बुधवार, 2 अप्रैल 2014

उनसे अब बात कहाँ होती है ?



ग़ज़ल
उनसे अब बात कहाँ होती है ?
अब मुलाक़ात कहाँ होती है ?

रोज़ आँसू कहाँ ये निकले हैं,
रोज़ बरसात कहाँ होती हैं ?

दिन तो कट जाये हैं ये कैसे भी,
खुशनुमा रात कहाँ होती है  ?

रोज़ गुलशन में कहाँ जाते हैं,
रोज़ अब घात कहाँ होती है  ?

इश्क होता है कहाँ  पूछे से ,
इश्क की  ज़ात कहाँ होती है  ?

मौत का साथ निभाना निश्चित,
ज़िन्दगी साथ कहाँ होती है ?

डॉ. सुभाष भदौरिया ता.02-04-2014


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