सोमवार, 27 दिसंबर 2010

नरेन्द्र मोदीजी की पुस्तक कन्वीनियंट एक्शन का धूमधाम से लोकार्पण.



नरेन्द्र मोदीजी की पुस्तक कन्वीनियंट एक्शन का धूमधाम से लोकार्पण.

ता.21-12-2010 नरेन्द्र मोदीजी की पुस्तक कन्वीनियंट एक्शन का लोकार्पण बड़ी धूम धाम से टागोरहॉल अहमदाबाद सायं पाँच बजे भूतपूर्व महामहिम राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे.कलाम की अध्यक्षता, एवं अतिथि विशेष डॉ.आर.के. पचौरी  के (दी एनर्जी एन्ड रिसोर्स इंनस्टीट्यूट के निदेशक TERI & Chairman, Nobel Laureate  Intergovernmental Panel on climate Change ( IPCC ) श्री राजीव वेरी ,श्री संजयसिंह मेकमिलन पब्लीशर राज्य के मंत्रीगण एवं तमाम विभागों के आला अफ़्सर, विश्विद्यालयों के कुलपति वरिष्ठ नागरिको की उपस्थिति में संपन्न हुआ. हमारे भूतपूर्व शिक्षा कमिश्नर एवं वर्तमान  गुजरात क्लाइमेंट चेन्ज विभाग के सचिव श्री राजीव गुप्ताजी ने हमें  शहेरा कोलेज से बुला हाल के बाहर मंडप में अहमदाबाद की की विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं के अनुशासन की जिम्मेदारी सौपीं थी. गुप्तासर को कोई मजबूत आदमी चाहिए था उन्होंने हमें हमारी एन.सी.सी.की भूतपूर्व सेवाओं खासकर हमारे स्ट्रोंग एक्शन को ध्यान में रखकर ही अहमदाबाद से 180 किमी.दूर से बुलाया था. राजीव गुप्ता सर 20-11-2010 की रात्रि ग्यारह बजे टैगोर हाल लोकेशन पर मीटिंग में हमें खास हिदायत दे रहे थे भदौरियाजी तुम्हें इन कोलेजी छात्र छात्राओं का ध्यान रखना है. गुप्ता सर अपने शिक्षा विभाग के अनुभव से जानते थे कि स्कूल के छात्र छात्रायें तो कही भी धूपमें बिठादो बिचारे  घंटों चूचां नहीं करते पर कोलेज के बांस पे चढ़ते देर नहीं लगाते. उन्हें नियंत्रण में रखने के लिए कल,बल,दोनों की ज़रूरत होती है. खैर कार्यक्रम सायं पांच बजे शुरु होने वाला था. हमने दोपहर दो बजे अपने साथी अध्यापकों द्वारा चार्ज ले लिया. तीन बजे से अहमदाबाद की विभिन्न कोलेजों से छात्र-छात्राओं ने आना शुरू कर दिया. 
हमने एक तरफ छात्र  दूसरी तरफ छात्राओं को अनुशासन की दृष्टि से बिठाना शुरु कर दिया. सभी उसका अमल भी कर रहे थे


अचानक सरकारी आर्टस कोलेज गांधीनगर के अध्यापक जो पांच की संख्या में थे आये  और छात्राओं की विंग में बैठ गये. उनमें से समाजशास्त्र के अध्यापक जानी ने अपनी  सरकारी आर्टस कोलेज गांधीनगर के छात्रों को जोर जोर से गुजराती भाषा में  उकसाना शुरू कर दिया. अरे इस तरफ लड़कियों की तरफ बैठो उनसे हाथ मिलाओ अभी जमाना बदल गया है. ये क्या अलग अलग.
 बैठो हो"सरकारी आर्टस कोलेज गाँधीनगर के छात्र मेरे एवं अन्य डिसीप्लीन संभालने वाले साथी अध्यापकों की तरफ देखकर हँसने लगे. कुछ खडें भी हुए. फिर जानी अध्यापक ने जोर से दूसरे अध्यापक को आवाज़ लगाई. मैं सारी हरकतों को देख रहा था और अंदाज़ा लगा रहा था कि के ये किस हद तक जायेगा. अचानक उसने खड़े होकर मेरे गले में पड़े आईडेन्टी कार्ड जो क्लाइमेंट चेन्ज विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी की साइन से दिया गया था उस पर हाथ डालते हुए सीधे गुजराती भाषा में कहा ऐसी मालायें मैंने बहुत पहिन कर फेंक दी.
बस फिर क्या हमारे सब्र का पैमाना छलक गया मैं समझ गया इसे डोज़ की ज़रूरत है. मैंने सख्ती से उसे चेतावनी देते हुए कहा जानी"  इससे पहले कि मेरा सर घूम जाय दफा हो जाओ वर्ना कन्वीनियंट एक्शन की जगह स्ट्रोंग एक्शन हो जायेगा साथ ही दूसरे उसके साथी अध्यापक जो लड़कियों के बीच बैठे थे उनको तुरंत खड़े हो जाने और जेन्टस विंग में बैठने की हिदायत  सख्ती से दी. वे सब समझ गये कन्वीनियंट एक्शन के जगह स्ट्रोंग एक्शन कभी भी हो सकता है. वास्तव में उनकी ईर्ष्या का कारण इस कार्यक्रम की अनुशासन की जिम्मेदारी हमें  क्यों दी गयी.
मंडप में इस पहले एपिसोड का ऐसा असर हुआ कि आगे कोई गुंजाइश नहीं रही. 


