मुख्यमंत्री मोदीजी हमारे गाँव आने वाले हैं.
हमें शहर अहमदाबाद से निष्काषित कर गुजरात राज्य की शिक्षा कमिश्नर श्रीमती जयन्ती रवीजी (I.A.S.) ने गोधरा के पास शहेरा गांव में इस वर्ष नई खुली सरकारी कॉलेज इन्चार्ज प्रिंसीपल के रूप में इनाम में दी है . हमें मित्रों ने बताया कि इस बार गोधरा शहरमें 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदीजी आने वाले हैं. पास ही नई खुली शहेरा गांव की कॉलेज की जमीन का भूमिपूजन मुख्यमंत्रीजी के कर कमलों से होगा सो उस समय तुम्हारे जैसे एक्टीव प्रिंसीपल का होना बहुत ज़रूरी है. शिक्षा कमिश्नर ने तुम्हारे काम से खुश होकर तुम्हें हिन्दी अध्यापक से इंचार्ज प्रिंसीपल बनाया मुख्यमंत्रीजी तुम्हें रेग्यूलर प्रिंसीपल बना देंगे. हमने कहा रेग्युलर प्रिंसीपल की फाइल तो शिक्षा सचिव अडियाजी के विभाग में वर्षो से अटकी पड़ी है. राज्य की तमाम सरकारी कालेजों में इंचार्ज प्रिंसीपलों से काम चलाया जा रहा है. शिक्षा जगत के मास्टर माइंड प्रिंसीपल की प्रमोशन की फाइल केन्द्र के होने वाले इलेक्शन तक रोक कर ओइम स्वाहा कर देंगें.
राज्य की 150 साल पुरानी हमारी गुजरात आर्टस सायंस कॉलेज में आयी दिल्ली से नेक टीम ने अपनी रिपोर्ट में कॉलेज में रेग्युलर प्रिंसीपल को जल्द नियुक्त करने की सिफारिश लिखित मे राज्य सरकार को की है. सरकारी कॉलेज के प्रिंसीपल का पद क्लास वन का होने के कारण फाइल का शिक्षा विभाग,फिर राज्य सेवा आयोग, फिर शिक्षामंत्री और फिर अंत में राज्य के मुख्यमंत्री के दस्तख़त के बाद ही नसीब जागते हैं.
राज्य की प्राया सभी सरकारी कालेजों में रेग्युलर प्रिंसीपल न होने के कारण नेक की मान्यता का बड़ा विकट प्रश्न खड़ा हो गया है. राज्य की 150 साल पुरानी गुजरात आर्ट सायंस कॉलेज में रेग्युलर प्रिंसीपल न होने से नेक की मान्यता का मामला अटका हुआ है.
गांधीनगर,अहमदाबाद,राजकोट,सुरेन्द्रनगर,जामनगर, जूनागढ़ सभी प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेजों में इंचार्ज से काम खीचा जा रहा हैं. केन्द सरकार यू.जी.सी से नेक की मान्यता एवं ग्रांट के लिए रेग्युलर प्रिंसीपल को होना ज़रूरी है. 39 जगह खाली हैं प्रमोशन की लिस्ट में पीएच.डी और 10 वर्ष के अनुभवी सरकारी कालेज के अध्यापक भी है पर उनकी कौन सुनता है. गरीब मास्टर जरा भी चूं चां की फेंक दिये जाते हैं रेगिस्तान या जंगल में जाओ हरिभजन करो. हमें अहमदाबाद से शहर से 130 किमी. गोधरा के पास शहरा गाँव में फेंके जाने पर हमारे बेटे ने हमें खूब सनाई लो ले लो प्रिंसीपल का प्रमोशन हमारे नेशनल लॉ युनिवर्सिटी गुजरात गांधीनगर में पढ़ने वाले बेटे ने कहा. पापा दिस इज़ पनिशमेंट.दे आलजवेज़ यूज़ यू एन्ड थ्रो. पहले शिक्षा कमिशनर राजीव गुप्ता साहब ने गुजरात कॉलेज का एन.सी.सी.मशाल मिशन आपसे कराया. आपने सोचा था कि चार साल से रुके रेग्युलर इंक्रीमेंट छोड़ देंगे. क्या हुआ वो तो दूसरे विभाग में चले गये आप मुंह देखते रह गये.अगर नई आयीं शिक्षा कमिश्नर को प्रमोशन देना होता तो रेग्युलर का देती इंचार्ज प्रिंसीपल का नहीं.
