शनिवार, 9 फ़रवरी 2008

एक चोखेरवाली मेरे अंदर भी है.






एक चोखेरवाली मेरे अंदर भी है.हम पिछले बीस दिन से रोड एकसीडेंट में टांग तुड़ाकर बिस्तर से बाथरूम के सफ़र में अटके थे टांग का आपरेशन कर स्क्रू लगाया गया ताकि कमसे कम टांग सीधी रहे सो कमलेश्लर का उपन्यास कितने पाकिस्तान लेटे लेटे पढ़ा. धर्म और जाति के नाम पर विश्व में बनने वाले कितने पाकिस्तान समझ में आये. नेट पर आकर देखा तो हिन्दी ब्लाग की दुनियाँ में स्त्री पुरुष लेखन के नाम पर एक चोखिस्तान भी बन गया.
मात्र नारियाँ ही नारियों के दर्द को समझती हैं जिन्हें ये मुगालते हैं वे मेरे अंदर रहने वाली इस चोखेरवाली को बतायें कि वो कहां रहेगी चोखिस्तान में पुरुषों के बनाये लुच्चिस्तान में. अरे भाई हमें कीचड़ में लोटने दो. उसी मे हमें आनंद आता है आप अपने किरदार को आबदार बनाये रखिये.
प्रेमचंद ने एक जगह लिखा है कि पुरुष जब नारी के गुण ग्रहण करता है तो देवत्व प्राप्त करता है और नारी जब पुरुष के अवगुण ग्रहण करती है तब दानवी बनजाती है.
भेष बदलकर छद्मनामों से की जाने वाली पुरुष ब्लागरों की बदमाशियों से वाकिफ़ हूँ अनामी कलाकारों की क्लीवता भी मुझसे छिपी नहीं है.
ख़ैर ये मेरे अंदर रहनेवाली चोखेरवाली की ग़ज़ल में कहीं आपकी आवाज़ न हो
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ. आमीन.

ग़ज़लशीशे का जिस्म मेरा, फौलादी ख़्वाब मेरे.
कांटों की तेरी फ़ितरत सारे गुलाब मेरे .

कालर पकड़ के तेरा पूछेंगी अब तो तुझ से,
करने पड़ेंगे चुकता पिछले हिसाब मेरे.

अब तक जो सर झुकाया, तू खूब मुस्कराया,
जैसे ही सर उठाया लक्षण ख़राब मेरे.

होंटों के तबस्सुम से वाकिफ़ है फ़कत अब तक,
देखें कहाँ है तूने अब तक इताब मेरे.

तूने उतार फेंके, तहज़ीब के हैं कपड़े,
देता है फिर नसीहत सारे हिज़ाब मेरे.

जन्नत में रिजर्वेशन,दोज़ख़ में तेरे चर्चे,
रौशन हैं खंडहरों में अब तो चराग़ मेरे.

पंक्षी को पकडने की ऊँची उड़ान जिनकी,
अब तो हैं निशाने पर सारे उकाब मेरे.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.09-02-08 समय-11-15PM

कठिन शब्द . इताब –प्रकोप,गुस्सा. तबस्सुम-मुस्कराहट. तहज़ीब- शिष्टता,संस्कृति.हिज़ाब-पर्दा. जन्नत-स्वर्ग.दोज़ख-नर्क. उकाब-शिकारी परिन्दा, Eagle.



































2 टिप्‍पणियां:

  1. किसी भी वाद विवाद पर मुझे कुछ नहीं कहना है क्योंकि सबके अपने-अपने विचार तो होते ही हैं.
    परन्तु यह जरूर है की आपका विचार लिखने का अंदाज़ निराला है!!!
    बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है - शब्दों का चुनाव बेहतरीन है.

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  2. हे अनामी देव या देवी जो भी आप हैं साक्षात दर्शन दें तो कृपा होगी.अगर आप मनुष्य योनि में हैं तो ये पर्दे की मुह्ब्बत मुझे पंसन्द नहीं.खुले आम अपनी चाहत का इज़हार करें तभी दिल को सुकून मिलेगा.आमीन.

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