 हमने सारे मंडप हाल में लगभग दो हजार छात्र-छात्राओं एवं अन्य नागिरकों को क्रम बद्ध बिठाया सभी सहयोग दे रहे थे. पुलिस के सिपाही कोने में बैठे थे उन्हें भी चारों तरफ फैल जाने को कहा.  कार्यक्रम के शुरू होने में एक घंटे की देर थी मंच पर स्किट हास्य नाटक रंगला-रंगली द्वारा रंगकर्मी मंडप के दर्शकों को बहला रहे थे.
अचानक आगे कुछ छात्र खड़े हुए तो मैने  दौड़कर उन्हें बैठने का आदेश दिया तो देखा मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी टागोरहाल में जाने की जगह सीधे हमारे बाहरी मंडप में आ गये. पूरे खचाख़च भरे शांत सभा मंडप का गंभीर मुयायना करते हुए वे शीघ्र ही टागोर हाल में प्रस्थान कर गये.


 बाहर हमारे मंडप में लगे जगह-जगह स्क्रीन पर उदघोषड़ा और कार्यक्रम का अब सीधा संचालन हमें दिखाई देने लगा था मंच पर बिराजमान भूतपूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल तकनीक के भीष्म पितामह ए.पी.जे.कलाम साहब आकर्षण का केन्द्र  बने हुए थे. मुख्य मंत्री नरेन्द्रमोदीजी ने अपनी अंग्रेजी स्पीच देनी शुरू की .उन्हें पहली बार अंग्रेजी मैंने बोलते सुना तो थोड़ा आश्चचर्य हुआ फिर सोचा कि पुस्तक कन्वीनियंट एक्शन गुजरात्स रिसपोन्स टू चेलेन्जिस ऑफ क्लाइमेंट चेन्ज अंग्रेजी में है इसलिए अंग्रेजी में बोलना ज़रूरी होगा. बीच में उन्होंने हिन्दी का भी प्रयोग भी किया मन मुग्ध हो गया राष्ट्रभाषा  हिन्दी की महक ही कुछ ऐसी है.
 उन्होंने अपने संभाषण में अंग्रेजी में जो कहा कृपया इस वीडियो लिंक पर देखें http://www.narendramodi.in/video/129.साथ ही उनकी वेबसाइट http://www.narendramodi.in/   जो अंग्रेजी, हिन्दी,गुजराती, संस्कृत,मराठी में कार्यरत है दर्शनीय है उस पर नियमित गुजरात की प्रवृतियों को लेखा जोखा विस्तृत रूप से विद्यमान है.


His Excellency, Dr. A.P.J. Abdul Kalam, IPCC Chairman and Director of TERI, Dr. R.K.Pachauri, Shri. Rajiv Beri and Shri Sanjay Singh from Macmillan Publishers, guests, ladies and gentlemen,
 At the very outset, I would like to share with you what inspired me to write this book and my development philosophy. I have always believed in the complementary relationship between human beings and nature. This has been sufficiently stressed in our Vedic literature, particularly the Atharva Veda. Even Panchatantra contains stories about the symbiotic relationship in existence.
अपने मुख्यमंत्री मोदीजी को पहली बार अंग्रेजी बोलते देख  गुजरातियों को आश्चर्य के साथ खुशी भी हो रही थी कि अब कोई ये नहीं कहेगा कि गुजरात को अंग्रेजी नहीं आती. वैसे वे अंग्रेजी भी अपनी ही स्टाइल में बोल रहे थे. हिन्दी और गुजराती में उनके सुनने वालों प्रेमी जो दूर दूर से आये थे वे एक दूसरे को देख रहे थे. मुख्यमंत्रीमोदीजी को हिन्दी गुजराती में सुनना एक अवसर होता है तेज धारदार शैली के साथ व्यंग्य परिहास से वे सभा में बैठे श्रोताओं दर्शकों को जीवन्त रखते हैं. अपने संभाषण में अपनी पुस्तक कन्वीनियंट एक्शन जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को गुजरात ने किस तरह स्वीकारते हुए उपयुक्त कार्यवाही की है ये पुस्तक उन्हीं कार्यवाहियों का सचित्र दस्तावेज़ है. 


