को फिर मरोड़
दिया.
कफ़स में सांस भी लेने में दिक्कतें
थी बहुत,
अना ने हमको भी अंदर से फिर झिंझोड़
दिया.
गुलाब ज़ख़्मों के महके न क्यों
हमारे अब ?
लहू जिगर का सभी,लफ़्ज़ों में निचोड़ दिया.
उपरोक्त ग़ज़ल निम्न पसमज़र
की है जनाब.
गुजरात की राजधानी गाँधीनगर ०३-०८-२०१२
को सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा के प्रिंसीपली के साथ हमारी जोइन डायरेक्टर हाइर एज्युकेशन
इंचार्ज के रूप में नियुक्ति हुई और शीघ्र ही निष्काषन भी.
ता.१२-१०-१२ गांधीनगर जाने पर हमें पता चला कि जोइन डायरेक्टर पुरोहित के पास हमारा
भी चार्ज दिया जा चुका है. पुरोहित साहब हमेशा हायर एज्युकेशन के केशों के मामले में
गुजरात उच्च न्यायालय में पड़े रहते हैं. हमसे
सत्य बोले आई.एस. न किसी के हुए न होंगे. यार हमने तो कहा था कि भदौरिया साहब बीमार
हैं फिर भी अपनी सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा का काम कर रहे हैं.
पर आप कमिश्नर
मैडम से पूछे बिना सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा चले गये. मैने कहा वहां पर मेरी ड्यूटी
है जो मुझे करनी पड़ती है.
पर मैडम श्री तो दिल्ली गयीं थी हम पूछते किस से.
हमने अन्य अधिकारियों को तो बताया था जो मैडम के निकट हैं और उन्हें पल पल की ख़बर
देते हैं. वे इंटेलीजेंस अफ्सर है ऐसी सेना में भी जासूसी नहीं होती हमारा लोकेशन तो
हमेशा उनके रडार पर होता है.
शहरा में जा के हम बीमार पड़ गये फिर बीमारी कोई
पूछ के तो आती नहीं.
पुरोहित सर ने कहा मैडम ने चार्ज दिया था ले लिया.
तुम घर जाओ. स्वर्णिम स्वर्णिम गाओ.
मैडम अभी के.सी.जी, सप्तधारा में मीटिंग कर रही हैं. हमने सोचा
हम मिले तो रौद्रधारा का बहना निश्चित है. सो हमने अपने गांव की राह ली.
कमिश्नर कचेहरी गांधीनगर में ओ.एस.डी. ओफीसर स्पेशियल
ड्यूटी पे तैनात जो अध्यापक हैं वे अपनी कोलेजों में पढ़ाने की जगह रात दिन हांजी हांजी
वाला खेल करते रहते हैं वो खेल हमें आया नहीं सो कमबख़्तों ने शहीद करवा दिया.वैसे
कमिश्नर कचेहरी में कौरवी सेना के बीच हमारी
हालत अभिमन्यु की तरह थी सो हमारा वध तो निश्चित था पर इतना जल्दी होगा इसका पता नहीं
था.
कौरवी सेना के कई योद्धा हमने
भी मारे. पर वे हमारे जाने के बाद फिर ज़िन्दा होंगे.
वैसे कमिश्नर कचेहरी की जोइन डायरेक्टरी में कुछ था नहीं.
सादर नोट प्रस्तुत सादर नोट प्रस्तुत में ज़िन्दगी कटने वाली थी. जान बची तो लाखों
पाये लौट के बुद्धू घर को आये. हमें गांधीनगर
में होस्टेल में ही रहना पड़ता था.
पर गुजरात के नवयुवानों को हमारे जाने से बहुत फाइदा
हुआ. गुजरात में चुनावी आचार संहिता लगने से पूर्व २५० से अधिक करार आधारित व्याख्याताओं
के आदेश वेब साइट और प्रिंसीपलों को मेल से देकर रिकार्ड कायम किया. घर बैठे ही उम्मेदवार
को १६,५०० रुपये की नियुक्ति का आदेश अपने चयन किये
स्थल का मिले ये गुजरात उच्चशिक्षा के क्षेत्र
में बड़ी उपलब्धि थी. इसके लिए हमारे साथ पूरी रात काम करने वाली टीम बधाई के पात्र
थी.
शिक्षा सचिव अडिया साहब ने हमें
रूबरू बधाई दी तो अच्छा लगा था. हमने उनसे शिक्षा कमिश्नर मैडम के समक्ष ये भी शिकायत
की सर हमें जोइन डायरेक्टर के उच्च पद पर रखकर एक वर्ष के सी.आर. खराब होने के कारण
पांच वर्ष तक सिलेक्शन ग्रेड कमिश्नर कचेहरी ने रोक रखा है. कृपया अब तो न्याय कीजिये
उन्होंने कहा कमिश्नर करेंगी. मैने कहा वे
नहीं कर रही हैं धीरज रखने को कहती हैं.
कमिश्नर मैडम ने शिक्षा सचिव से कहा मैं फाइल भेजूंगी. वे बोले यहां
मत भेजना. कहा आप की कचहेरी ने भदौरिया को अन्याय किया आप दूर कीजिये.
हम समझ गये कि पहले आप,पहले आप में हमारी गाड़ी चूकने वाली है. सब रात दिन रगड़ाई करेंगे पर हमारा
न्याय कोई करने वाला नहीं.
कमिश्नर कचेहरी में रात दिन के काम से हमारी हालत
खराब हुई. औफिस में १०.४० पहुंचना रात ९ बजे तक लगे रहना फिर गांधीनगर में किसी सड़क
छाप धाबे पे रूखी सूखी बची कुची खाना और फिर स्कोप की होस्टेल में जमीन पर बिस्तर लगा
सो जाना. वफ़ादारी में कोई कमी नहीं फिर भी सज़ा मिली.
अपने गांव शहेरा आये तो सुदामा
की झोपड़ी में नमक तेल आटा दाल लाना पड़ा. खाना बनाने और वर्तन मांजने की प्रेक्टिस
छूट गयी थी सो फिर से शुरू की. अब काफी सुकूंन है सो दोस्त हमारी फिक्र न करें और दुश्मन
मौज मनाये.
रोशनी और अँधेरों के बीच की इस
जंग में हार रोशनी की अभी हुई इसका लोग मलाल न करें कभी न कभी सवेरा होगा सूरज फिर
निकलेगा अपनी पूरी तपिश के साथ. जो रोशनी के मुंतज़र हैं वो इंतज़ार करें आमीन.
प्रिंसीपल डॉ. सुभाष भदौरिया.
ता.१४-१०-२०१२ रात्रि 8.10
बोले तो, एक दम झक्कास...
जवाब देंहटाएंक्या आप Facebook पर अनचाही Photo Tagging से परेशान हैं?
ગુરુદેવ.. સાદર પ્રણામ..
जवाब देंहटाएंહમ હંમેશા આપકે હૈ .. રહેંગે..
ફિર ભી છોટે મુહ્સે છોટી બાત..
" ખોટા માણસો જોડે દલીલ કરવા કરતા..
સાચા માણસ જોડે સમજુતી કરવી સારી.."
હમારે લહું મેં ગદ્દારી નહિ હૈ..
વહી હમારી પહચાન..
જય માતાજી..