सोमवार, 7 मई 2018

गुजरात में गुरू जी तगाड़े उठाये हैं.


ग़ज़ल

अच्छे दिनों ने कैसे कैसे गुल खिलाये हैं.
गुजरात में गुरू जी तगाड़े उठाये हैं.

एक काम यही बाकी था किस्मत में हमारी,
हगते हुए लोगों के भी फोटू खिचाये हैं.

तुमको हलाल करने में आता तो लुत्फ़ है,
पंछी हैं हम थोड़े थोड़े फड़फड़ाये हैं.

गांवों में नहीं गंदगी सचिवालयों में है,
मिल कर के सभी देश को चूना लगाये हैं.

पढ़ लिख के क्या करोगे हुनर सीख लो उनसे,
अब साथ चाय के वो पकोड़े बनाये है.

तालाब की जो ग्रांट थी वो तो डकार ली,
अब मुफ्त में मज्बूरों से खड्डे खुदाये हैं.

डॉ. सुभाष भदौरिया गुजरात ता. 06-05-2018




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