शुक्रवार, 3 जून 2016

उनसे अब बात कहां होती है ?

ग़ज़ल
उनसे अब बात कहां होती है ?
अब मुलाकात कहां होती है ?

रोज़ आँसू कहां निकलते हैं  ?
रोज़ बरसात कहां होती है ?

दिन तो कट जाय है किसी तरह,
अब हंसी रात कहां होती है  ?

भूल जायें तुम्हें ! ना मुमकिन .
ऐसी आदात कहां होती है   ?

इश्क में जां  लुटानी पड़ती है,
सब की औकात कहां होती है  ?

डॉ. सुभाष भदौरिया ता.03/06/2016



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