उनसे अब बात कहां होती है ?
अब मुलाकात कहां होती है ?
रोज़ आँसू कहां निकलते हैं ?
रोज़ बरसात कहां होती है ?
दिन तो कट जाय
है किसी तरह,
अब हंसी रात कहां होती है ?
भूल जायें तुम्हें ! ना मुमकिन .
ऐसी आदात कहां होती है ?
इश्क में
जां लुटानी पड़ती है,
सब की औकात कहां होती है ?
डॉ. सुभाष भदौरिया ता.03/06/2016
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