बुधवार, 19 जून 2013

आँखों की चमक होटों की मुस्कान ले गया.

आँखों की चमक, होटों की मुस्कान ले गया.
ग़ज़ल

आँखों की चमक होटों की मुस्कान ले गया.
जीने के मेरे सारे वो  अरमान ले गया.

अब लोग पूछते हैं बताओ तो कौन था ?
जो जिस्म छोड़कर के मेरी जान ले गया.

सिगरिट शराब, अश्क, तन्हाई, व बेकली,
किन रास्तों पे मेरा महरबान ले गया.

अब मेजबां के पास तो कुछ भी बचा नहीं,
दिल की तमाम हसरतें मेहमान ले गया.

उसने तो साथ छोड़ दिया, बीच धार में,
साहिल तलक मुझे मेरा तूफान ले गया.

डॉ. सुभाष भदौरिया.



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