ग़ज़ल
आप कहते हो कि भूल
जाओ मुझे.
आप जैसा कोई तो बताओ
मुझे.
अपनी पलको में रहने
दो कुछ देर तक,
आँसुओं में यूँ ही
ना बहाओ मुझे.
यूँ सताने को
दुनियां बहुत ये पड़ी,
आप तो इस तरह ना
सताओ मुझे.
मेरे दिल की सुनो
क्या गुज़रती है अब,
अपने दिल की भी आओ
सुनाओ मुझे.
मैं बुझा सा पड़ा
हूँ तुम्हें क्या पता,
अपने होटों से आओ
जलाओ मुझे.
पहले मुझको बढ़ाया
गुणाकार में,
अब लगातार यूँ न
घटाओ मुझे.
गर जो हक़दार हूँ तो
लगाओ गले
और जो दीवार हूँ तो
गिराओ मुझे.
डॉ.सुभाष भदौरिया
गुजरात ता.22-07-2014
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