माई डियर पापा दिस इज़ ये वे टू आउट यू टेक्टफुली फ्रोम अहमेडाबाड. अब आप शिक्षा जगत के कारनामें नेट पर कैसे लिखोगे. गांव की नई कालेज में न तो कंप्यूटर होगा न इन्टरनेट.
उसकी बात में छिपे तथ्य को मैं भी समझता था. वर्ना एक एन.सी.सी आफीसर को एन.सी.सी बिना की नई कॉलज में फेंक देना. इंचार्ज का चार्ज तो गुजरात कॉलेज अहमदाबाद में भी दिया सकता था.एक तरफ अहमदाबाद में बिना पीएच.डी के इंचार्ज प्रिंसीपल मौज कर रहे हैं. नियमानुसार 10 वर्ष का अनुभव और पीएच.डी की डिग्री जरूरी है.
हमारे अहमदाबाद से फेंके जाने पर कॉलेज के एन.सी.सी. केडेटस की ट्रेनिंग को तो असर हुआ. एन.सी.सी.के केप्टन के रेंक का डी कमीशन भी जल्द हो जायेगा. अच्छा है देश सेवा 12 साल कर ली.
नई गांव में खुली शहरा कॉलेज में एन.सी.सी की यूनिट कहाँ. अभी तो कॉलेज की जमीन का मसला हल होना है एक स्कूल में 146 विद्यार्थी से कॉलेज 6 महीने से चल रही है. अभी टेबल कुर्षी सब स्कूल का है. शिक्षा विभाग फर्नीचर की ग्रांट देने का मुहूर्त निकाले तब तक यूं ही काम करना है. कंप्यूटर,फेक्स,इन्टर नेट की किस्मत कहां ये सुविधा बडें शहर के पिंसीपलों को है.
खैर हमारी तबीयत सब कुछ लुटाकर भी वैसी है. घर छूटा,बच्चे छूटे पत्नी छूटी, दोस्त छूटे पर कोई ग़म नहीं. दुश्मन हँसते हैं भदौरिया साहब बहुत आग उगलते थे न देखो कैसा सरकार ने बाबा बना दिया. जाओ गांव में भजन करो.
पर बंदे को ग़म कहां. गाँव में गये तो एक विद्यार्थी नें मदद की उसके ऊपर का कमरा खाली था मात्र 700 रुपये किराये पर दे दिया. पानी नीचे से लाना पड़ता है.नहाने का अलग धोने का अलग दोनों में किफ़ायत करनी पड़ती है. पीने का शुद्ध पानी भी गांव में पैसे से मिल जाता है शुद्ध हवा का कोई चार्ज अभी नहीं है.सुब्ह 7-30 बजे कॉलेज जाने से पहले अपने एक कमरे और किचन में झाड़ू पोता लगाना फिर स्नान फिर बाबा राम देव का प्राणायाम. शीर्षासन तो शिक्षा कमिश्नर ने करा दिया सो उस की जरूरत नहीं रहती फिर गांव में किसी दुकान पर जाकर गर्मागरम चाय और उसके बाद इंचार्ज प्रिंसीपल की कुर्षी पर 7-30 से 2. बजे तक काम काज फिर होटल में जाकर दोनो टाईम का इकट्ठा भोजन.रात में छत को एक टक देखना और सोचना.
कदम कदम पर अगर साज़िशे नहीं होती,
मैं इस जहां के बहुत काम आने वाला था.
हमने ग़म ग़लत करने के लिए ता.17-1-09 को कालेज का शैक्षिक प्रवास का आयोजन किया. उसके पूर्व कालेज के छात्र-छात्राओं का इनथ्रीज में फालन सावधान,विश्राम, दायें मुड़,बायें-मुड़.चेस्टअप नज़र सामने, चेस्टअप फिर मार्च.
