ग़ज़ल
मोदी से अदावत है मोदी से शिकायत है.
मोदी को बुरा कहना दिल्ली की तो आदत है.
गोदी में बिठाकर के, नागों को वो पाले हैं,
फन उनका कुचल देना मोदी की शराफ़त है.
विस्फोट तो ज़ारी हैं हर रोज़ फ़ज़ाओं में,
बहरे ये कहें सबसे, चहुँओर सलामत हैं.
कश्मीर गया कब, का आसाम की बारी है,
सब लोग कहें अब तो, मोदी की ज़रूरत है.
झांके वो गिरेबां में, कुछ याद करें अपना,
आईना दिखाने की हमको जिन्हें आदत है.
चूहों से कहो बिल में, आराम करें कुछ दिन,
बेकार उछलने की, उनकी तो रिवायत है.
तूफान में भी लोगो तुम साथ रहे मेरे,
गुजरात की जनता की मोदी पे इनायत है.
डॉ.सुभाष भदौरिया ता.24-12-07 समय-09-05AM
सोमवार, 24 दिसंबर 2007
सब लोग कहें अब तो मोदी की ज़रूरत है.
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बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसच कहा
जवाब देंहटाएंशानदार गजल डॉ साहब.. बधाई
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पे आना हुआ
जवाब देंहटाएंमुश्किल बडा अब यहाँ से जाना हुआ