ग़ज़लरोये है कभी दिल कभी फ़रियाद करे है.
यादों में तेरी ज़िन्दगी बर्बाद करे है.
ये बात अलग तूने मुझे छोड़ दिया है,
दीवाना तेरा अब भी तुझे याद करे है.
किस्मत में मेरे ग़म के सिवा कुछ भी नहीं है,
तू काहे मुझे और भी नाशाद करे है.
मैं मोम सा पिघले हूँ तेरे आँच की आगे,
तू मोम से फिर क्यों मुझे फौलाद करे है.
पिंजड़े में मेरा छीन लिया आसमां उसने,
पर काट के अब वो मुझे आज़ाद करे है.
होटों पे ग़ज़ल आये है आहिस्ता हमारे,
वो जाने-ग़ज़ल हौले से इर्शाद करे है.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.13-08-2010
यादों में तेरी ज़िन्दगी बर्बाद करे है.
ये बात अलग तूने मुझे छोड़ दिया है,
दीवाना तेरा अब भी तुझे याद करे है.
किस्मत में मेरे ग़म के सिवा कुछ भी नहीं है,
तू काहे मुझे और भी नाशाद करे है.
मैं मोम सा पिघले हूँ तेरे आँच की आगे,
तू मोम से फिर क्यों मुझे फौलाद करे है.
पिंजड़े में मेरा छीन लिया आसमां उसने,
पर काट के अब वो मुझे आज़ाद करे है.
होटों पे ग़ज़ल आये है आहिस्ता हमारे,
वो जाने-ग़ज़ल हौले से इर्शाद करे है.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.13-08-2010
पिंजड़े में मेरा छीन लिया आसमां उसने,
जवाब देंहटाएंपर काट के अब वो मुझे आज़ाद करे है.
बेहद उम्दा , शानदार गज़ल्………………हर शेर बेहद खूबसूरत और ये वाला तो अपने आप ही अपनी कहानी बोल रहा है।
वंदनाजी पिंजड़े में परकटे परिन्दे की कोशिशों को नवाज़ कर आपने जो हौसला अफ़्ज़ाई की है उसके लिए सलाम. एक ज़माने के बाद आप हमारे ग़रीबखाने पर आयीं है. सरकारी नौकरी में प्रमोशन मिलते हैं तो भी सज़ा की तरह. इन दिनों ग़ज़ल पर नहीं रोटी दाल पर रिसर्च चल रही है. पोस्टिंग ऐसे गाँव में हैं नास्ते की तो दुकाने हैं पर भोजन की व्यवस्था नहीं सो शाम को एक वक्त घर पर ही टिक्कड़ बनाने सीख लिए. ग़ज़ल तो गई हाथ से अब तो मर्सिये लिखने को जी चाहता है महरबानों पर.
जवाब देंहटाएंआपका आना सुखद लगा.
डा. साहब,
जवाब देंहटाएंहम तो आपके नाम के पहले डा. लिखा देखकर ही सटक लेते थे, आज शीर्षक से प्रभावित होकर रिस्क ले ही लिया, हा हा हा। अब सारी पिछली पोस्ट्स पढ़नी पढ़ेंगी।
गज़ल बहुत खूबसूरत है, और चित्र भी।
आभार स्वीकार करें।