गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

आँखों की चमक, होटों की मुस्कान ले गया.



                                                        
ग़ज़ल
आँखों की चमक, होटों की मुस्कान ले गया.
जीने के मेरे सारे ,वो अरमान ले गया .

सब लोग पूछते हैं, बताओ तो कौन था ?
जो जिस्म छोड़कर, के मेरी जान ले गया.

अब मेज़बां के पास, तो कुछ भी बचा नहीं,
दिल की तमाम हसरतें, महमान ले गया.


सिगरिट, शराब, अश्क, तन्हाई, व बेकली,
किन रास्तों पे मेरा, महरबान ले गया.

हम गुमशुदा हैं ख़ुद से,ही ख़ुद की तलाश है,
अपने वो साथ मेरी भी, पहिचान ले गया.

उसने तो साथ छोड़ दिया, बीच धार में,
साहिल तलक मुझे, मेरा तूफान ले गया.

अँधों के शहर आइना है, बेचना गुनाह,
ये शौक ही तो हम को, बियाबान ले गया.

झूटों को उसने सर पे बिठाया कमाल है,
सच को वतन से दूर वो फ़रमान ले गया.

क्या-क्या हुए हैं हादसे, हम से न पूछिए,
घर को ही लूट घर का,वो दरबान ले गया.

डॉ.सुभाष भदौरिया ता.27-10-2011.

गुजरात में मनाये जा रहे आज नये वर्ष के शुभ अवसर पर हम अपने चाहने वालों और सताने वालों दोनों को नये वर्ष की शुभकामनायें दे रहे हैं. साथ ही पिछले वर्ष हम से किसी दोस्त या दुश्मन का दिल जाने अनजाने में दुख गया हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं. हुकूमते गुजरात के कई मिशनों मे सदभावना मिशन भी इस वर्ष ज़ोरों से मनाया जा रहा है सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर हम भी किसी से कोई दुर्भावना न रखकर सबका साथ का सबका विकास चाहते हैं.आमीन.
प्रिंसीपल डॉ.सुभाष भदौरिया सरकारी आर्टस कोलेज शहेरा एवं गुजरात कोमर्स कोलेज अहमदाबाद.ता.27-10-2011




3 टिप्‍पणियां:

  1. आँखों की चमक, होटों की मुस्कान ले गया.
    जीने के मेरे सारे ,वो सामान ले गया .

    पहली पंक्ति पढते ही ऐसा ही ख्याल दिल मे आया जैसा आपने दूसरी पंक्ति मे दिया……………बहुत सुन्दर ख्याल प्रस्तुत किया है।

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  2. वंदनाजी किसी की आखिरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी.

    1-मैं खयाल कभी प्रस्तुत नहीं करता जब दर्द के मारे सीना फटने लगता है तब खयाल स्वता प्रकट हो जाता है. मेरा दर्द ओढ़ा हुआ नहीं हैं. कई दिनों से लगा कि ग़ज़ल हाथों से गई.पर एक बार फिर उससे रूबरू हुआ हूँ.आपका ब्लाग पर आना और मुखातिब होना दिल को सुकून देता है.खैर ख़बर लेती रहिओ. वैसे पोस्ट अपने ज़िन्दा होने की ख़बर दोस्त दुश्मनों की मिल ही जाती है.

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