क्लाइमेट चेन्ज और ग्लोबल वार्मिग को लेकर दिसम्बर 2009में कोपनहेगन में विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक जमावड़े जिसमें 190 देशों ने हिस्सा लिया था, जिसमें अनेक राज्यों के मुखिया शामिल हुए थे. इस पुस्तक की प्रस्तावना में स्टीव होबर्ड (चीफ एक्सीक्यूटिव आफीसर क्लाइमेट ग्रुप लंडन युनायटिड किंगडम) ने मुक्त कंठ से गुजरात की सराहना करते हुए कहा है कि गुजरात एक ऐसा राज्य है जो क्लाइमेंट चेन्ज की गंभीरता को समझकर अनुकूल कार्यवाही कर रहा है. गुजरात ने वायु प्रदूषण में कार्बन की  बहुधा मात्रा में कमी की है. खास कर अहमदाबाद जैसे शहर की तस्वीर बदल दी हैं. सी.एन.जी गैस का अनिवार्य प्रयोग बी.आर.टी.एस. परिवहन सेवा, के साथ तालाब और उद्यानों की स्थापना की है. साथ ही ग्रामीण अंचल में लोक भागीदारी तथा सरकारी वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग से क्रांतिकारी कदम उठाते हुए सही मायने में प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर  प्राकृतिक आपदाओं पर विजय प्राप्त की है.  स्टीव होबर्ड जीने नरेन्द्रमोदीजी की पुस्तक कन्वीनेंट एक्शन को ग्रीनऑटोबायोग्राफी कहा है. साथ ही गुजरात एक ऐसा राज्य है जिसने क्लाइमेंट चेन्ज का अपना स्वतंत्र विभाग कार्यरत कर आने वाले कल की नब्ज को परखते हुए सानुकूल कार्यवाही शुरू कर दी है.


अपने संबोधन में स्वयं नरेन्द्र मोदीजी ने कि इस पुस्तक के मुख्य प्रेरणा स्त्रोत एवं अपने विकासलक्षी तत्व चिंतन का मूल आधार वैदिक साहित्य को माना है.खासकर अथर्ववेद में प्रकृति एवं मनुष्य के सह अस्तित्व की विशद चर्चा हुई है. ये वैदिक ग्रंथ जो हजारों साल पहले लिखे गये थे जो मानते है पृथ्वी और मनुष्य के बीच माता- पुत्र का रिश्ता है. पंचतंत्र की प्रतीकात्मक कथायें भी इसी सह अस्तित्व की भावना पर बल देती हैं.
मुख्यमंत्री मोदीजी वैदिक चिंतन के साथ साथ गांधीजी के ट्रस्टीशिप की संकल्पना से स्वयं को प्रेरित मानते हैं गुजरात में क्लाइमेट चेन्ज के साथ सानुकूलन साधने में गाँधीजी की ट्रस्टीशिप की भावना भी सहयोगी रही है.
अपनी पुस्तक के बारे में स्पष्टता करते हुए उन्होंने कहा है कि ये विद्वानों शोधार्थीओं,वैज्ञानिको,नीतिनिर्माताओं को मेरा हार्दिक आमंत्रण है कि वे गुजरात आयें और देखें कि जलपूर्ति, जलसंचयन,जलबचत, जल स्तर, प्रदूषण मुक्ति, ग्रीनरी के क्षेत्र में गुजरात में क्या क्या काम हुए हैं उन कामों को देखें,परखें परिवर्तन,परिवर्धन करें इससे और बेहतर क्या हो सकता है. हमें बतायें. हमारे उपक्रमों से अगर किसी को लाभ पहुँचे,प्रेरणा मिले तो यह हमारा अहोभाग्य होगा.
पुस्तक के बारे में प्रकाश डालते हुए मोदीजी कहते हैं मैं कोई क्लाइमेंट चेन्ज का विशेषज्ञ नहीं हूँ और न ही कोई व्यवसायिक लेखक. इस पुस्तक में  मैंने वही लिखा है जो दिल से महसूस किया है. 


