रविवार, 12 सितंबर 2010

सर हमारा तो अभी बाकी है.


उपर्युक्त एन.सी.सी. युनिफोर्म में दोनों तस्वीरें हमारी हैं.

ग़ज़ल
हाथ काटे हैं ज़बां काटी है.
सर हमारा तो अभी बाकी है.

दूर फेंका है शहर से उसने,
तेरी ख़ुश्बू अभी तो आती है,

लोग दातों में उंगलियाँ दाबें,
तीर उसके तो अपनी छाती है.

देख अपनी अदा पे मत इतरा,
अपना दिल भी ये खुरापाती है.

एक चिड़िया की तो हिम्मत देखो,
तोप पर बैठी गुनगुनाती है.

यूज़ करती है पहले ये दुनियाँ,
बाद में हमको भूल जाती है.

गुजरात राज्य के शिक्षा विभाग ने प्रिंसीपल का हमें प्रमोशन देकर अहमदाबाद से दूर फेंक एन.सी.सी. की राष्ट्र सेवा का अवसर तो छीना ही साथ ही हमारा केप्टन का रेंक और युनिफोर्म भी छिन गई. कोई युनिफोर्म वाला ही इस दर्द को समझ सकता है.
मुख्यमंत्री मोदीजी ने जब प्रिंसीपल की पोस्टिंग की फाइल पर दस्तख़त किये होंगे तब उन्हें नहीं पता चला होगा कि एक एन.सी.सी अफ्सर को बिना एन.सी.सी की कोलेज में भेजने से क्या होगा. पर एन.सी.सी. अफस्रर गीता बहिन पंडया को श्री के.का.शास्त्री सरकारी कोलेज अहमदाबाद में रखा गया.पर वे तो हमें जानते थे उपरोक्त तस्वीर एन.सी.सी युनिफोर्म में गुजरात कोलेज में मुख्यमंत्री के साथ हमारी ही है. भूतपूर्व शिक्षा कमिश्नर राजीव गुप्ता द्वारा दिया गया गुजरात कोलेज मशाल मिशन हमारे काम नहीं आया.राजपुरषों की स्मृति यूँ भी कमज़ोर हुआ करती है सो मुख्यमंत्री मोदीजी हमें भूल गये होगें. पर निम्न ब्लाग पर लगे स्लाइड शो और तस्वीर देखकर उन्हें कुछ याद आ जाये. स्वर्णिम गुजरात पर लगाये पिछले स्लाइड शो एवं रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री कार्यालय अधिकारी द्वारा मुख्यमंत्रीजी का बधाई संदेश मिला था. देखें इस बार क्या मिलता है जो भी मिले ज़ल्द मिले. गुजराती ग़ज़ल कार शून्य पालनपुरी का शेर याद आ रहा है

કહી દો ઈશને કે શૂન્યને વિશ્વાસમાં લઇ લે,
જગત હૈરાન થઈ જાશે પ્રતિભાઓની ટક્કર માં
.
हिन्दी में कहें तो
कह दो ईश से के शून्य को विश्वास में ले ले,
जगत हैरान हो जायेगा प्रतिभाओं की टक्कर में.

ब्लाग पर लगाये गये स्लाइडशो में गुजरात कोलेज अहमदाबाद में हिन्दी अध्यापन के साथ हमारे पास अतिरिक्त जबाबदारी एन.सी.सी. की भी थी.
गुजरात आर्ट सायंस कोलेज अहमदाबाद को यू.जी.सी. से नेक की मान्यता दिलानें में एन.सी.सी का बड़ा हाथ था पर हुआ यूँ-

हमने सींचा था गुलिस्तां को ख़िज़ा में अपने लहू से,
जब बहार आयी तो कहते हैं तुम्हारा काम नहीं.

पर प्रिंसीपल प्रमोशन लिस्ट में गुजरात शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापिकाओं का खास ध्यान रखा गया. राजकोट, जामनगर जूनागढ, अहमदाबाद उनके हिस्से में आये. इतना ही नहीं एक ही जगह 15 साल से कार्यरत अध्यापक अध्यापिकाओं को वहीँ प्रिंसीपल का प्रमोशन देकर चमत्कार हुए. साथियों ने बताया भदौरियाजी तुम सेंटिंग नहीं कर पाये.

