ग़ज़लवे अपनी ज़फ़ाओं को छोड़ा भी नहीं करते.
हम अपनी वफ़ाओं को रुस्वा भी नहीं करते.
मौसम के तकाज़ों पे रखते हैं नज़र हम तो,
पीते भी नहीं हर दम तौबा भी नहीं करते.
हमने जो ज़रा चक्खी सब शोर मचाते हैं,
छिप छिप के पियें वाइज़, चर्चा भी नहीं करते.
तुमने जो चुभाये हैं नश्तर जो मेरे दिल में,
बदला भी नहीं लेते, भूला भी नहीं करते.
रिश्तों को निभाते हैं हम खुद को सताते हैं,
गुस्ताख़ नशेमन को, तन्हा भी नहीं करते.
औरों पे इनायत है, बस हमसे शिकायत है,
हम ख़ाक नशीनों को पूछा भी नहीं करते.
हम अपने अँधेरों में करते हैं गुज़र अपनी,
बिजली से उजालों को मांगा भी नहीं करते.
डॉ.सुभाष भदौरिया अहमदाबाद.ता.05-06-08 समय-09-00-AM.
हम अपनी वफ़ाओं को रुस्वा भी नहीं करते.
मौसम के तकाज़ों पे रखते हैं नज़र हम तो,
पीते भी नहीं हर दम तौबा भी नहीं करते.
हमने जो ज़रा चक्खी सब शोर मचाते हैं,
छिप छिप के पियें वाइज़, चर्चा भी नहीं करते.
तुमने जो चुभाये हैं नश्तर जो मेरे दिल में,
बदला भी नहीं लेते, भूला भी नहीं करते.
रिश्तों को निभाते हैं हम खुद को सताते हैं,
गुस्ताख़ नशेमन को, तन्हा भी नहीं करते.
औरों पे इनायत है, बस हमसे शिकायत है,
हम ख़ाक नशीनों को पूछा भी नहीं करते.
हम अपने अँधेरों में करते हैं गुज़र अपनी,
बिजली से उजालों को मांगा भी नहीं करते.
डॉ.सुभाष भदौरिया अहमदाबाद.ता.05-06-08 समय-09-00-AM.
तुमने जो चुभाये हैं नश्तर जो मेरे दिल में,
जवाब देंहटाएंबदला भी नहीं लेते, भूला भी नहीं करते.
- वाह!
ऐसा ही लिखें भदौरिया जी, बहुत सुंदर गज़ल
तुमने जो चुभाये हैं नश्तर जो मेरे दिल में,
जवाब देंहटाएंबदला भी नहीं लेते, भूला भी नहीं करते.
- वाह!
ऐसा ही लिखें भदौरिया जी, बहुत सुंदर गज़ल
बिजली से उजालों को मांगा भी नहीं करते.
जवाब देंहटाएंक्या बात है सुभाष जी...ये खुद्दारी ही आप को सारी जमात से अलग खड़ा कर देती है....बेहद खूबसूरत अशार...बधाई.
नीरज
औरों पे इनायत है, बस हमसे शिकायत है,
जवाब देंहटाएंहम ख़ाक नशीनों को पूछा भी नहीं करते.
बहुत उम्दा.
उम्दा बधाई..
जवाब देंहटाएंवाह साहब,नीरजजी और जिल्ले सुब्हानी उडन तस्तरीजी , टमिश्राजी आप महरबानो ने गरीब की कुटिया की रौनक बढाई है भई जी उठे हैं आज.
जवाब देंहटाएंहौसला अफ़ज़ाई के लिए मश्कूर हूँ जनाब.मुहब्बत बनाये रखिये.आमीन.