शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

तस्वीर तेरी हरदम सीने से लगा रखना.

ग़ज़ल
आँखों में छिपा रखना, आहों में बसा रखना.
तस्वीर तेरी हरदम, सीने से लगा ऱखना.

लहरें यें समन्दर की, सर पटकें किनारों पर,
मुश्किल है बहुत मुश्किल, तूफां को दबा रखना.

दे-दे के लहू अपना, दिन रात ख़यालों को,
यादों का तेरा बिरवा, हर वक्त हरा रखना.

उसने तो बिछुड़ते दम, रो-रो के कहा मुझसे,
होटों पे हमेशा तुम, मिलने की दुआ रखना.

किस राह वो मिल जाये, किस वक्त वो आ जाये,
उम्मीद का दरवाज़ा हर वक्त खुला रखना.

फूलों के तमन्नाई, कलियों के वो शैदाई,
काटों की भी हालत का गुलशन में पता रखना.

ये शौक़ नहीं अपना, मज्बूरी इसे समझो,
ग़ज़लों में किताबों में, उस शै को भुला ऱखना.

उपरोक्त ग़ज़ल में नुमाया हमारी ताजा़ तन्हा तस्वीर दीव तट की है.. पहले अपनी तन्हाइयों को उपरोक्त तस्वीर के माध्यम से समन्दर से बाँटा पर उसकी हालत तो हमें ख़ुद से ज़्यादा संज़ीदा लगी. लहरों का पत्थरों से मुसल्सल टकराना और और फिर उसके टुकड़े कर देना वो भी देखा.
दीव का समन्दर एवं तट उतना ख़तरनाक नहीं जितना की सोमनाथ का है सो हम ने जम के दीव के समन्दर में स्वीमिंग की. जो लहरें किनारों पे धकेलती थी वे तैराकी के दर्मयान आसानी से गुज़र जाती थी.

दीव से हम सोमनाथ की तरफ बढ़े. सोमनाथ का समन्दर अपने रौद्र रूप के लिए भी जाना जाता है किनारों पे अठखेलियां जानलेवा साबित हो सकती हैं सोमवार सोमनाथ के दर्शन हो जाना बड़ी बात थी. शाम 6 बजे भीड़ छट चुकी थी. गुजरात पर्यटन विभाग ने मंदिर परिसर में मात्र सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम ही नहीं किये स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा गया है. यात्रियों के मंदिर परिसर के पृष्ठ भाग में बैठने के विशेष इंतज़ाम किये गये हैं वे दूर से सुरक्षित तरीके से दूर से समुद्र की विशाल प्रतिभा और मौज़ो का लुत्फ़ उठा सकते हैं. कृपया सोमनाथ के समुद्री किनारे पर सावधानी बरतें.

डॉ.सुभाष भदौरिया ता. 03-09-10

5 टिप्‍पणियां:

  1. दे-दे के लहू अपना, दिन रात ख़यालों को,
    यादों का तेरा बिरवा, हर वक्त हरा रखना.

    उसने तो बिछुड़ते दम, रो-रो के कहा मुझसे,
    होटों पे हमेशा तुम, मिलने की दुआ रखना.

    किस राह वो मिल जाये, किस वक्त वो आ जाये,
    उम्मीद का दरवाज़ा हर वक्त खुला रखना.
    बहुत खूब सुभाष जी ।

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  2. लाजवाब गज़ल है। मतले मे मुझे लगता है कि तस्वीर तेरी की जगह तस्वीर मेरी लिखना था
    लहरें यें समन्दर की, सर पटकें किनारों पर,
    मुश्किल है बहुत मुश्किल, तूफां को दबा रखना.

    दे-दे के लहू अपना, दिन रात ख़यालों को,
    यादों का तेरा बिरवा, हर वक्त हरा रखना.
    बहुत अच्छी लगी गज़ल बधाई।

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  3. क्या बात है सुभाष जी !
    आज तो निहाल कर दिया ग़ज़ल से..........

    अत्यन्त प्यारी पोस्ट !

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  4. आपकी ग़ज़ल हमारे ज़ख़्मों को हरा कर गई.अगली ग़ज़ल का इंतज़ार रहेगा.

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