हमें अहमदाबाद में बिछुडे परिवार का ग़म नहीं पर एन.सी.सी. के छिन जाने का ग़म जान लेवा होगा.इन दिनो गोधरा के पास शहरा गाँव में प्रिंसीपल की पोस्टिंग है. गाँव में 99 प्रतिशत मुस्लिमों की बस्ती है मैं मस्ज़िद के पास रहता हूँ वहाँ अजान के साथ सुब्ह आँख खुलती है तो एन.सी.सी. परेड की याद आती है और साथ ही युनिफोर्म, स्टार साइनिंग.बूट चमकाना सब याद आता है. एल.एम.जी. कितने भागों में खुलती है. फायरिंग कितनी पोजीशन से होती है अंबूश कैसे लगाते है ग्राउन्ड टू मैप, मैप टू ग्राउन्ड पोजीशन के साथ डेड़ इंच में फायरिंग का ग्रुप बनाना सब कुछ भूलता जा रहा हूँ. पर शिक्षा विभाग के हमारे खिलाफ साज़िश रचने वालों के चेहरे आँखों के सामने घूमते हैं.
. एक सबसे बड़ा नुकशान तो हमें ये हुआ कि गुजरात से हेमकुंड पर्वत, अरुणाचल तक की हमारी ट्रेकिंग सब छूट गयी.हमारे एन.सी.सी बिना की कोलेज में होने से एक साल में हमारे कमीशन खत्म होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
जब कि सरकारी आर्टस कोलेज गाँधीनगर में न तो एन.सी.सी का कोई ट्रेन्ड अफ्सर न रेग्युलर प्रिंसीपल इंचार्ज से एक साल से काम चलाया जा रहा है. इसे कहते हैं चिराग तले अँधेरा. मुख्यमंत्री मोदीजी के गाँधीनगर कार्यालय से चंद कदमों की दूरी पर ये खेल चल रहा है और उन्हें पता नहीं आश्चर्य होता है.

हमारे यहाँ शहेरा गाँव में नई कोलेज खुली होने के कारण प्राइवेट स्कूल में चल रही है दो साल के बाद भी जमीन अभी तक नहीं मिली महसूल मंत्री श्रीमती आनंदी बहिन विभाग गाँधीनगर और कलेक्टर कचेहरी गोधरा के बीच ले क्वेरी दे क्वेरी का खेल चल रहा है. सरकार की तरफ से सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा के निर्माण के लिए आठ करोड़ की ग्रांट दी जा चुकी है पर जमीन न मिल पाने से वित्तीय वर्ष 2010-11 मार्च में लेप्स हो जायेगी. कोलेज की छात्र-छात्राओं की संख्या नई कुल कोलेजो में सबसे ज्यादा 600 होने के साथ परिणाम 30 विद्यार्थी गुजरात युनिवर्सिटी परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त किये हैं जिनमें 18 छात्रायें है. पर अभी एक टर्म होने को आया कोलेज के लिए ज़रूरी शैक्षणिक स्टाफ उच्च शिक्षा कमिश्नरश्री ने कहां दिया है.

शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को लेखित जानकारी देने के वावज़ूद वे घोर निद्रा में है. छात्र हड़ताल करेंगे तब वे सुनेंगे. रोल माडल गुजरात की ये तस्वीर दुखद भले हो यथार्थमयी है

हमने इस हक़ीकत को टिप्पणी के रूपमें सीधे मुख्यमंत्री के ब्लाग पर दर्ज किया तो टिप्पणी मो़डरेट हो गयी. हमें लगा ब्लाग संचालक मुख्यमंत्रीजी को स्वर्णिम टिप्पणियाँ ही दिखाते हैं यथार्थवादी टिप्पणी को दरकिनार कर देते हैं. सो हमने पूरी पोस्ट ही लिख डाली ताकि गुजरात के नाथ मोदीजी सिर्फ भगवे रंगके साथ तिरंगे के रंग की भी चिन्ता करें.. ब्लाग पर लगे स्लाइड शो को देखकर उन्हें कुछ याद आ जाये और गुजरात शिक्षा विभाग की नींद खुले.