टेम्पा में पास के 20 किमी. पानम डेम की मुलाकात, वहाँ गीत ग़ज़ल गुजराती लोकगीत जंगल में मंगल. 16 जनवरी 2009 को रा्ज्य की स्टेट शिक्षा मंत्री डॉ.माया बहिन कोडनानी शहेरा गांव के सरकारीगृह में आयीं तो कालेज की सारी रिपोर्ट दी.मैडम आप कालेज के लिए गांव में जमीन दिलवादें. उन्होंनें शहेरा क्षेत्र के लोकप्रिय सीनियर एम.एल.ए. साहब श्रीजेठाभाई भरवाड से कहा उन्होनें तलाटी से शीघ्र कार्यवाही के लिए कहा फाइल कलेक्टर साहब के पास भेजो मैं कालेज के लिए जमीन ले लूँगा मुख्यमंत्रीजी के हाथों कालेज की जमीन का अगर भूमि पूजन हो जाये तो बहुत अच्छा.
ता.25-1-2009 के रोज़ हमारे गांव शहरा में मुख्यमंत्री मोदीजी आने वाले है. गांव वासियों में काफी उत्साह है कॉलेज के छात्र-छात्रायें हम से पूछते हैं जमीन मिल गई सर. क्या हमारी कॉलेज की जमीन का भूमि पूजन मु्ख्यमंत्रीजी के हाथों से होगा. फिर तो एक साल में ही क़ॉलेज बनी समझो.हमसे गांव की सिन्धी लड़कियों ने बड़े दुख के साथ कहा देखना सर कॉलेज हमारे शहरा गांव में ही रहे.गांव से कॉलेज दूर गयी तो हमारे मां बाप हमें दूर नहीं भेजेंगे हम नहीं पढ. सकेंगे. मैने कहा कि मैनें शिक्षा मंत्री डॉ.मायाबहिन कोडनानीजी को तुम्हारी तकलीफ बताई है. हमारे क्षेत्र शहरा के एम.एल.ए श्री जेठाभाई भरवाड भी कोशिश कर रहें हैं जिले के कलेक्टर साहब कोई न कोई जमीन हमें अवश्य दे देंगे. हमारे गांव शहरा में हम मुख्य मंत्रीजी का इंतज़ार कर रहे है. देखें क्या होता है.
डॉ.सुभाष भदौरिया
इंचार्ज प्रिंसीपल शहेरा कॉलेज (गोधरा के पास)
जिला पंचमहाल, गुजरात राज्य.
ता.19-01-09
हमें शहर अहमदाबाद से निष्काषित कर गुजरात राज्य की शिक्षा कमिश्नर श्रीमती जयन्ती रवीजी (I.A.S.) ने गोधरा के पास शहेरा गांव में इस वर्ष नई खुली सरकारी कॉलेज इन्चार्ज प्रिंसीपल के रूप में इनाम में दी है . हमें मित्रों ने बताया कि इस बार गोधरा शहरमें 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदीजी आने वाले हैं. पास ही नई खुली शहेरा गांव की कॉलेज की जमीन का भूमिपूजन मुख्यमंत्रीजी के कर कमलों से होगा सो उस समय तुम्हारे जैसे एक्टीव प्रिंसीपल का होना बहुत ज़रूरी है. शिक्षा कमिश्नर ने तुम्हारे काम से खुश होकर तुम्हें हिन्दी अध्यापक से इंचार्ज प्रिंसीपल बनाया मुख्यमंत्रीजी तुम्हें रेग्यूलर प्रिंसीपल बना देंगे. हमने कहा रेग्युलर प्रिंसीपल की फाइल तो शिक्षा सचिव अडियाजी के विभाग में वर्षो से अटकी पड़ी है. राज्य की तमाम सरकारी कालेजों में इंचार्ज प्रिंसीपलों से काम चलाया जा रहा है. शिक्षा जगत के मास्टर माइंड प्रिंसीपल की प्रमोशन की फाइल केन्द्र के होने वाले इलेक्शन तक रोक कर ओइम स्वाहा कर देंगें.
राज्य की 150 साल पुरानी हमारी गुजरात आर्टस सायंस कॉलेज में आयी दिल्ली से नेक टीम ने अपनी रिपोर्ट में कॉलेज में रेग्युलर प्रिंसीपल को जल्द नियुक्त करने की सिफारिश लिखित मे राज्य सरकार को की है. सरकारी कॉलेज के प्रिंसीपल का पद क्लास वन का होने के कारण फाइल का शिक्षा विभाग,फिर राज्य सेवा आयोग, फिर शिक्षामंत्री और फिर अंत में राज्य के मुख्यमंत्री के दस्तख़त के बाद ही नसीब जागते हैं.