 वे आगे कहते हैं क्लाइमेट चेन्ज ग्लोबल वार्मिंग विश्व व्यापी विशद समस्या है इस पर संगोष्ठियों चर्चाओं का अंत नहीं  वे निरतंर हो रही हैं .
क्या ये चर्चायें हमें कार्यवाही करने के लिए भी बाध्य करेंगी ? पर कब.
कोई एक साधारण कार्यवाही करोड़ो अच्छे इरादों से बेहतर है गुजरात ने पिछले आठ वर्षो में  छोटे छोटे ही सही कदम उठाये हैं.  ये मेरी कन्वीनियंट एक्शन  पुस्तक क्लाइमेंट चेन्ज के संदर्भ में उठायी गयी उन साधारण कार्यवाहियों का प्रमाण हैं.इनके फल अब हमें धीऱे धीरे  प्राप्त हो रहे हैं. संक्षिप्त में ये कन्वीनियंट एक्सन कुछ इस प्रकार हैं.
2001 से पूर्व  गुजरात में सौराष्ट्र के इलाकों में पीने के पानी को लेकर लड़ाई दंगा होना होना आम बात थी.  दूर दराज़ की ग्रामो में टेंकरों द्वारा यहां तक की ट्रेन द्वारा जलपूर्ति की जाती थी. ट्यूबवेल के निरंतर प्रयोग से जलस्तर नीचा जाने के कारण पानी में अत्यंत छार से दांत और करोड़ रज्जू की बीमारी प्राया ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त थी. असमय वृद्धत्व से सब परेशान थे. इस समस्या के समाधान के लिए  गुजरात में  ग्राम स्तर पर लोकभागी दारी (WASMO) Water and Sanitation Management  Organization  की स्थापना की गई.  तो दूसरी तरफ दक्षिण भारत आँध्रप्रदेश की तर्ज पर पावरगुडा जिन्होंने वाटर पंपिंग इंजन में डीजल की जगह वायो प्यूल का प्रयोग किया जो क्षेत्रीय वृक्ष पोनागामिया,एवं पिनाटा से प्राप्य था. उससे कार्बन मे भारी कमी आयी ठीक उसी तर्ज पर गुजरात ने लोक-भागीदारी एवं जिला पंचायतों के वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग से गाँवो-गाँवो तालाब बनाये. नदियों पर  जगह जगह चेक डेम बनाकर समुद्र में बह जाने वाले पानी को रोक कर सिंचाई के काम में लिया. नदियों को एक दुसरे से लिंक कर जल आपूर्ति का साधन बनाया.
गुजरात में दुनियाँ के सबसे बड़े सरदार सरोवर प्रोजेक्ट जो गत कई वर्षों से मिसमैनेज मेंट एवं राजनैतिक घोच  में पड़ा था उसे प्रशासकीय स्तर पर सुलझा निरंतर उच्चतम लक्ष को प्राप्त करते हुए 121.92m  तक पहुँचाया. राज्य की सबसे बड़ी नर्मदा केनाल को  सौराष्ट्र के साथ  साथ रेगिस्तानी कच्छ-भुज तक ले जाकर वहाँ की  प्यासी धरा को पल्लवित किया. जिससे पशु,पक्षी,मनुष्यों के होने वाले स्थानांतरण को रोक लगी.
दूसरी तरफ शहरी इलाकों खासकर अहमदाबाद में वर्षों पहले हमेशा सूखी रहने वाली साबरमती नदी में नर्मदा का पानी लाकर लोगों की जलपूर्ति के साथ साथ रमणीय पर्यटक स्थल की संकल्पना भी की.  अहमदाबाद में सी.एन.जी. गैस रिक्शा आदि परिवहन में  सरकारी आदेशात्मक कार्यवाही कर के  अहमदाबाद के वायु प्रदूषण को खत्म किया. टपक पद्धति के साथ साथ किसानों को सोइल हेल्थ कार्ड वितरण कर उनके खेत में कौन सी फसल अधिक मात्रा में हो सकती हैं इसका विचार देकर कृषि युनिवर्सिटी के विशेषज्ञों को जिम्मेदारी दी जिससे गुजरात में उच्चकक्षा की कपास,सब्जी,फल की प्राप्ति की गयी किसानों की आवक में भारी  बढ़ोतरी हुई.सोलर एनर्जी विन्ड एनर्जी आदि दिशा में गुजरात निरंतर कार्यरत है.


गुजरात के समुद्री क्षेत्रों में अभी बहुत कुछ काम करना शेष है. मेरी पुस्तक कन्वीनियंट एक्शन क्लाइमेंट चेन्ज के संदर्भ में किये गये नम्र प्रयास है. इनके अनुकरण से  किसी को लाभ पहुँचे तो मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी कोई हमें बताये कि और क्या करना है तो परिवर्तन परिवर्धन के लिए गुजरात हमेंशा तत्पर है.