गुजरात सीमावर्ती प्रदेश होने के साथ शास्त्र के साथ शस्त्र शिक्षा अनिवार्य करने की जगह हासिये पर धकेल दिया गया है. जब कि राज्य में आयी प्राकृतिक आपदा भूकंप. बाढ़ में एन.सी.सी के़डेटस की सराहनीय भूमिका रही है.

गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने अपनी स्वर्णिम जयन्ती में एन.सी.सी. प्रवृति को भुला दिया है. गरबों और स्वर्णिम गुजरात गीत की केसिटें शिक्षा विभाग द्वारा कोलेजो को बाँटी जा रही हैं.हमने उन केसिटों को देखा पर उनमें राष्ट्र भावना को जगाने वाली एन.सी.सी. प्रवृति का नामोनिशान नहीं.वैसे ही गुजरात राज्य के पास अन्य राज्यों की तरह कोई सेना में अपनी रेजिमेंट नही जब कि बिहार रेजिमेंट, मद्रास रोजिमेंट आदि हैं. कोलेज के नवयुवकों को सेना की ओर आकृषित करने वाली इस प्रवृति की बरसों से अवहेलना की जा रही है. मुख्यमंत्री मोदीजी ये सब जानने के बाद मौन रहें तो हमें तो दुख होगा ही उन तमाम गुजरात के एन.सी.सी. केडेटस को भी जो उन्हें रोल मा़डल मानते हैं.
प्रिंसीपल
डॉ.सुभाष भदौरिया, सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा जिल्ला पंचमहाल गुजरात. ता.12-09-2010
(एक्स एन.सी.सी आफीसर गुजरात आर्टस सायंस कोलेज अहमदाबाद.) मोबा.97249 49570



6 टिप्‍पणियां:

  1. Dear Dr Bhadauria ji,

    There is a great power in your pen, pl. keep it reserved. though it is fact that one govt college in gandhinagar has seen 3 principals in 2 months. out of 3 colleges in gandhinagar, only one has regualr principal. i think this point may be taken as a seroius note at higher level. Policy decided by GAD for transfer and promotion should not be violeted but 'A' of administration is always at the first place, we have to accept it, there is no other go.
    Dr K G Chhaya

    जवाब देंहटाएं
  2. 1-Dear Principal Dr.Kamal chhaya it is great surprise to us that disqualified lectures are in charge principal in 1-Government Arts college Gandhinagar And 2-Government science college Gandhinagar. All know that for principal qualification there must be 15 years teaching experiences and compulsory Ph.D. degree. But there is exemption in Gandhinagar case why? I think there must be C.B.I. investigation Isn’t it so.

    2-Should we writ in GUJARAT HIGH COURT I am ready dear.
    will you join with me ?.

    3- You and I people not high approach so out of city aria.
    4. You are The only one who comment my blog thanks captain chhaya Ex.N.C.C officer We were in training center kamtee Nagpur . Those were our great days. Thanks again sir.

    जवाब देंहटाएं
  3. गुजरात के शिक्षा विभाग की नींद नहीं खुलेगी क्योंकि उसे तिमिर रोग लगा है.
    आप सच कह रहे हैं राज्य के मुख्यमंत्री ही उसे कुंभकर्ण निद्रा से जगा सकते हैं प्राध्याक दिनेश माछी संस्कृत अध्यक्ष सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा गुजरात.

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. प्राध्यापक दिनेशजी गुजरात उच्चशिक्षा विभाग की लीला अपरंपार है आप उससे परिचित हैं इंटरनेट ब्लाग उनके लिए दूर की बाते हैं. वे सप्त धारा में मग्न हैं औऱ रष्ट्रधारा एन.सी.सी को भुला बैठे हैं.

    जवाब देंहटाएं
  6. I am reminded of an English Poem regarding the injured but invictus Hero.

    In the fell clutch of circumstance 5
    I have not winced nor cried aloud.
    Under the bludgeonings of chance
    My head is bloody, but unbowed.

    जवाब देंहटाएं