राज्य की प्राया सभी सरकारी कालेजों में रेग्युलर प्रिंसीपल न होने के कारण नेक की मान्यता का बड़ा विकट प्रश्न खड़ा हो गया है. राज्य की 150 साल पुरानी गुजरात आर्ट सायंस कॉलेज में रेग्युलर प्रिंसीपल न होने से नेक की मान्यता का मामला अटका हुआ है.
गांधीनगर,अहमदाबाद,राजकोट,सुरेन्द्रनगर,जामनगर, जूनागढ़ सभी प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेजों में इंचार्ज से काम खीचा जा रहा हैं. केन्द सरकार यू.जी.सी से नेक की मान्यता एवं ग्रांट के लिए रेग्युलर प्रिंसीपल को होना ज़रूरी है. 39 जगह खाली हैं प्रमोशन की लिस्ट में पीएच.डी और 10 वर्ष के अनुभवी सरकारी कालेज के अध्यापक भी है पर उनकी कौन सुनता है. गरीब मास्टर जरा भी चूं चां की फेंक दिये जाते हैं रेगिस्तान या जंगल में जाओ हरिभजन करो. हमें अहमदाबाद से शहर से 130 किमी. गोधरा के पास शहरा गाँव में फेंके जाने पर हमारे बेटे ने हमें खूब सनाई लो ले लो प्रिंसीपल का प्रमोशन हमारे नेशनल लॉ युनिवर्सिटी गुजरात गांधीनगर में पढ़ने वाले बेटे ने कहा. पापा दिस इज़ पनिशमेंट.दे आलजवेज़ यूज़ यू एन्ड थ्रो. पहले शिक्षा कमिशनर राजीव गुप्ता साहब ने गुजरात कॉलेज का एन.सी.सी.मशाल मिशन आपसे कराया. आपने सोचा था कि चार साल से रुके रेग्युलर इंक्रीमेंट छोड़ देंगे. क्या हुआ वो तो दूसरे विभाग में चले गये आप मुंह देखते रह गये.अगर नई आयीं शिक्षा कमिश्नर को प्रमोशन देना होता तो रेग्युलर का देती इंचार्ज प्रिंसीपल का नहीं.
माई डियर पापा दिस इज़ ये वे टू आउट यू टेक्टफुली फ्रोम अहमेडाबाड. अब आप शिक्षा जगत के कारनामें नेट पर कैसे लिखोगे. गांव की नई कालेज में न तो कंप्यूटर होगा न इन्टरनेट.
उसकी बात में छिपे तथ्य को मैं भी समझता था. वर्ना एक एन.सी.सी आफीसर को एन.सी.सी बिना की नई कॉलज में फेंक देना. इंचार्ज का चार्ज तो गुजरात कॉलेज अहमदाबाद में भी दिया सकता था.एक तरफ अहमदाबाद में बिना पीएच.डी के इंचार्ज प्रिंसीपल मौज कर रहे हैं. नियमानुसार 10 वर्ष का अनुभव और पीएच.डी की डिग्री जरूरी है.
हमारे अहमदाबाद से फेंके जाने पर कॉलेज के एन.सी.सी. केडेटस की ट्रेनिंग को तो असर हुआ. एन.सी.सी.के केप्टन के रेंक का डी कमीशन भी जल्द हो जायेगा. अच्छा है देश सेवा 12 साल कर ली.
नई गांव में खुली शहरा कॉलेज में एन.सी.सी की यूनिट कहाँ. अभी तो कॉलेज की जमीन का मसला हल होना है एक स्कूल में 146 विद्यार्थी से कॉलेज 6 महीने से चल रही है. अभी टेबल कुर्षी सब स्कूल का है. शिक्षा विभाग फर्नीचर की ग्रांट देने का मुहूर्त निकाले तब तक यूं ही काम करना है. कंप्यूटर,फेक्स,इन्टर नेट की किस्मत कहां ये सुविधा बडें शहर के पिंसीपलों को है.
खैर हमारी तबीयत सब कुछ लुटाकर भी वैसी है. घर छूटा,बच्चे छूटे पत्नी छूटी, दोस्त छूटे पर कोई ग़म नहीं. दुश्मन हँसते हैं भदौरिया साहब बहुत आग उगलते थे न देखो कैसा सरकार ने बाबा बना दिया. जाओ गांव में भजन करो.