ता.21-12-2010 के दिन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्रमोदीजी की कन्वीनियंट एक्शन पुस्तक की लोकार्पण कार्यक्रम की पूर्णाहूति भी अद्भुत थी. कार्यक्रम के अंत में एक निश्चित मंडप में स्टेज पर मुख्यमंत्री पुस्तक खरीदने वाले पाठक को उस पुस्तक पर स्वयं हस्ताक्षर कर अपने निकट आने का अवसर दे रहे थे. अहमदाबाद के लोग लुगाई ऐसे अवसर को क्यों चूकते सभी कन्वीनियंट एक्शन पुस्तक को दौड़कर विक्रेता स्टाल पर 495 रुपये में खरीद उस पर मोदीजी के हस्ताक्षर लेने के लिए लाइन लगाये हुए थे. मुझे साथी अध्यापक ने कहा सर  आप भी जल्दी करो जेब में हजार की नोट पड़ी थी विक्रेती से पुस्तक ली तो उसने 505 रूपये लौटाये जो मैं भूल चुका था. गले में पड़ा व्यवस्था संचालन का परिचय कार्ड काम आया लाइन नही लगानी पड़ी.
  मैंने मोदीजी के पास पहुँच कर अभिवादन कर पुस्तक पर हस्ताक्षर लेते समय धीरे से सुभाष भदौरिया शहेरा कहा वे चुपचाप दस्तख़त कर रहे थे बोले नहीं मैं समझ गया वे हमसे कुछ नाराज़ है. पर नाराज़गी ज़्यादा देर न टिक सकी चलते वख्त ज्यों ही पीछे देखा तो आँखों आँखों से बता दिया भाई मैं तुम्हें पहिचानता हूँ. मुझे मुस्कराती उन आँखों में एक विशेष आभा का अहसास हुआ  उनकी आँखें निश्छल एक बालक की मासूम निरीह आँखें सी लगीं. ये मेरा दृष्टि भ्रम नहीं हो सकता लोग कुछ भी सोचें. अपनी एन.सी.सी. सेवा के दर्मयान  मैंने अनेक फौजी कमान्डो अफ्सरों की आँखें देखी हैं  जिनमें गजब की क्रूरता हिंसा के चिन्ह देखे हैं पर वैसा वहां कुछ भी नहीं था.


उपरोक्त लोकार्पण कार्यक्रम को दृष्टि में रखकर हमने अपने ब्लाग पर स्लाइडशो लगाया है.अन्य स्वर्णिम गुजरात,एन.सी.सी. वेद से लेकर वेब तक जैसे अन्य स्लाइडशोभी आप इस लिंक
 पर देख सकते हैं-


Slide सुभाष भदौरिया की अन्य स्लाइड देखें.
मुख्यमंत्री मोदीजी की पुस्तक का ये विंहगावलोकन है विज्ञ पाठक इसे समझेंगें. हमारा ये साधारण प्रयास किसी को पसंन्द आ गया तो हम अपना प्रयास सार्थक समझेंगे. इन दिनो हम परिवार से दूर  ऐसी  छोटी जगह निष्काषित हैं जहां भोजन की कोई छोटी सी शाकाहारी होटल भी नहीं मोदीजी की इस पुस्तक और उनकी आनलाइन गुजराती ई पुस्तक "दब दबो एक  दायकानो" के अध्ययन और मनन में भूख का पता ही नहीं चला. यूँ ही काम चला लिया. गुजराती ग़ज़लकार बेफाम साहब का शेर याद आता रहा-
प्रभु तारी कसौटीनी प्रथा सारी नथी होती.
जे सारा होय छे एनी दशा सारी नथी होती.
 कोई गुजराती ही इसे समझेगा आमीन.


BOOK NAME- 
CONVENIENT ACTION
Gujarat’s Response to Challenges of Climate Change
NARENDRA MODI
MACMILLAN PUBLISHER INDIA  LTD


प्रिंसीपल डॉ.एस.बी.भदौरिया सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा. मोबा.97249 49570 फेक्स 02670- 226535.EMAIL. subhash_bhadauriasb@yahoo.com.






1 टिप्पणी:

  1. શ્રીમાન ભદૌરિયા સાહેબ,

    નરેન્દ્ર મોદીજીના ક્લાટઇમેટ ચેન્જ પુસ્તકના લોકાર્પણ કાર્યક્રમનું વિહંગાવલોકન ખૂબ સરસ શૈલીમાં કર્યું છે.

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