पर बंदे को ग़म कहां. गाँव में गये तो एक विद्यार्थी नें मदद की उसके ऊपर का कमरा खाली था मात्र 700 रुपये किराये पर दे दिया. पानी नीचे से लाना पड़ता है.नहाने का अलग धोने का अलग दोनों में किफ़ायत करनी पड़ती है. पीने का शुद्ध पानी भी गांव में पैसे से मिल जाता है शुद्ध हवा का कोई चार्ज अभी नहीं है.सुब्ह 7-30 बजे कॉलेज जाने से पहले अपने एक कमरे और किचन में झाड़ू पोता लगाना फिर स्नान फिर बाबा राम देव का प्राणायाम. शीर्षासन तो शिक्षा कमिश्नर ने करा दिया सो उस की जरूरत नहीं रहती फिर गांव में किसी दुकान पर जाकर गर्मागरम चाय और उसके बाद इंचार्ज प्रिंसीपल की कुर्षी पर 7-30 से 2. बजे तक काम काज फिर होटल में जाकर दोनो टाईम का इकट्ठा भोजन.रात में छत को एक टक देखना और सोचना.
कदम कदम पर अगर साज़िशे नहीं होती,
मैं इस जहां के बहुत काम आने वाला था.
हमने ग़म ग़लत करने के लिए ता.17-1-09 को कालेज का शैक्षिक प्रवास का आयोजन किया. उसके पूर्व कालेज के छात्र-छात्राओं का इनथ्रीज में फालन सावधान,विश्राम, दायें मुड़,बायें-मुड़.चेस्टअप नज़र सामने, चेस्टअप फिर मार्च.
टेम्पा में पास के 20 किमी. पानम डेम की मुलाकात, वहाँ गीत ग़ज़ल गुजराती लोकगीत जंगल में मंगल. 16 जनवरी 2009 को रा्ज्य की स्टेट शिक्षा मंत्री डॉ.माया बहिन कोडनानी शहेरा गांव के सरकारीगृह में आयीं तो कालेज की सारी रिपोर्ट दी.मैडम आप कालेज के लिए गांव में जमीन दिलवादें. उन्होंनें शहेरा क्षेत्र के लोकप्रिय सीनियर एम.एल.ए. साहब श्रीजेठाभाई भरवाड से कहा उन्होनें तलाटी से शीघ्र कार्यवाही के लिए कहा फाइल कलेक्टर साहब के पास भेजो मैं कालेज के लिए जमीन ले लूँगा मुख्यमंत्रीजी के हाथों कालेज की जमीन का अगर भूमि पूजन हो जाये तो बहुत अच्छा.
ता.25-1-2009 के रोज़ हमारे गांव शहरा में मुख्यमंत्री मोदीजी आने वाले है. गांव वासियों में काफी उत्साह है कॉलेज के छात्र-छात्रायें हम से पूछते हैं जमीन मिल गई सर. क्या हमारी कॉलेज की जमीन का भूमि पूजन मु्ख्यमंत्रीजी के हाथों से होगा. फिर तो एक साल में ही क़ॉलेज बनी समझो.हमसे गांव की सिन्धी लड़कियों ने बड़े दुख के साथ कहा देखना सर कॉलेज हमारे शहरा गांव में ही रहे.गांव से कॉलेज दूर गयी तो हमारे मां बाप हमें दूर नहीं भेजेंगे हम नहीं पढ. सकेंगे. मैने कहा कि मैनें शिक्षा मंत्री डॉ.मायाबहिन कोडनानीजी को तुम्हारी तकलीफ बताई है. हमारे क्षेत्र शहरा के एम.एल.ए श्री जेठाभाई भरवाड भी कोशिश कर रहें हैं जिले के कलेक्टर साहब कोई न कोई जमीन हमें अवश्य दे देंगे. हमारे गांव शहरा में हम मुख्य मंत्रीजी का इंतज़ार कर रहे है. देखें क्या होता है.
डॉ.सुभाष भदौरिया
इंचार्ज प्रिंसीपल शहेरा कॉलेज (गोधरा के पास)
जिला पंचमहाल, गुजरात राज्य.
ता.19-01-09
मोदी जी को अभी उद्योग खुलाने और प्रधानमंत्री बनने की जुगाड़ से फुरसत मिले तो इंचार्ज को प्रिंसिपल बनाने की सोचें।
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